Rajasthan Chunav: भाजपा के किन नेताओं को सता रहा हार का डर? अपने ही कर रहे विरोध
Rajasthan Assembly Election 2023: भाजपा ने जिन सांसदों और शीर्ष नेताओं को चुनावी मैदान पर उतारा है, उनका भारी विरोध देखा जा रहा है। कई नेताओं में असंतोष है तो कई शीर्ष नेता अपना निर्वाचन क्षेत्र बदलना चाह रहे हैं। इनमें राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया जैसे नेता शामिल है। देखना होगा कि वसुंधरा खेमे को नजरअंदाज करने का क्या नुकसान होता है।
वसुंधरा खेमे के नेताओं का टिकट कटने से BJP को कितना नुकसान?
Rajasthan Chunav News: कहा जा रहा था कि राजस्थान की सियासत में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत की जंग सबसे बड़ी है, मगर जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी कलह सामने आ रही है। भाजपा इस बार के विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेताओं पर दाव लगा रही है। राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देवी सिंह पटेल जैसे सांसदों का विरोध हो रहा है। ये विरोध कोई और नहीं बल्कि भाजपा के ही कार्यकर्ता कर रहे हैं। कई शीर्ष नेताओं को ये डर सता रहा है कि वो अपनी वर्तमान सीट से चुनाव हार सकते हैं। सूत्रों का दावा है कि कई नेता अपने निर्वाचन क्षेत्र को बदलने की चाहत रख रहे हैं।
किन-किन नेताओं को सता रहा हार का डर?
भाजपा की चुनावी रणनीति इस बार के चुनाव में थोड़ी अलग दिख रही है। इस बार सीएम का कोई चेहरा नहीं है। मगर कई ऐसे भी नेता हैं जो अपनी वर्तमान सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, वजह ये है कि उन्हें शायद अपनी हार का डर सता रहा है। राजेंद्र राठौड़ ने बीते शनिवार को ही कहा था कि अगर मेरा टिकट कट जाएगा तो मैं विरोध नहीं करूंगा। राठौड़ को शायद ये मालूम है कि उनका टिकट कटेगा भी तो उन्हें दूसरी सुरक्षित सीट से टिकट मिल सकता है। राठौड़ का ये बयान एक इशारे के तौर पर देखा जा रहा है कि वो इस बार चूरू के अलावा किसी और सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस लिस्ट में सिर्फ राठौड़ ही नहीं है, बल्कि और भी नेता हैं जो अपनी सीट छोड़कर किसी अन्य सीट से लड़ना चाहते हैं। इनमें सतीश पूनिया भी हैं जो आमेर सीट छोड़ना चाहते हैं।
इन सांसदों की टेंशन नहीं हो रही कम
जिन 7 सांसदों को टिकट मिला है उनमें राज्यवर्धन राठौड़, दीया कुमारी, नरेंद्र कुमार, भगीरथ चौधरी, किरोड़ी लाल मीणा, बाबा बालकनाथ, देवी सिंह पटेल शामिल हैं। राज्यवर्धन सिंह राठौर को झोटावाड़ा सीट से टिकट मिला है, जो वसुंधरा राजे के खास माने जाने वाले राजपाल सिंह शेखावत की सीट थी। ऐसे में भाजपा के कार्यकर्ता ही राज्यवर्धन राठौर का विरोध कर रहे हैं। अंदरखाने में ये खबर फैली हुई है कि उन्हें इस सीट पर हार का डर सता रहा है। वहीं राजसमंद से सांसद दीया कुमारी अब विधानसभा चुनाव में विद्याधर नगर से भाजपा उम्मीदवार हैं। दीया का भी जमकर विरोध हो रहा है। इस सीट से पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह का टिकट कट गया है, जिसे लेकर यहां भी भाजपा में दो फाड़ हो गया है। कहा जा रहा है कि दीया कुमारी को भी अपनी हार का डर सता रहा है, हालांकि उन्होंने अपने विरोध के मामले पर चुप्पी साध ली है।
गजेंद्र शेखावत और अर्जुन मेघवाल का समीकरण
ये कयास लगाया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को भी भाजपा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है, इसके अलावा अर्जुन मेघवाल को लेकर भी यही बात कही जा रही है। शेखावत ने ये बयान दिया कि मैं तो सिर्फ प्यादा हूं, पार्टी बोलेगी तो विधानसभा चुनाव लडूंगा, पार्टी बोलेगी तो लोकसभा चुनाव लड़ूंगा। उनके बयान से ये समझ आ रहा था कि उन्हें फिलहाल कुछ भी नहीं मालूम कि उनके साथ क्या होने वाला है। हालांकि शेखावत के करीबियों का दावा है कि वो जोधपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और मेघवाल भी बीकानेर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं।
वसुंधरा राजे के करीबियों को क्यों कटा टिकट?
विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा अलग मूड में नजर आ रही है। कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के नेताओं में टिकट को लेकर असंतोष का माहौल बना हुआ है। भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध जारी है और उनकी मांग है कि जिन लोगों ने चुनाव के लिए अपनी सीट पर तैयारी की है उनको टिकट मिलना चाहिए। हैरानी की बात यह है कि वसुंधरा राजे का गढ़ मानी जाने वाली सीटों में तिजारा, बानसूर, किशनगढ़, विद्याधरनगर, झोटवाड़ा, नगर सहित अन्य स्थानों पर आखिरी मिनट में उम्मीदवार बदले जा रहे हैं। जिससे राजे खेमे के नेताओं में काफी नाराजगी है। अब ये देखना होगा कि जिस झालरापाटन सीट से वसुंधरा राजे विधायक हैं उसे लेकर भाजपा क्या फैसला करती है।
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