NOTA को प्रत्याशी मानने और निर्विरोध चुनाव पर रोक वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का EC को नोटिस

याचिका में कहा गया है कि नोटा को भी एक प्रत्याशी माना जाए और अगर नोटा को सर्वाधिक वोट मिले तो उस सीट पर दोबारा चुनाव कराया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट

NOTA को प्रत्याशी मानने और निर्विरोध चुनाव पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता शिव खेड़ा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान सूरत लोकसभा के निर्विरोध चुनाव का भी उदाहरण दिया गया। याचिका में कहा गया है कि नोटा को भी एक प्रत्याशी माना जाए और अगर नोटा को सर्वाधिक वोट मिले तो उस सीट पर दोबारा चुनाव कराया जाए।

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NOTA को बनाया जाने काल्पनिक उम्मीदवार

याचिका में किसी भी प्रत्याशी के खिलाफ अगर दूसरा कोई प्रत्याशी पर्चा नही दाखिल करता या पर्चा वापस ले लेता है तो भी निर्विरोध नही घोषित किया जाना चाहिए। क्योंकि चुनाव के समय ईवीएम मे नोटा (NOTA) का भी विकल्प है। याचिका मे मांग की गई है कि अगर किसी उम्मीदवार को नोटा से भी कम वोट मिलते है तो उसे किसी भी चुनाव लड़ने से पांच साल तक की रोक लगाई जाए। याचिका में नोटा को भी एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर प्रचारित किया जाए।

क्या है सूरत में निर्विरोध जीत का मामलालोकसभा चुनाव में बीजेपी का खाता तब खुल गया जब सूरत सीट पर बिना वोटिंग के ही बीजेपी जीत गई। सूरत सीट से बीजेपी कैंडिडेट मुकेश दलाल ने निर्विरोध जीत हासिल कर ली। हालांकि इसकी औपराचिक घोषणा होनी अभी बाकी है। सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो गया था। कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी अपने तीन प्रस्तावकों में से एक को भी चुनाव अधिकारी के सामने पेश नहीं कर पाए, जिसके बाद उनका नामांकन फॉर्म रद्द कर दिया गया। दलाल और कुंभानी के अलावा, सूरत लोकसभा सीट के लिए आठ और दावेदार थे। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्यारेलाल भारती वो आखिरी कैंडिडेट थे, जिन्होंने आखिरी समय में अपना पर्चा वापस ले लिया। जिसके बाद यहां सिर्फ बीजेपी कैंडिडेट ही बचे रह गए।

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गौरव श्रीवास्तव author

टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पेंच से जुड़ी हर खबर आपको इस जगह मिलेगी। साथ ही चुना...और देखें

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