Rajasthan: शांति धारीवाल कांग्रेस के लिए जरूरी या मजबूरी? सोनिया नाराज, जानें फिर कैसे मिला टिकट
Rajasthan Assembly Election 2023: आखिर ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी जो शांति धारीवाल को दोबारा टिकट देने पर पार्टी मजबूर हो गई। बीते 19 अक्टूबर को जब कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक थी, धारीवाल के नाम पर चर्चा शुरू हुई थी तब सोनिया गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए पूछा था कि उनका नाम सूची में कैसे है? पढ़ें पूरी इनसाइड स्टोरी।
शांति धारीवाल को दोबारा टिकट देने पर क्यों मजबूर हुई कांग्रेस।
Rajasthan Chunav News: राजस्थान कांग्रेस के वो नेता जिनसे खुद सोनिया गांधी नाराज बैठी हैं, मगर पार्टी ने उस शांति धारीवाल को दोबारा टिकट दिया जिनके नाम को लेकर कांग्रेस की बैठक में गहमा-गहमी हो गई थी। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को कांग्रेस ने 21 उम्मीदवारों की 7वीं और आखिरी लिस्ट जारी की, जिसमें सबसे प्रमुख नाम कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल का था, धारीवाल को एक बार फिर से कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है। मगर आखिर ऐसा हुआ कैसे, धारीवाल कांग्रेस के लिए जरूरी हैं या मजबूरी?
सोनिया और राहुल को करना पड़ा समझौता!
ये विवाद पिछले साल 25 सितंबर 2022 का है, जब राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के एक गुट की बगावत के चलते पार्टी के पर्यवेक्षकों को कांग्रेस विधायक दल की बैठक किए बिना ही दिल्ली लौटना पड़ा था। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में शांति धारीवाल की बैठक पर आपत्ति जताई थी। उस वक्त सूत्रों ने बताया था कि जैसे ही बैठक में शांति धारीवाल का नाम चर्चा में आया, सोनिया गांधी ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए पूछा कि उनका नाम सूची में कैसे है। सूत्र ने कहा कि जैसा कि गहलोत ने सोनिया गांधी को यह बताना चाहा कि धारीवाल साफ छवि वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री की बात टाल दी और कहा कि उन्हें भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान चरण के दौरान धारीवाल के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं। आखिरकार शांति धारीवाल को टिकट मिल गया, मतलब ये कि राहुल-सोनिया को राजस्थान में समझौता करना पड़ा।
धारीवाल के टिकट पर बनी हुई थी संशय की स्थिति
पार्टी की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के मुताबिक, धारीवाल को कोटा उत्तर और राजस्थान सरकार की मंत्री जाहिदा खान को कामा से टिकट दिया गया है। धारीवाल के टिकट को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई थी। पार्टी ने राज्य सरकार के अन्य मंत्री महेश जोशी का टिकट शनिवार को काट दिया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले धारीवाल और जोशी वे दो प्रमुख नेता है, जिन्हें 2022 में कांग्रेस विधायक दल की बैठक से अलग एक समानांतर बैठक बुलाने का जिम्मेदार माना जाता है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इसे अनुशासनहीनता बताया था। पार्टी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विश्वासपात्र और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ का टिकट काट दिया है।
क्या है पुराना विवाद? खड़गे को उठानी पड़ी थी शर्मिंदगी
सोनिया गांधी, जो उस समय पार्टी की अंतरिम प्रमुख थीं, ने खड़गे और अजय माकन को पर्यवेक्षकों के रूप में राजस्थान में कांग्रेस विधायकों की बैठक आयोजित करने के लिए भेजा था, इन खबरों के बीच कि गहलोत को उनके पद से हटाकर पार्टी प्रमुख बनाया जा सकता है। हालांकि, पार्टी विधायकों की बैठक नहीं हो पाने के बाद पर्यवेक्षक दिल्ली लौट गए। बैठक से पहले, गहलोत के करीबी माने जाने वाले विधायकों ने धारीवाल के नेतृत्व में मुलाकात की, जिसे गहलोत के वफादार को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुनने के लिए आलाकमान को एक संदेश के रूप में देखा गया। धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक से खड़गे और माकन को भारी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी और वरिष्ठ नेतृत्व के लिए चुनौती खड़ी हो गई थी। कांग्रेस ने विधायकों की समानांतर बैठक आयोजित करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले राज्य के तीन कांग्रेस नेताओं शांति धारीवाल, विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी और राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
धारीवाल और राठौड़ राज्य के उन तीन वरिष्ठ नेताओं में से थे, जिनके खिलाफ पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस जारी किया था, क्योंकि वे राज्य में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे और पिछले साल धारीवाल के आवास पर विधायकों की एक समानांतर बैठक आयोजित की थी। इस बैठक को मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत के उत्तराधिकारी को तय करने के लिये बुलाया गया था क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी अध्यक्ष पद की दौड़ में थे। धर्मेंद्र राठौड़ अजमेर उत्तर सीट से टिकट मांग रहे थे। कांग्रेस ने इस सीट से महेंद्र सिंह रलावता को मैदान में उतारा है। तीसरे नेता महेश जोशी, जिन्हें पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस जारी किया था, उन्हें पहले ही विधानसभा चुनाव के लिए टिकट देने से इनकार कर दिया गया है। उनकी जगह हवामहल से आरआर तिवारी को मैदान में उतारा गया है। कांग्रेस ने 200 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए कुल 199 उम्मीदवार घोषित किए हैं। कांग्रेस में भरतपुर विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ दी है। राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना तीन दिसंबर को होगी।
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