Rajasthan Chunav: पति-पत्नी के बीच हो सकता है चुनावी मुकाबला, समझिए दांतारामगढ़ सीट का समीकरण
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान चुनाव में दांतारामगढ़ सीट पर बड़ा रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। यहां पति और पत्नी के बीच चुनावी मुकाबला हो सकता है। रीटा चौधरी को जेजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं इस सीट पर मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह को कांग्रेस फिर से अपना प्रत्याशी बना सकती है।
राजस्थान में दांतारामगढ़ सीट पर पति-पत्नी के बीच जंग!
Rajasthan Chunav News: राजस्थान की दांतारामगढ़ विधानसभा सीट पर मुकाबला रोचक हो सकता है। जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने इस सीट पर रीटा चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि उनके पति और मौजूदा विधायक वीरेंद्र सिंह को कांग्रेस फिर टिकट दे सकती है। कांग्रेस ने अलवर की रामगढ़ सीट से मौजूदा विधायक साफिया जुबेर को टिकट देने से इनकार कर इस बार उनके पति और पूर्व विधायक जुबेर खान को उम्मीदवार बनाया है।
दांतारामगढ़ सीट पर पति बनाम पत्नी की जंग!
राज्य की सभी 200 सीटों के लिए मतदान 25 नवंबर को होगा जबकि मतगणना तीन दिसंबर को होगी। कांग्रेस ने राजस्थान में उम्मीदवारों की दो सूची में कुल 76 प्रत्याशी घोषित किए हैं। पार्टी ने दांतारामगढ़ के लिए अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सात बार के विधायक नारायण सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह का परिवार पारंपरिक रूप से कांग्रेस के साथ रहा है। उनकी पत्नी रीटा अगस्त में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में शामिल हो गईं और उन्हें पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। रीटा चौधरी ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दांतारामगढ़ से कांग्रेस की टिकट मांगी थी लेकिन पार्टी ने उनके पति को उम्मीदवार बनाया।
पति को लेकर क्या बोलीं रीटा चौधरी?
सीकर की जिला प्रमुख रीटा तभी से इलाके में अपने राजनीतिक आधार को मजबूत कर रही थीं और उन्होंने जेजेपी में शामिल होकर कई लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। जेजेपी ने सोमवार को छह उम्मीदवारों की सूची जारी की जिनमें रीटा का भी नाम था। रीटा ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'मैंने अपने दिल की सुनी, मुझे जो सही लगा वह किया और जेजेपी में शामिल हो गई। मैं लोगों के बीच रही हूं, जब उन्हें मेरी जरूरत थी तब मैं उनके साथ खड़ी रही और इसलिए लोगों ने मुझे और मेरे फैसले को स्वीकार किया है।' उन्होंने कहा, 'लोग खुश हैं क्योंकि वे बदलाव चाहते हैं। अब पार्टी ने मुझे दांतारामगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया है और मुझे अपनी जीत का भरोसा है।'
पति वीरेंद्र सिंह ने जताई दोबारा टिकट की उम्मीद
अपने पति के साथ राजनीतिक मुकाबले के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, 'कांग्रेस ने अभी तक दांतारामगढ़ से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकती, लेकिन लोग बदलाव चाहते हैं।' चौधरी ने कहा कि वह विकास, पानी की समस्या और बेरोजगारी समेत अन्य मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं उनके पति वीरेंद्र सिंह ने कहा कि चुनाव उनके बीच "सीधी लड़ाई" होगी। उन्होंने कहा, "जेजेपी ने रीटा को मैदान में उतारा है और मुझे भी दोबारा टिकट मिलने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में, यह निश्चित रूप से पति-पत्नी के बीच सीधा मुकाबला होगा।"
वीरेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और नए स्कूल जैसी कई कल्याणकारी परियोजनाएं शुरू कीं और वह विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। वीरेंद्र सिंह को 2018 में कांग्रेस का टिकट मिला। उनके पिता नारायण सिंह इस सीट से सात बार 1972, 1980, 1985, 1993, 1998, 2003 और 2013 में जीते। दांतारामगढ़ सीट पर जाट मतदाताओं का दबदबा है। पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत 1951 में पहली बार इस सीट से चुने गए थे।
पति को टिकट मिलने पर क्या बोलीं विधायक साफिया?
रामगढ़ सीट से कांग्रेस का टिकट दोबारा नहीं मिलने पर मौजूदा विधायक साफिया जुबैर ने कहा कि कांग्रेस द्वारा उनके पति को चुनना एक "अच्छा" निर्णय है। जुबैर 1990, 1993 और 2003 में इस सीट से विधायक रहे। उन्होंने टिकट नहीं मिलने पर कुछ भी कहने से बचते हुए कहा, 'पार्टी ने उम्मीदवारों का चयन अच्छा किया है। हम इस सीट से लड़ेंगे और अच्छे अंतर से जीतेंगे।' उनके एक समर्थक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, 'मौजूदा विधायक होने और निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने के नाते, उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें फिर से टिकट देने पर विचार करेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।" समर्थक ने कहा, "लेकिन वह अपने पति की जीत सुनिश्चित करने के लिए स्वेच्छा से काम कर रही हैं।'
(भाषा)
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