Rajasthan Elections 2023: राजे से दीया तक...राजस्थान के रण में छह राज परिवार भीः जानिए, कौन किसके साथ और क्या रहा इतिहास
Rajasthan Elections 2023: साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कुल छह राजपरिार अपनी सियासी ताल ठोंकते नजर आए, जिनमें पांच कमल (बीजेपी) पर अपनी सियासी भूमि तलाशते दिखे, जबकि शेष एक राजपरिवार पंजे (कांग्रेस) के साथ नजर आया।
कल्पना देवी, वसुंधरा राजे और दीया कुमारी (बाएं से क्रम में)। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
Rajasthan Elections 2023: उत्तर भारत के सूबे राजस्थान की राजनीति में राजपरिवारों का लंबे समय से बड़ा रोल रहा है। सूबे के सियासी रण में आजादी के बाद से अब तक (2023) वहां पर पूर्व राजपरिवारों का अच्छा-खासा दखल दिखा है। आइए, जानते हैं कि इस बार के "मरूधरा" के विधानसभा चुनाव में जिन छह पूर्व राजपरिवारों की ओर से सियासी ताल ठोंकी गई, वे किस दल के साथ और क्या उनका इतिहास रहा है:
विश्वेंद्र सिंहसिंह भरतपुर के पूर्व राजघराने से नाता रखते हैं। वह वहां के आखिरी शासक (बृजेंद्र सिंह) के पुत्र हैं। विश्वेंद्र इसके साथ ही तीन बार सांसद और तीन बार एमएलए भी रहे। लगातार दो इलेक्शन (2013 और फिर 2018 में) जीतने वाले सिंह को सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। बीजेपी ने उनके (कांग्रेस कैंडिडेट) सामने शैलेश सिंह को टिकट दिया है।
विश्वराज सिंह मेवाड़मेवाड़ उदयपुर के पूर्व राजघराने के राजकुमार हैं, जो कि सूबे के प्रसिद्ध राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप के वंश का है। वह प्रताप के वंशज हैं। उन्होंने इसी साल अक्टूबर में भाजपा का दामन थामा था, जबकि पार्टी ने राजसमंद की नाथद्वारा सीट से टिकट दिया है। राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि बीजेपी उनके जरिए कांग्रेस के तथाकथित गढ़ कहलाने वाली इस सीट को "हथियाना" चाहती है।
कल्पना देवीलाडपुरा सीट से सिटिंग एमएलए कल्पना कोचिंग हब कहलाने वाले कोटा के पूर्व राजपरिवार की सदस्य हैं, जिन्होंने दूसरी बार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत को आजमाया है। बीजेपी ने लाडपुरा सीट (कोटा में) से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि वह महाराव राज सिंह की धर्मपत्नी हैं।
सिद्धी कुमारीसिद्धी बीकानेर से ताल्लुक रखती हैं। वह पूर्व सांसद महाराजा करणी सिंह बहादुर की पोती हैं और बीकानेर की राजकुमारी हैं। खास बात है कि वह इस सीट से चुनाव लड़ भी रही हैं और इसी सीट से पूर्व में तीन बार एमएलए (2008 से) रह चुकी हैं। कांग्रेस की ओर से इस बार उनके खिलाफ यशपाल गहलोत को टिकट दिया गया है।
दीया कुमारीजयपुर के पूर्व राजपरिवार की गायत्री देवी के दत्तक पुत्र सवाई भवानी सिंह की बेटी दीया पॉलिटिकल फील्ड में नई हैं। उन्हें राजनीति में आए करीब 10 साल ही हुए हैं। 2013 में उन्होंने अपना सियासी डेब्यू किया था। वह पहले चुनाव में सवाई माधोपुर से एमएलए बनीं। फिर 2019 में राजसमंद से सांसद रहीं, जबकि यह उनका तीसरा इलेक्शन (टिकट विद्याधर नगर सीट से मिला है) है।
वसुंधरा राजेराजे वैसे तो किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, पर एक लाइन में उनका ब्यौरा इस तरह दिया जा सकता है कि राजस्थान की पूर्व सीएम राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन हैं। ग्वालियर (म.प्र) के सिंधिया शाही परिवार से नाता रखने वाली वसुंधरा दो बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुकी हैं और इस बार के सियासी मैदान में (झालरापाटन से) हैं। 2003 से वह लगातार इस सीट पर विजय हासिल करती आई हैं।
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