नीतीश ने तेजस्वी के साथ जाकर कर दी गलती ! जानें क्यों फेल हो रहा है महागठबंधन फॉर्मूला

Kurhani By Election 2022: नीतीश और तेजस्वी के हाथ मिलाने के बाद महागठबंधन का सबसे पहला टेस्ट नवंबर 2022 के उप चुनाव में हुआ था। उन चुनावों में जद (यू) और राजद के साथ आने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार ने महागठबंधन उम्मीदवार को हरा दिया था।

Nitish Kumar And Tejashwi Yadav

नीतीश-तेजस्वी को झटके पर झटका

मुख्य बातें
  • पिछले 2 महीने में बिहार में 3 सीटों पर हुए उप चुनाव में 2 सीटों पर भाजपा की जीत हुई है।
  • जबकि महागठबंधन एक सीट पर जीत हासिल कर पाया है।
  • कुढ़नी उप चुनाव में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने प्रचार की कमान संभाल रखी थी।

Kurhani By Election 2022: पहले गोपालगंज के उप चुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी की हार, फिर कुढनी विधानसभा उप चुनाव में महागठबंधन के साथ जद(यू) उम्मीदवर मनोज कुशवाहा की हार ने नीतीश कुमार और तेजस्वी के नई जोड़ी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीते अगस्त में जब नीतीश कुमार ने भाजपा का दामन छोड़ राजद से हाथ मिलाया था तो यही कयास लगाए जा रहे थे कि अब भाजपा की राज्य में राह आसान नहीं रह गई है। और नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी के पास जातीय समीकरणों का ऐसा गठजोड़ है, जिसके बाद वह अजेय हो जाएंगे। इस भरोसे की वजह भी इसलिए थी क्योंकि राज्य का इतिहास ऐसा रहा है कि जिस दल के साथ नीतीश कुमार ने हाथ मिलाया, उसके लिए राज्य में जीत हासिल करना बेहद आसान हो गया था।

गोपालगंज सीट और कुढ़नी की हार ने उठाए सवाल

नीतीश और तेजस्वी के हाथ मिलाने के बाद महागठबंधन का सबसे पहला टेस्ट नवंबर 2022 के उप चुनाव में हुआ था। उन चुनावों में जद (यू) और राजद के साथ आने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार कुसुम देवी ने राजद उम्मीदवार मोहन लाल गुप्ता को 1794 वोटों से हरा दिया था। यह महागठबंधन के लिए पहला झटका था। और अब कुढनी उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता 3649 वोट से जीत गए। इस बार महागठबंधन 7 दलों के साथ मिलकर जद (यू) उम्मीदवार मनोज कुमार सिंह को मैदान में उतारा था। कुढनी की हार महागठबंधन के लिए दूसरा झटका है।

इन दोनों हार के बाद तो भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग कर डाली। कुढनी उप चुनाव में महागठबंधन उम्मीदवार की हार राजद के लिए इसलिए परेशानी का सबब है कि । बहुत भरोसे के साथ तेजस्वी यादव ने अपनी जीती हुई सीट जद (यू) प्रत्याशी को सौंपी थी। जद(यू) के लिए भी कुढनी प्रतिष्ठा की सीट बन गई थी। इसीलिए जद(यू) के तमाम शीर्ष नेताओं ने कुढ़नी में जीत के लिए दिन रात मेहनत की। वहीं तेजस्वी यादव भी वहां प्रचार के लिए गए और पिता लालू प्रसाद यादव की बीमारी का इमोशनल कार्ड भी खेला। कुढ़नी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार के लिए पहुंचे। इसके बावजूद दोनों मिलकर महागठबंधन को जीत नहीं दिला पाए।

भाजपा के बड़े नेता नहीं पहुंचे फिर भी जीत

भाजपा के लिए अहम बात यह रही कि जिस तरह कुढनी में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव खुद प्रचार की कमान संभाले हुए थे, वैसा भाजपा के केंद्रीय नेताओं के तरफ से नहीं देखा गया। वह गुजरात, हिमाचल और एमसीडी चुनाव में ही नजर आए। जबकि कुढनी में राज्य के नेताओं ने ही कमाल संभाली। इसके बावजूद भाजपा की जीत उसके लिए बड़ा बूस्ट है। इसके अलावा भाजपा को हराने के दावे के साथ वीआईपी पार्टी के मुकेश साहनी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा था, इसके बावजूद वह ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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