मोदी और शाह के 'घर' में BJP को 2017 में मिली थी हार,जानें इस बार क्या है समीकरण

Gujarat Assembly Election 2022: साल 2017 में ऊंझा सीट से भाजपा प्रत्याशी की हार, पार्टी के लिए बड़ा झटका थी। इस सीट पर साल 1995 से भाजपा का कब्जा था। लेकिन 2017 के चुनावों में कांग्रेस की आशा पटेल ने भाजपा प्रत्याशी पटेल नारायणभाई लल्लूदास को हरा दिया था। ऐसे भाजपा मानसा सीट भी हार गई थी।

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गुजरात चुनाव में भाजपा के लिए ये 2 सीटें बेहद अहम

मुख्य बातें
  • पीएम मोदी का गांव ऊंझा विधानसभा सीट में आता है।
  • गृह मंत्री अमित शाह का गांव मानसा विधानसभा सीट में आता है।
  • भाजपा के लिए ऊंझा और मानसा सीट प्रतिष्ठा का विषय हैं।

Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनावों की रणभेरी बज चुकी है। और भाजपा (BJP) अपने 27 साल के रिकॉर्ड को बरकार रखने की जी तोड़ कोशिश रही है। करीब तीन दशकों से गुजरात में एक छत्र राज करने वाली भाजपा को, 2017 में एक बड़ा झटका लगा था। उस साल भाजपा भले ही फिर से सत्ता में वापसी कर गई थी, लेकिन उसे उन दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। जिसे भाजपा कभी हारना नहीं चाहती है। असल में पिछले चुनाव में भाजपा ऊंझा (Unjha) और मनसा (Mansa) सीट हार गई थी। ऊंझा सीट के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का (Narendra Modi) गांव वडनगर आता है, वहीं अमित शाह (Amit Shah) का गांव मानसा, मानसा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। ऐसे में भाजपा के लिए इन दोनों सीटों पर इस बार जीत प्रतिष्ठा का सवाल है।

उंझा सीट से 2017 में टूटा था भाजपा का आधिपत्य

साल 2017 में ऊंझा सीट से भाजपा प्रत्याशी की हार, पार्टी के लिए बड़ा झटका थी। इस सीट पर साल 1995 से भाजपा का कब्जा था। लेकिन 2017 के चुनावों में कांग्रेस की आशा पटेल ने भाजपा प्रत्याशी पटेल नारायणभाई लल्लूदास को हरा दिया था। हालांकि 2 साल बाद ही आशा पटेल भाजपा में शामिल हो गई थी। और 2019 के उप चुनाव में भाजपा ने यह सीट फिर से अपने नाम कर ली थी। उंझा विधानसभा के पाटीदार समुदाय का प्रभाव है। और 2017 के चुनावों के पहले पाटीदार आंदोलन का असर इस सीट पर दिखा था। इस बार कोई कसर नहीं रहे इस बार भाजपा ने कीर्तिभाई केशवलाल पटेल को टिकट दिया है।

मानसा में दो बार से जीत रही है कांग्रेस

साल 2017 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस के सुरेश कुमार पटेल ने भाजपा के अमित भाई चौधरी को हराया था। लेकिन दोनों के बीच वोटों की लड़ाई इतनी रोचक थी, कि उम्मीदवारों की सांसे अटक गई थी। कांग्रेस यहां केवल 524 वोटों से जीत पाई थी। इसके पहले 2012 में अमित भाई चौधरी कांग्रेस के टिकट जबकि उसके पहले के तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की थी। यहां पर ठाकोर वोटर चुनावों में काफी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस बार कांग्रेस ने मोहन सिंह ठाकोर को और भाजपा ने जयंती भाई पटेल को मैदान में उतारा है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

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