तेलंगाना में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस का सबसे बड़ा सियासी दांव, जानिए क्या है रणनीति
लंबे और सफल राजनीतिक जीवन के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद कांग्रेस ने दक्षिण भारत की सियासत में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि इंदिरा अम्मा के रूप में लोगों के सामने रखी थी।
तेलंगाना में कांग्रेस का दांव
Telangana Election: साल 2023 का आखिरी विधानसभा चुनाव तेलंगाना में हो रहा है। राज्य में आज चुनाव प्रचार का आज अंतिम दिन है, ऐसे में कांग्रेस सोनिया गांधी को चुनाव प्रचार में उतार कर इमोशनल कार्ड खेल सकती हैं। हालांकि सेहत की वजह से सोनिया के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है। ऐसे में अगर आखिरी समय में सोनिया नहीं पहुंच सकी तो राहुल गांधी की मौजूदगी में उनका वीडियो संदेश जारी कर दिया जाएगा। आज दो बजे तेलंगाना के मलकाजगिरी में राहुल गांधी का रोड शो होना है। मलकाजगिरि से तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी संसद हैं, जहां लाखों का जनसैलाब उमड़ना तय है।
इंदिरा अम्मा की तर्ज पर सोनिया अम्मा का दांव
लंबे और सफल राजनीतिक जीवन के इस पड़ाव पर पहुंचने के बाद कांग्रेस ने दक्षिण भारत की सियासत में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि इंदिरा अम्मा के रूप में लोगों के सामने रखी थी। अब कुछ कुछ उसी तर्ज पर अब 78 साल की सोनिया गांधी को दक्षिण भारत मे सोनिया अम्मा के तौर पर प्रचारित कर कांग्रेस सबसे बड़ा दांव खेल रही है। तेलंगाना में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले राज्य के प्रभारी माणिकराव ठाकरे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा था वो सोनिया गांधी के अम्मा वाले स्वरूप की तस्दीक कर देता है। ठाकरे ने कहा था, जनता की भावनाओं के तहत सोनिया जी ने तेलंगाना बनाया, लेकिन 10 सालों में केसीआर ने सिर्फ राज्य को लूटा, अब 10 साल बाद जनता बदलाव चाहती है।
तेलंगाना में राहुल की रणनीति का हिस्सा है सोनिया फैक्टरराहुल गांधी तेलंगाना जीत कर सोनिया गांधी को वो गिफ्ट देना चाहते हैं जिसकी उम्मीद अलग राज्य बनने के बाद से ही पूरी पार्टी लगाए बैठी है। इसमें दो राय नहीं कि अलग तेलंगाना राज्य बनाने का सबसे बड़ा क्रेडिट सोनिया गांधी को जाता है, लेकिन सत्ता का सुख नसीब नहीं हुआ। एक सोची-समझी सोच के तहत कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाते हुए हुए केसीआर और बीजेपी के तमाम नेताओं को कांग्रेस में शामिल कराकर टिकट भी दिया। लगातार केसीआर से लेकर बीजेपी और ओवैसी की पार्टी पर जमकर निशाना साधा गया। यही वजह भी है कि तमाम सर्वे तेलंगाना में केसीआर और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर बता रहे हैं।
एक सोची समझी रणनीति के चलते मल्लिकार्जुन खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद हैदराबाद में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक हुई। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान लंबा समय तेलंगाना में दिया। हालिया पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी राहुल का सबसे ज़्यादा प्रचार हो या फिर चुनाव प्रचार से दूरी बना चुकी सोनिया गांधी की इकलौती रैली भी तेलंगाना हुई। इसके अलावा इसी रैली में सोनिया का तेलांगना बनाने का इमोशनल कार्ड चलना हो। ये सारे दांव बताते हैं कि तेलंगाना की जीत को लेकर कांग्रेस किस तरह बेताब है।
सोनिया अम्मा और तेलंगाना के बीच है गहरा जुड़ाव
सोनिया गांधी के यूपीए चेयरपर्सन रहते हुए केंद्र में सरकार बनाने में आंध्र प्रदेश की बड़ी भूमिका रही। उस दौरान भी अलग तेलगु भाषी राज्य तेलंगाना वाला आंदोलन भी चरम पर था। तमाम राजनीतिक विरोध होने के बावजूद बतौर यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी ने अलग तेलंगाना बनाने का फैसला किया। हालांकि इसका खामियाजा भी कांग्रेस को भुगतना पड़ा। एक तरफ आंध्र प्रदेश कांग्रेस सियासी तौर पर कांग्रेस रसातल में तो चली ही गई। दूसरी तरफ तेलंगाना में भी लगातार दो बार केसीआर से हार कर सत्ता से बाहर रही। ऐसे में ये माना जा रहा है कि राहुल गाँधी ने तेलंगाना के चुनाव को मां सोनिया के चलते दिल पर ले लिया है।
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करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
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