महाराष्ट्र में उद्धव की काट निकाल रही BJP! एनडीए में MNS के आने पर सधेंगे कई निशाने
Raj Thackeray: सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बवानकुले ने सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की। इस बैठक में राज ठाकरे को एनडीए में शामिल कराने पर चर्चा हुई।
मंगलवार को अमित शाह से दिल्ली में मिले राज ठाकरे।
Raj Thackeray: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपना कुनबा बड़ा करने की तैयारी में है। मंगलवार को दिल्ली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के सुप्रीमो राज ठाकरे ने अपने बेटे के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद सियासी गलियारे में चर्चा जोरों पर है कि एनएनएस, एनडीए में शामिल हो सकती है। भाजपा के इस कदम को उद्धव ठाकरे के काट की तौर पर देखा जा रहा है। रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चुनाव में भाजपा मुंबई साउथ लोकसभा सीट एनएनएस को दे सकती है। यही नहीं, सूत्रों का कहना है कि इस सीट से बाला नंदगांवकर इस सीट से एमएनएस के उम्मीदवार हो सकते हैं। पूर्व कॉरपोरेटर बाला मुंबई साउथ से 3009 और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बवानकुले ने सोमवार को दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात की। इस बैठक में राज ठाकरे को एनडीए में शामिल कराने पर चर्चा हुई। रिपोर्टें के अनुसार भाजपा भी एमएनएस के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने की इच्छुक है।
उद्धव की शिवसेना कमजोर होगी
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज ठाकरे के एनडीए में शामिल होने से शिवसेना उद्धव गुट कमजोर होगा। शिवसेना के कोर वोटर और बाला साहब ठाकरे की नीतियों एवं सोच में विश्वास करने वाले मराठी मतदाता राज ठाकरे के साथ आ सकते हैं। दक्षिण मुंबई के कई इलाकों में उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना की अच्छी पकड़ है, एमएनएस इन इलाकों में सेंध लगाने की क्षमता रखती है। राज ठाकरे भी यदि एनडीए में शामिल होते हैं तो उन्हें भी मजबूती मिलेगी क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में अभी वह अलग-थलग हैं।
2009 में एमएनएस के 13 विधायक चुने गए
साल 2005 में अपनी अलग पार्टी बनाने वाले राज ठाकरे कुछ एक चुनावों को छोड़कर अच्छी सफलता नहीं मिली है। समय के साथ एमएनस की राजनीतिक जमीन कमजोर हुई है। साल 2009 के विधानसभा चुनाव में एमएनएस ने बेहतर प्रदर्शन किया और उसके 13 विधायक चुने गए। इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एमएनएस अपनी छाप नहीं छोड़ पाई। उसका राजनीतिक जनाधार घटता गया। आगे 2019 के चुनाव में पार्टी केवल एक सीट जीत पाई। 2017 के बीएमसी चुनाव में उसके केवल छह पार्षद चुनाव जीते।
राज ठाकरे को NDA की जरूरत
2014 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में एमएनएस का वोट प्रतिशत और सीटें दोनों घटीं। उसके विधायकों की संख्या 13 से घटकर एक रह गई। महाराष्ट्र में एक समय एमएनएस का वोट प्रतिशत पांच प्रतिशत से ज्यादा था। 2014 में घटकर 3.15 प्रतिशत रह गया। 2019 के चुनावों में उसका वोट शेयर तीन से भी घटकर 2.25 फीसदी पहुंच गया। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यह जितना फायदे का सौदा एनडीए के लिए साबित होगा, उतना ही फायदे का यह सौदा राज ठाकरे के लिए भी है। क्योंकि महाराष्ट्र में राज ठाकरे को अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए उन्हें भी एनडीए और भाजपा के सहारे की जरूरत है।
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