Political Kissa: एक झटके में छोड़ दी PM की कुर्सी, राजीव गांधी ने मनाया; चंद्रशेखर बोले- मैं एक दिन में तीन बार विचार नहीं बदलता

Political Story: प्रधानमंत्री बनने और इस्तीफा देने की कहानी बेहद दिलचस्प है। उन्होंने कहा था कि 'बनूंगा तो प्रधानमंत्री ही', चंद्रशेखर ने जो कहा वो किया भी... मगर इतना बड़ा दावा करने वाले राजनेता प्रधानमंत्री बनते हैं और एक झटके में कुर्सी का त्याग भी कर देते हैं। पढ़िए, राजनीतिक किस्सा।

चंद्रशेखर के पीएम बनने और कुर्सी छोड़ने का किस्सा।

Chandra Shekhar Life Story: स्वतंत्र भारत के इतिहास में एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त के मौके पर लालकिला से तिरंगा नहीं फहरा पाया, उनका नाम है- चंद्रशेखर। देश के 8वें प्रधानमंत्री से जुड़े अनगिनत किस्से सियासत में काफी मशहूर हैं, मगर क्या आप जानते हैं कि जब चंद्रशेखर ने खुद ही पीएम की कुर्सी त्यागने का फैसला लिया तो राजीव गांधी ने शरद पवार को बुलाया और उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने के लिए कहा था, पर उस वक्त चंद्रशेखर नहीं माने और उन्होंने जो जवाब दिया उसके चलते बड़े-बड़े सियासी दिग्गज आज भी उनका लोहा मानते हैं।

एक झटके में चंद्रशेखर ने त्याग दी थी कुर्सी

कहते हैं सियासत में कुर्सी के खातिर साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल होना आम बात है। 'साम' यानी सम्मान देना या समझाना, 'दाम' यानी मूल्य देना या खरीदना, 'दंड' यानी सजा देना, 'भेद' यानी तोड़ना या फूट डालना होता है। पर चंद्रशेखर ने सिद्धांतों और मूल्यों की न सिर्फ बात की, बल्कि उन्होंने इसका परिचय भी दिया। उनके प्रधानमंत्री बनने और इस्तीफा देने की कहानी बेहद दिलचस्प है। उन्होंने कहा था कि 'बनूंगा तो प्रधानमंत्री ही', चंद्रशेखर ने जो कहा वो किया भी... मगर इतना बड़ा दावा करने वाले राजनेता प्रधानमंत्री बनते हैं और एक झटके में कुर्सी का त्याग भी देते हैं। आपको वो किस्सा बताते हैं।

लालू यादव, चंद्रशेखर, मनमोहन सिंह।

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या हो गई, जिसके बाद राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव में भारी बहुमत के साथ 400 से अधिक सीटें जीत लीं, लेकिन 5 साल में ही सियासी समीकरण और सियासत की तस्वीर बदल गई, वर्ष 1989 के चुनाव में बाजी पलट गई। बोफोर्स को लेकर उस वक्त मामला गरमा गया और इस शोर में सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी कांग्रेस बहुमत से दूर रह गई।

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