अब क्या होगा चाचा का भविष्य, अखिलेश जताएंगे भरोसा या फिर विधानसभा चुनाव जैसा हो जाएगा हाल?
शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश के बीच तल्खी तब से चल रही है, जब अखिलेश यूपी के सीएम थे। सत्ता को लेकर दोनों के बीच ऐसी लड़ाई हुई कि शिवपाल ने सपा को तोड़कर अलग पार्टी बना ली। हालांकि पार्टी बनाने के बाद भी शिवपाल समय-समय पर अखिलेश के साथ आते और जाते रहे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और प्रसपा नेता शिवपाल यादव
मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा प्रत्याशी डिंपल यादव बड़ी जीत की ओर बढ़ रही हैं। बीजेपी की पूरी ताकत झोंकने के बाद भी अखिलेश, यह सीट जीतने में कामयाब होते नजर आ रहे हैं। इस जीत में सपा के साथ-साथ एक और शख्स का योगदान काफी बड़ा है, अगर वो शख्स न होते तो शायद इतनी बड़ी जीत न होती या फिर बीजेपी की हार न होती। उस शख्स का नाम है शिवपाल सिंह यादव, दिवंगत नेता मुलायम सिंह के भाई और अखिलेश के चाचा।
नाराजगी, घरवापसी और फिर नाराजगी
भतीजे अखिलेश से नाराज होकर शिवपाल यादव कुछ साल पहले सपा से अलग हो गए थे। एक दो चुनाव भी लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिली। बीजेपी के साथ जाने की खबरें भी आईं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चाचा, अपने भतीजे के पास लौट आए। सपा के टिकट पर ही चुनाव लड़े और जीते भी। लेकिन जीत के बाद भतीजे अखिलेश पर फिर से चाचा शिवपाल भड़क गए। सीएम योगी से जाकर मिल आए। खबर उड़ी कि शिवपाल बीजेपी के साथ जा सकते हैं। खुलेआम भतीजे अखिलेश के खिलाफ बोलने लगे, भतीजे ने भी उन्हें आजाद कह दिया।
नेताजी की मौत और फिर से घर वापसी
इसी बीच सपा के संस्थापक और शिवपाल के बड़े भाई मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया। उनके निधन के बाद मैनपुरी सीट पर जब उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई तो अखिलेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने कुनबे को एकजुट करना और उसे बचाने रखना। खबर आई कि बीजेपी सपा को उसके ही गढ़ में मात देने के लिए शिवपाल यादव या फिर अपर्णा यादव को मैदान में उतार सकती है। इसके बाद अखिलेश ने कुनबे को बचाने के लिए अपनी पत्नी डिंपल यादव को यहां से चुनावी मैदान में उतार दिया। अब डिंपल के मैदान में उतरने से शिवपाल और अपर्णा साइड हो गए। इसके बाद अखिलेश, चाचा शिवपाल के घर गए और उन्हें मना लाए।
अब क्या होगा
चाचा शिवपाल न सिर्फ भतीजे के साथ आए, बल्कि प्रचार में खूब घूमे। सपा के लिए वोट मांगे। कुछ इसी तरह का काम उन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव के समय भी किया था। लेकिन बाद में चाचा और भतीजे में मनमुटाव हो गया। इस बार शिवपाल अपने आप को पूरी तरह से समर्पित करने की बात कह चुके हैं, हालांकि अखिलेश इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। अब सवाल ये है कि कहीं मैनपुरी जीत के बाद और चुनाव खत्म होते ही फिर से चाचा और भतीजे में नाराजगी न हो जाए। कहीं फिर से दोनों अलग न हो जाएं? हालांकि इस बार शिवपाल पूरी तरह से अखिलेश के प्रति वफादार दिख रहे हैं।
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