Saran seat : अपने पिता की सीट वापस पाना चाहती हैं रोहिणी, तो अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं रूडी

Saran Loksabha Seat: लालू प्रसाद ने इस सीट से 1977 में जनता पार्टी की लहर के दौरान एक युवा सांसद के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। इस सीट को फिर से हासिल करने पहुंचीं उनकी बेटी आचार्य ने 29 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।

सारण सीट पर चुनाव प्रचार करतीं रोहिणी आचार्य।

Saran Loksabha Seat: बिहार की सारण लोकसभा सीट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया रैली के दौरान जहां मौजूदा भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने दावा किया कि वह अपने संसदीय क्षेत्र से भारी मतों से जीत दर्ज कर रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज कराने के लिए उत्सुक हैं, वहीं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पुत्री रोहिणी आचार्य अपने पिता का गढ़ सारण वापस पाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं।

रूडी (62) ने 1996 में छपरा लोकसभा सीट से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी, जिसे 2008 के परिसीमन के बाद से सारण लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता है। वह लालू प्रसाद के साथ सीधे मुकाबले में कभी नहीं जीत सके पर संयोगवश 2013 में सारण से सांसद रहे प्रसाद के चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिये जाने के बाद से उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गयी। राजद सुप्रीमो ने हालांकि 2014 में अपनी पत्नी राबड़ी देवी और पांच साल बाद अपने बडे बेटे तेजप्रताप यादव के ससुर चंद्रिका रॉय को रूडी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा पर वह हार गए थे। राय अब प्रसाद से अलग हो चुके हैं। आचार्य (47) राजनीति में प्रवेश करने वाली अपने परिवार की छठी और अपने भाई-बहनों में चौथी सदस्य हैं।

लालू यादव को अपनी किडनी दी

पेशे से चिकित्सक आचार्य को एक कंप्यूटर इंजीनियर के साथ शादी हो जाने के कारण विदेश जाना पडा था । उन्होंने सिंगापुर में रहकर ही अपने दो बच्चों का पालन-पोषण करने का फैसला किया था। अपने पिता को ‘किडनी’ दान करने के बाद से चर्चा में आयीं आचार्य ने बाद में सोशल मीडिया पर अपनी राजनीतिक टिप्पणियों के कारण सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा।

End Of Feed