सीटों पर खत्म नहीं हो रही कांग्रेस से रार! MP के लिए सपा ने जारी की उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 : मध्य प्रदेश में सपा चाहती थी कि कांग्रेस उसे वे सात सीटें दे जहां पिछले चुनाव में वह नंबर दो पर रही लेकिन कांग्रेस ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। सपा का कहना है कि इन सीटों पर प्रत्याशी उतारने से पहले उसने उससे कोई बात नहीं की। वहीं, कांग्रेस को लगता है कि वह इन सीटों को जीत सकती है। ऐसे में वह इन सीटों को यदि सपा को देती है तो भाजपा के खिलाफ उसकी लड़ाई कमजोर पड़ सकती है

सीट बंटवारे पर कांग्रेस-सपा में तकरार बढ़ा है।

Madhya Pradesh Assembly Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तकरार और चौड़ी होती नजर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि सपा राज्य में करीब 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है। रविवार को उसने अपने 12 प्रत्याशियों की चौथी सूची जारी कर दी। हालांकि, पार्टी ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार भी बदले हैं। इसके साथ ही सपा अब तक 42 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। कहा जा रहा है कि सीट बंटवारे पर कांग्रेस के साथ उसकी नाराजगी दूर नहीं हुई है।

सपा की चौथी लिस्ट में 12 उम्मीदवार

सपा की ओर से जारी चौथी लिस्ट में पन्ना से महेंद्र वर्मा, मनगवां से प्रीति वर्मा, ग्वालियर पूर्व से विनोद गुर्जर, मेंहगांव से देवेंद्र सिंह गुर्जर, गोविंदपुरा से विवके परिहार, बंडा से सुनील जैन, जोरा से मनीराम धाकड़, गोहद से एमएल माहौर, खरगापुर से श्यामतरन, महाराजपुर से पुष्पेंद्र यादव, छतरपुर से बेनी प्रसाद चन्सौरिया और देवतालाब से सीमा सिंह को टिकट दिया है। इनमें तीन सीटों के प्रत्याशी बदले गए हैं। पार्टी ने पहले जौरा सीट से रीना कुशवाहा, महाराजपुर से अजय तिवारी और देवतालाब सीट से रामयक्ष सोंधिया को उम्मीदवार बनाया था।

कांग्रेस को लगता है एमपी में उसकी लड़ाई कमजोर कर सकती है सपा

दरअसल, मध्य प्रदेश में सपा चाहती थी कि कांग्रेस उसे वे सात सीटें दे जहां पिछले चुनाव में वह नंबर दो पर रही लेकिन कांग्रेस ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए। सपा का कहना है कि इन सीटों पर प्रत्याशी उतारने से पहले उसने उससे कोई बात नहीं की। वहीं, कांग्रेस को लगता है कि वह इन सीटों को जीत सकती है। ऐसे में वह इन सीटों को यदि सपा को देती है तो भाजपा के खिलाफ उसकी लड़ाई कमजोर पड़ सकती है। बहरहाल, दोनों पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं।

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