वो मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी, प्रणब दा ने जब अपनी बेटी को बताई थी अपने दिल की बात; बड़ा रोचक है किस्सा
Siyasi Kissa: इंदिरा गांधी ने जिस नेता को अपने शासनकाल में अपना नंबर दो बनाया था, वो देश के राष्ट्रपति तो बने लेकिन उस नेता को प्रधानमंत्री न बन पाने की कसक जिंदगी भर रही। प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए जिसके लिए आरबीआई के गवर्नर पद का नियुक्ति पत्र साइन किया था, वही मनमोहन सिंह उनसे आगे निकल गए।
इंदिरा गांधी के भरोसेमंद प्रणब मुखर्जी को किसने नहीं बनने दिया प्रधानमंत्री?
Pranab Mukherjee Interesting Story: 20 साल पहले की बात है, देश में चुनावी मौसम के दिन चल रहे थे। 5 साल तक एक मजबूत सरकार चलाने के बाद लोकसभा चुनाव 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 'शाइनिंग इंडिया' का नारा दिया, भाजपा को भरोसा था कि वो इस चुनाव में दमदार जीत हासिल करेगी। लेकिन बीजेपी के सारे अरमानों पर पानी फिर गया। जिस कांग्रेस की मैडम सोनिया गांधी को कुछ साल पहले तक विदेशी महिला कहकर नकार दिया जाता था, आलोचनाएं की जाती थीं, देश की जनता ने उसी सोनिया के नेतृत्व पर भरोसा जताया और UPA को बहुमत देकर सरकार बनाने का अवसर दिया।
उस वक्त प्रणब दा पर टिकी थीं सभी की निगाहें
अब बारी थी, प्रधानमंत्री पद के लिए ताजपोशी की। सवाल था- कौन बनेगा देश का अगला प्रधानमंत्री? कांग्रेस समेत UPA में शामिल पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने सोनिया गांधी से इस पर को ग्रहण करने का आग्रह किया, उस वक्त के राजनीतिक हालात और समीकरण शायद इस पक्ष में नहीं थे। खुद सोनिया ने पीएम पद को ठुकरा दिया जिसके बाद सभी की निगाहें प्रणब दा पर जा टिकीं, पार्टी में उनका स्थान नंबर दो पर था। पर आज की भाषा में कहा जाए तो उनके साथ खेला हो गया। इस खेला से जुड़ा एक खुलासा खुद प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने किया था। आपको उस दिलचस्प किस्से से रूबरू करवाते हैं।
जब बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने किताब में किया खुलासा
प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब 'PRANAB MY FATHER, A Daughter Remembers' में उस किस्से का खुलासा किया था, जब उनके पिता पीएम बनते-बनते रह गए। शर्मिष्ठा ने अपने किताब के जरिए ये बताया था कि 2004 में उनके पिता ने केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार बनने के समय मुझसे कहा था कि सोनिया गांधी मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी।
'वह (सोनिया गांधी) मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी'
प्रणब दा की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब 'प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स' में 2004 का एक किस्सा शेयर किया है। उन्होंने पुस्तक में उस पल का जिक्र किया है, जब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी के दौड़ से बाहर हो चुकी थीं। पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने अपने पिता के साथ फोन पर हुई बातचीत का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि जब प्रधानमंत्री पद को लेकर अपने पिता से सवाल किया तो उनके पिता प्रणब मुखर्जी ने ये जवाब दिया था कि 'नहीं, वह (सोनिया गांधी) मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी।' आपको सारी बात तफसील से समझाते हैं।
सोनिया के इनकार के बाद हर कोई रह गया हैरान
जब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस को बड़ी जीत हासिल हुई तो उस वक्त पार्टी अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी। सोनिया को UPA में शामिल पार्टियों से पूरा समर्थन भी मिल रहा था, लेकिन न जाने क्यों सोनिया ने इस पद को अपनाने से इनकार कर दिया। सोनिया के फैसले ने कांग्रेस नेताओं, गठबंधन सहयोगियों समेत पूरे देश को आश्चर्यचकित कर दिया था।
प्रणब मुखर्जी ने उस वक्त बेटी से क्या कुछ कहा था?
शर्मिष्ठा ने अपनी किताब के ‘द पीएम इंडिया नेवर हैड’ शीर्षक वाले चैप्टर में ये लिखा है कि 'प्रधानमंत्री पद की दौड़ से हटने के सोनिया गांधी के फैसले के बाद, मीडिया और राजनीतिक हलकों में तेज अटकलें थीं। इस पद के लिए प्रबल दावेदारों के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब के नामों पर चर्चा हो रही थी। मुझे कुछ दिनों तक बाबा (प्रणब मुखर्जी) से मिलने का मौका नहीं मिला, क्योंकि वह बहुत व्यस्त थे, लेकिन मैंने उनसे फोन पर बात की। मैंने उनसे उत्साहित होकर पूछा कि क्या वह प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। उनका दो टूक जवाब था, ‘नहीं, वह मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी।’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होंगे।'
कभी प्रणब दा के अंडर काम करते थे मनमोहन सिंह
ये वही मनमोहन सिंह थे, जिनका इंदिरा गांधी की सरकार में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर के पद का नियुक्ति पत्र प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री रहते हुए साइन किया था। दिलचस्प बात तो ये है कि एक जमाने में उनके अंडर काम करने वाले मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए जाने का प्रणब मुखर्जी ने कभी सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं किया। कहा जाता है कि उन्हें अपनी कुछ कमजोरियों का एहसास था। प्रणब दा को हिंदी बोलने में दिक्कत होती थी और अपने गृह राज्य पश्चिम में भी वो कांग्रेस को कभी जीत दिलवा पाने में कामयाब नहीं हो पाए थे।
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