'मोदी 3.0 में हो सकते हैं 4 बड़े बदलाव, राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता में भी कटौती संभव', प्रशांत किशोर का बड़ा दावा

Prashant Kishor Interview: प्रशांत किशोर ने कहा कि सबसे बड़ा बदलाव ईंधन (पेट्रोल-डीजल) को लेकर होगा। इसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जा सकता है। यही नहीं, राज्यों की वित्तीय सरकारों को भी बड़े पैमाने पर सीमित किया जा सकता है।

prashant Kishor

मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल में ले सकती है बड़े फैसले।

Prashant Kishor Interview: चुनावी रणनीतिकार एवं राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि मोदी सरकार 3.0 में चार बड़े बदलाव कर सकती है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा बदलाव ईंधन (पेट्रोल-डीजल) को लेकर होगा। इसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जा सकता है। यही नहीं, राज्यों की वित्तीय सरकारों को भी बड़े पैमाने पर सीमित किया जा सकता है। इसके अलावा किशोर ने कहा कि अपनी भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को और तेज करने के लिए मोदी सरकार संगठनात्मक एवं अभियानगत बदलाव भी कर सकती है।

इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में पीके ने कहा, 'मेरा मानना है कि मोदी 3.0 सरकार की शुरुआत बड़े फैसलों से होगी। इस सरकार में केंद्र के संसाधन और ताकत बढ़ाने के लिए कई फैसले होंगे। राज्यों की वित्तीय आजादी में कटौती करने के प्रयास भी हो सकते हैं।'

मोदी सरकार के खिलाफ ज्यादा गुस्सा नहीं-पीके

2014 में मोदी के चुनावी रणनीतिकार रहे पीके ने कहा कि इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ व्यापक रूप से लोगों मे ज्यादा गुस्सा नहीं है और भाजपा करीब 303 सीटें जीत सकती है। उन्होंने कहा कि राजस्व हासिल करने के लिए राज्यों के पास मोटे तौर पर तीन संसाधन पेट्रोल, शराब और भूमि हैं। पीके ने कहा कि यदि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है को उन्हें कोई हैरानी नहीं होगी। पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस जैसे ईंधन अभी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, इन पर वैट, केंद्रीय बिक्री कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क जैसे टैक्स लगते हैं।

यह भी पढ़ें- रामेश्वर कैफे ब्लास्ट केस में एनआईए का बड़ा एक्शन, 11 जगहों पर छापेमारी

'जीएसटी के दायरे में आ सकते हैं पेट्रोलियम पदार्थ'

बता दें कि पेट्रोलियम पदार्थों को लंबे समय से जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की जाती रही है, हालांकि, राज्य इस विचार का विरोध करते आए हैं। उनका मानना है कि इससे उन्हें राजस्व की भारी क्षति होगी। राज्यों का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों के जीएसटी के दायरे में जाने से उन्हें अपने हिस्से के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर होना पड़ेगा। फिलहाल जीएसटी का सबसे बड़ा स्लैब 28 फीसद है। जबकि पेट्रोल और डीजल पर 100 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स लगते हैं।

यह भी पढ़ें- क्या है केजरीवाल के खिलाफ नारे लिखने का मामला?

राज्यों के संसाधनों में हो सकती है कटौती-PK

यही नहीं पीके कहना है कि राज्यों का वित्तीय प्रबंधन ठीक करने और राजकोषीय घाटा कम करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों के संसाधनों में कटौती कर सकती है। यही नहीं राज्यों के कर्ज लेने पर कायदे-कानून कड़े किए जा सकते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी के तीसरे कार्यकल में वैश्विक स्तर भारत पहले से ज्यादा दबदबे के साथ आगे बढ़ेगा और इसकी विदेश नीति ज्यादा आक्रामक होगी।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited