टीपू सुल्तान पर सियासत गरम, हिमंता बिस्वा सरमा ने पूछा कौन थे 80 हजार कोडवा

Tipu Sultan vs Kodava: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में टीपू सुल्तान का मुद्दा एक बार फिर जोरशोर से उठा है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने चुनावी प्रचार में पूछा कि आखिर 80 हजार कोडवा कौन थे।

हिमंता बिस्वा सरमा, असम के सीएम

मुख्य बातें
  • टीपू सुल्तान जयंती मनाने का वादा
  • कांग्रेस ने किया लोगों से वादा
  • बीजेपी ने उठाया कोडवा मुद्दा

Tipu Sultan vs Kodava: कर्नाटक में चुनावी प्रचार का शोर सोमवार 8 अप्रैल को थम जाएगी उससे पहले हर शहर और कस्बे प्रचार के बुखार में तप रहे हैं। सियासी दल बयानों की गर्मी से उस तापमान को और बढ़ा रहे हैं। चुनाव प्रचार में(Karnataka Assembly Elections 2023) बजरंग बली, विकास, आतंकवाद, भ्रष्टाचार के साथ साथ अब टीपू सुल्तान का मुद्दा भी छाया है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा(Himanta Biswa sarma) भी चुनावी प्रचार में हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगक मैसूर के शासक स्वतंत्रता सेनानी थे तो 80 हजार कोडवा(who were kodvas) कौन थे जो मातृभूमि के लिए प्राण दे दिए। उन्होंने कहा कि नए भारत को ऐसे इतिहास की जरूरत है जिसके जरिए हमारे उन हीरो की पहचान हो जिन्होंने देश और धर्म के लिए बलिदान दिया।

टीपू सुल्तान के इर्द गिर्द प्रचार

असम के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि अगर हम इस तर्क की भी जांच करें कि टीपू सुल्तान केवल इसलिए स्वतंत्रता सेनानी हैं क्योंकि उन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, तो उन 80,000 कोडावों के बारे में क्या जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए और हमारी संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए बहादुरी से अपने प्राणों की आहुति दी? वामपंथियों का इतिहास बहुत हो गया। न्यू इंडिया को एक ऐसे इतिहास की जरूरत है जो हमारे वीरों द्वारा अपनी भूमि और धर्म की रक्षा के लिए किए गए बलिदान को पहचान सके।

टीपू सुल्तान की जयंती पर विवाद

कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों में 18वीं सदी के मैसूर के पूर्व शासक टीपू सुल्तान के इर्द-गिर्द बहस छिड़ गई है। भारतीय जनता पार्टी ने साफ कर दिया है कि आगामी चुनाव बीजेपी और कांग्रेस के बीच नहीं बल्कि वीडी सावरकर और टीपू सुल्तान के बीच लड़ा जाएगा।सरमा ने शनिवार को चुनावी राज्य कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पर निशाना साधा था और उसके नेताओं सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को टीपू सुल्तान के परिवार के सदस्य के रूप में करार दिया था।

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