शिमला में BJP के लिए बड़ी चुनौती, पार्टी उम्मीदवार सुरेश कश्यप ने बताया अपनी जीत का फॉर्मूला

शिमला संसदीय क्षेत्र में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी। यह हार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कमजोर पक्ष मानी जा रही है।

सुरेश कश्यप

Shimla Lok Sabha Election: हिमाचल प्रदेश की शिमला लोकसभा सीट बेहद खास है। कांग्रेस का गढ़ रही शिमला सीट पर बीते 15 साल से बीजेपी का कब्जा है। साल 2004 में कांग्रेस के धनीराम शांडिल यहां से आखिरी बार चुनाव जीते थे। साल 2009 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी वीरेंद्र कश्यप की जीत हुई और इसके बाद से यह सीट बीजेपी के कब्जे में है। हिमाचल प्रदेश की शिमला लोकसभा सीट से बीजेपी ने फिर से सुरेश कश्यप को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस की तरफ से विनोद सुल्तानपुरी चुनावी मैदान में है। टाइम्स नाऊ नवभारत की स्पेशल संवाददाता पूनम शर्मा ने सुरेश कश्यप से चुनावों को लेकर विशेष बातचीत की।

17 विधानसभा सीटों में से 13 पर कांग्रेस काबिज

शिमला लोकसभा क्षेत्र के 17 विधानसभा सीटों में से 13 में अभी कांग्रेस विधायक काबिज हैं, जबकि तीन पर बीजेपी और एक निर्दलीय विधायक है। सोलन जिला की 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का एक भी विधायक नहीं है। इसी तरह सिरमौर जिला की 5 में से 2 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं। शिमला जिला की 7 में से 6 सीटों पर कांग्रेस विधायक हैं। शिमला जिला में बीजेपी के पास इकलौती चौपाल सीट है, जबकि शिमला जिला की रामपुर सीट मंडी संसदीय हलके का हिस्सा है। शिमला संसदीय क्षेत्र में साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी। यह हार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कमजोर पक्ष मानी जा रही है।

सुरेश कश्यप ने गिनाए मुद्दे

सुरेश कश्यप ने कहा कि हिमाचल कांग्रेस में वर्तमान में हद से ज्यादा कलह और गुटबाजी है। विधानसभा चुनाव में इन्होंने लोगों से जो झूठी गारंटी दी थी वे अब कांग्रेस के लिए गले की फांस बन गई है। आपदा के समय कांग्रेस सरकार ने राहत राशि की बंदरबांट की और चहेतों को ही आपदा में लाभ पहुंचाया, उसका भी जनता हिसाब करेगी। उन्होंने बताया कि शिमला संसदीय क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों को जनता के बीच लेकर जा रहे हैं। इसमें शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों की अलग-अलग मांगों और समस्याओं व उनके समाधान को लेकर आएंगे।
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