कमलनाथ से कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी हुई खत्म? राहुल गांधी ने की मुलाकात, महाराष्ट्र चुनाव में मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
राहुल गांधी ने मंगलवार को कमलनाथ के दिल्ली स्थित आवास पर पहुंचकर उनसे न केवल मुलाकात की बल्कि दो घंटे तक दोनों साथ भी रहे। इस मुलाकात को राजनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कमलनाथ से मिले राहुल गांधी
- कमलनाथ की कभी थी बीजेपी में जाने की चर्चा
- विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी लग चुका है झटका
- मध्य प्रदेश की दो सीटों पर भी होने हैं उपचुनाव
ऐसा लगता है कि अपने वरिष्ठ नेता कमलनाथ से कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी खत्म हो गई है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार और फिर बीजेपी में जाने अटकलें और फिर लोकसभा चुनाव में हार के बाद से कमलनाथ पार्टी में साइडलाइन चल रहे थे। कभी सीधे सोनिया गांधी के करीबी लोगों में शुमार कमलनाथ को हाल के विधानसभा चुनावों से भी दूर रखा गया था। लेकिन अब खुद राहुल गांधी ने उनके घर जाकर उनसे मुलाकात की है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस को कमलनाथ की जरूरत?
राजनीति के जानकारों का मानना है कि कमलनाथ का छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है और वहां के कई इलाकों में कमलनाथ का प्रभाव है और सियासी तौर पर दखलअंदाजी भी है। इतना ही नहीं महाराष्ट्र के औद्योगिक घरानों से भी कमलनाथ की नजदीकियां है। कांग्रेस महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के प्रभाव का उपयोग करना चाहती है और इसलिए राहुल गांधी ने उनसे लंबी चर्चा की है।
दिग्विजय सिंह भी हैं साइड लाइन
राहुल गांधी और कमलनाथ की इस मुलाकात ने सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है। साथ ही यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि कमलनाथ की राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर सक्रियता बढ़ेगी और आगामी चुनाव में वह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश से ही नाता रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पार्टी ने पूरी तरह किनारे कर दिया है और उनका न तो जम्मू कश्मीर व हरियाणा के चुनाव में कोई उपयोग किया गया और अब संभावना यही है कि झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव में भी पार्टी उन्हें दूर ही रखने वाली है।
कमलनाथ को लग चुका है झटके पर झटका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने वर्ष 2018 में राष्ट्रीय राजनीति से मध्य प्रदेश की ओर रुख किया था। उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता हासिल की थी। कांग्रेस सत्ता में महज 15 माह रही, आपसी खींचतान के चलते सत्ता हाथ से खिसक गई और भाजपा की फिर सत्ता में वापसी हो गई। उसके बाद से कमलनाथ का दायरा लगातार सिमटता गया और वर्तमान में उनकी ज्यादा सक्रियता छिंदवाड़ा तक सीमित है। कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ छिंदवाड़ा से लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं, वहीं उनके करीबी अमरवाड़ा से विधायक रहे कमलेश शाह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
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