1999 में ही सोनिया ने तय कर लिया था PM के रूप में मनमोहन सिंह का नाम, रणनीति के तहत लड़ाया गया चुनाव
Manmohan Singh : मनमोहन सिंह का कार्यकाल अपने घोटालों को लेकर जितना चर्चित रहा उससे कहीं ज्यादा मनमोहन सिंह की चर्चा उनके अचानक पीएम बनने पर हुई। आम तौर पर यही कहा जाता है कि सोनिया गांधी चाहतीं तो 2004 में प्रधानमंत्री बन सकती थीं।
Manmohan Singh : मनमोहन सिंह 10 वर्षों तक (2004 से लेकर 2014) देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार की अगुवाई की। इन वर्षों में मनमोहन सरकार उतार-चढ़ाव से गुजरी। उनकी सरकार पर घोटालों के आरोप और खुद मनमोहन सिंह पर कई निजी आक्षेप लगे। उनके ऊपर 2014 में संजय बारू की 'द एक्सीटेंडल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' नाम से किताब आई। इस किताब में बारू ने मनमोहन सिंह, कांग्रेस और यूपीए को लेकर कई सनसनीखेज दावे किए। हालांकि, उस समय पीएमओ ने बारू के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि किताब आर्थिक फायदे के लिए लिखी गई है। बारू 2004 से लेकर 2008 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे।
पीएम के लिए अचानक से आया था मनमोहन सिंह का नाम
मनमोहन सिंह का कार्यकाल अपने घोटालों को लेकर जितना चर्चित रहा उससे कहीं ज्यादा मनमोहन सिंह की चर्चा उनके अचानक पीएम बनने पर हुई। आम तौर पर यही कहा जाता है कि सोनिया गांधी चाहतीं तो 2004 में प्रधानमंत्री बन सकती थीं लेकिन उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और इस पद को ठुकरा दिया। हालांकि, बारू का दावा है कि सोनिया का पीएम न बनना एक राजनीतिक कदम था। बहरहाल, हम यहां बारू के दावे की चर्चा नहीं बल्कि मनमोहन सिंह के पीएम बनने की इनसाइड स्टोरी की चर्चा करेंगे। चर्चा आम है कि 2004 में यूपीए को बहुमत आने पर सोनिया गांधी ने पीएम पद के लिए मनमोहन सिंह के नाम पर हामी भरी और इसके बाद मनमोहन सिंह पीएम बने।
1999 में एक वोट से गिरी थी वाजपेयी सरकार
मनमोनह सिंह के पीएम बनने को लेकर एक और इनसाइड स्टोरी है। इसका खुलासा वीर सिंघवी ने अपनी किताब 'मैंडेट: विल ऑफ द पीपल' में किया है। अपनी इस किताब सिंघवी लिखते हैं कि 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार जब एक वोट से गिर गई तो विपक्ष के पास सरकार बनाने का मौका था। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उस वक्त इस बारे में विपक्षी नेताओं से चर्चा की लेकिन समाजवादी पार्टी खासकर मुलायम सिंह यादव के रुख की वजह से उन्होंने सरकार बनाने का दावा नहीं किया और देश को मध्यावधि चुनाव का सामना करना पड़ा।
'सोनिया कभी पीएम नहीं बनना चाहती थीं'
इस घटनाक्रम को देखकर कई लोगों ने माना कि सोनिया गांधी पीएम बनना चाहती हैं। लेकिन यह बात सहीं नहीं है। सिंघवी का कहना है कि उस समय के राष्ट्रपति केआर नारायणन की मानें तो सोनिया कभी पीएम नहीं बनना चाहती थीं। उन्होंने नारायणन से कहा था कि यदि उनके गठबंधन को सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत के आंकड़े का जुगाड़ हो जाता है तो मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। यह वाकया मनमोहन सिंह के पीएम बनने से पांच साल पहले का है। सिंह को पीएम बनाने की योजना तभी से थी। इसी रणनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को दक्षिण दिल्ली से उम्मीदवार बनाया लेकिन भाजपा के वीके मल्होत्रा ने उन्हें 30 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया।
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बारू ने अपनी किताब में किए हैं कई सनसनीखेज दावे
वहीं, बारू ने अपनी किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' में कई सनसनीखेज दावे किए। उनका दावा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री सिंह ने उनसे कहा था कि 'किसी सरकार में सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते। इससे गड़बड़ी फैलती है। मुझे मानना पड़ेगा कि पार्टी अध्यक्ष सत्ता का केंद्र हैं। सरकार पार्टी के प्रति जवाबदेह है।' बारू दावा करते हैं कि सोनिया गांधी की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद सुपर कैबिनेट की तरह काम करती थीं और सभी सामाजिक सुधारों के कार्यक्रमों की पहल करने का श्रेय उसे ही दिया जाता था। मनमोहन सिंह की अवहेलना करने का ये आलम था कि अमरीका जैसे देश की यात्रा कर वापस आने के बाद विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस बात की जरूरत भी नहीं समझी थी कि वह इस बारे में मनमोहन सिंह को ब्रीफ करें।
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