जिस रेड्डी ब्रदर्स ने BJP के लिए South India में खोला था द्वार, अब उसी बना ली अलग पार्टी; क्या कर्नाटक में फंसेगी भाजपा

Reddy Brothers: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले बीजेपी के पूर्व नेता और खनन कारोबारी गली जनार्दन रेड्डी ने अपनी खुद की पार्टी कल्याण राज्य प्रगति पक्ष (केआरपीपी) बनाने की घोषणा की है। उन्होंने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि वो कर्नाटक के कोप्पल जिले में गंगावती से चुनाव लड़ेंगे।

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कर्नाटक के पूर्व मंत्री एवं खनन कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी ने बनाई नई पार्टी

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

Reddy Brothers: रेड्डी बंधु, रेडी ब्रदर्स, खनन किंग...कई नामों से पुकारे जाने वाले कर्नाटक के रेड्डी बंधु अब राजनीति में नई पारी खेलने के लिए उतर चुके हैं। एक लंबा सियासी वनवास खत्म करने की घोषणा करते हुए जनार्दन रेड्डी ने अब नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी है। माना जा रहा है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को होगा, क्योंकि रेड्डी बंधु अभी तक बीजेपी के साथ ही थे।

बीजेपी के लिए खोला था द्वार

भाजपा जब दक्षिण भारत में एंट्री की कोशिश में लगी थी, तब उसे रेड्डी बंधुओं ने ही सफलता दिलाई थी। आज भी साउथ में सबसे ज्यादा बीजेपी कर्नाटक में मजबूत है, जहां रेड्डी बंधुओं का वर्चस्व है। उन्होंने ही बीजेपी के लिए साउथ में दरवाजे खोले थे और कर्नाटक में पार्टी को मजबूत किया था। रेड्डी बंधुओं का तब सीधे भाजपा की बड़ी नेताओं में से एक सुषमा स्वराज से संपर्क था।

कौन हैं रेड्डी बंधु

रेड्डी बंधु कर्नाटक के सबसे ताकतवर परिवारों में से एक हैं। आज की तारीख में इस परिवार का नेतृत्व जनार्दन रेड्डी के पास है। इन्होंने ही पूरा साम्राज्य खड़ा किया है।जनार्दन, तीन रेड्डी भाइयों में सबसे तेज हैं। अन्य दो जी करुणाकर और जी सोमशेखर हैं। रेड्डी बंधु 2008 में येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा के चुनावी अभियान का हिस्सा थे, तब राज्य में बीजेपी पहली बार सत्ता में आई थी। तब रेड्डी बंधुओं ने ही निर्दलीय के सहारे सरकार बनवाई थी। इस सरकार में जनार्दन रेड्डी और उनके भाई मंत्री भी बने थे। तब कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ने का श्रेय भी रेड्डी बंधुओं को ही जाता है।

सुषमा स्वराज से संबंध

बात सन् 1999 की है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी अमेठी के साथ-साथ बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उतरी थीं। बीजेपी ने यहां से दिग्गज नेता सुषमा स्वराज को उतारा था। बीजेपी को उम्मीद थी कि यहां से सोनिया गांधी को वो हरा देंगे, ये उम्मीद रेड्डी बंधुओं के कारण ही बनी थी, क्योंकि बेल्लारी रेड्डी बंधुओं का गढ़ माना जाता है। हालांकि तब सुषमा स्वराज चुनाव हार गईं, लेकिन रेड्डी बंधुओं का भाजपा के साथ संबंध स्थापित हो गया।

अवैध खनन में घिरे

सत्ता आने के बाद रेड्डी बंधुओं पर आरोप लगा कि वो अवैध खनन में शामिल हो गए। उनपर केस भी दर्ज हुआ, सवालों के घेरे में भाजपा भी आई, सुषमा स्वराज पर भी कांग्रेस ने हमला बोला। सीबाआई ने मामले की जांच की, जनार्दन रेड्डी को गिरफ्तार किया गया, उनका अवैध खनन का मामला अब सबके सामने था। इस गिरफ्तारी के साथ ही 2011 में सीएम बीएस येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ गया।

सियासी वनवास

येदियुरप्पा और रेड्डी बंधुओं ने भाजपा को छोड़ दिया। अलग पार्टी बनी, 2013 में बीजेपी को हराने के लिए जोर लगाया और सफल भी रहे। कांग्रेस सत्ता में वापसी कर गई और रेड्डी बंधुओं का कारोबार संकट में घिर गया। 2014 के चुनाव से पहले येदियुरप्पा भाजपा में वापस आए। 2015 में रेड्डी बंधु भी जेल से बाहर आ गए, फिर जांच लटकती गई। 2018 में बीजेपी ने जनार्दन रेड्डी को छोड़कर उनके दो भाईयों को पार्टी में शामिल कर लिया और उन्हें टिकट भी दिया। कुछ सीटों की इंचार्ज भी बनाया गया। उन्हें जबरदस्त जीत मिली। हालांकि कांग्रेस ने जेडीएस के साथ तब सरकार बना ली। बाद में भाजपा ने जेडीएस को तोड़कर अपनी सरकार बना ली।हालांकि जनार्दन रेड्डी सत्ता से बाहर ही रहे।

अब भाजपा के लिए बने मुसीबत

अब जनार्दन रेड्डी ने सियासी वनवास को खत्म करते हुए नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। उनके दोस्त येदियुरप्पा भी सीएम पोस्ट पर नहीं हैं। कांग्रेस, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद आक्रमक दिख रही है, ऐसे में रेड्डी बंधुओं का अलग होना, भाजपा के लिए नई मुसीबत पैदा कर सकता है।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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