Electoral Bonds: देश के वो राजनीतिक दल, जिन्हें नहीं मिला इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा
Electoral Bonds: पांच सौ से अधिक मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने उच्चतम न्यायालय को सौंपे गये सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड का विवरण साझा किया था।
बसपा को नहीं मिला एक भी चुनावी बॉन्ड
- बहुजन समाज पार्टी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई पैसा नहीं मिला है
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को भी कोई चुनावी बॉन्ड नहीं मिला है
- भाजपा को सबसे अधिक चुनावी बॉन्ड मिला है
Electoral Bonds: देश में लोकसभा चुनाव के बीच एक बात की जमकर चर्चा हो रही है, वो है इलेक्टोरल बॉन्ड की। विपक्ष बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगा रहा है। भाजपा पलटवार कर रही है। कई पार्टियों को करोड़ों का चंदा मिला है। लेकिन देश में कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं, जिन्हें एक भी रुपया इलेक्टोरल बॉन्ड से नहीं मिला है। जिसमें मायावती की पार्टी बसपा भी शामिल है।
आज ही सामने आया डाटा
पांच सौ से अधिक मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने उच्चतम न्यायालय को सौंपे गये सीलबंद लिफाफे में चुनावी बॉन्ड का विवरण साझा किया था। निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय में डेटा पेश किया था और उसी ने रविवार को इसे सार्वजनिक किया।
किस पार्टी को नहीं मिला इलेक्टोरल बॉन्ड
- मायावती की मान्यता प्राप्त बहुजन समाज पार्टी ने आयोग को बताया है कि योजना की शुरुआत के बाद से उसे चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई पैसा नहीं मिला है। मेघालय में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी एक और ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है जिसे चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा नहीं मिला।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), ऑल-इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी लेनिनिवादी (भाकपा-माले) समेत वामपंथी दलों को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा नहीं मिला। वामपंथी दलों का कहना है कि उन्होंने सैद्धांतिक तौर पर इस रास्ते से चंदा लेने से इनकार कर दिया।
- राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, एआईएमआईएम, आईएयूडीएफ, जोरम पीपल्स मूवमेंट, असम गण परिषद, बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट, केरल कांग्रेस (मणि), दिवंगत विजयकांत की डीएमडीके, इनेलो, तमिल मनीला कांग्रेस समेत राज्यों में सक्रिय कई दलों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई चंदा नहीं लिया है।
किस पार्टी को कितना मिला इलेक्टोरल बॉन्ड
भाजपा को 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना के लागू होने के बाद से इनके (बॉन्ड के) माध्यम से सबसे अधिक 6,986.5 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई, इसके बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (1,397 करोड़ रुपये), कांग्रेस (1,334 करोड़ रुपये) और बीआरएस (1,322 करोड़ रुपये) का स्थान रहा। आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजद को 944.5 करोड़ रुपये मिले। इसके बाद द्रमुक ने 656.5 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने लगभग 442.8 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए।
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