UP Nikay Chunav: BSP ने मेयर के लिए 64 फीसदी मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, SP के वोट बैंक में सेंध की कोशिश
राजनीतिक जानकार इसे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की बसपा की एक रणनीति मान रहे हैं।
BSP ने महापौर के लिए 64 फीसद मुस्लिम उम्मीदवार उतारे
UP Nikay Chunav: बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने अगले माह दो चरणों में होने वाले नगर निकाय चुनावों में महापौर के पदों के लिए 64 फीसद से ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर न सिर्फ राज्य की करीब 20 फीसद मुस्लिम आबादी को साधने की कोशिश की है, बल्कि समाजवादी पार्टी (SP) के परंपरागत वोट बैंक में बिखराव की संभावना भी बढ़ा दी है। राजनीतिक जानकार इसे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मुसलमानों के बीच पैठ बनाने की बसपा की एक रणनीति मान रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि इससे सपा के परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक में बिखराव हो सकता है। वहीं, सपा और कांग्रेस ने इसे वोट काटने की रणनीति करार दिया है।
बीजेपी 16 में से 14 सीटों पर काबिज
2017 में महापौर की 16 सीट में से 14 पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और दो पर बीएसपी जीती थी और सपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। बीएसपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी ने यूपी में चार मई और 11 मई को होने वाले निकाय चुनाव में नगर निगमों के महापौर की 17 सीट में से 11 सीट पर (64 फीसद से ज्यादा) मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर मुस्लिम हितैषी होने का संदेश दिया है। वहीं, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि एक-एक मतदाता जानता है कि बीएसपी ने मुसलमानों को इतने टिकट क्यों दिए। वह खुद तो जीत नहीं सकती, इसलिए किसी और के इशारे पर ऐसा किया है।
सपा ने बीएसपी को बताया बीजेपी की बी टीम
चौधरी ने बीएसपी को बीजेपी की ‘बी’ टीम बताया और कहा कि यह वोट काटने की उसकी रणनीति है, लेकिन अब सभी उसकी चाल से वाकिफ हो गए हैं। बसपा ने लखनऊ, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद, मेरठ, शाहजहांपुर, गाजियाबाद, अलीगढ़ और बरेली नगर निगमों में महापौर पद के मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। वहीं, सपा और कांग्रेस ने सिर्फ चार-चार मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। भाजपा ने महापौर की किसी भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है।
बीएसपी के मुकाबले सपा में कम मुसलमान उम्मीदवार होने पर चौधरी ने कहा कि सपा सबको साथ लेकर चलने वाली पार्टी है और उसी के अनुरूप कार्य करती है। कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि 'मुझसे ज्यादा बहन जी (मायावती) और बसपा को कोई नहीं जानता है। जब-जब इस तरह का खेल खेला गया, तब-तब पार्टी (बीएसपी) का सफाया हुआ और मुसलमानों का भी। उन्होंने कहा कि जिसका जितना हक है, उतना दो, किसी एक समाज का इतना वोट नहीं कि वह अकेले दम पर जीत जाए।
सिद्दीकी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी मुसलमानों की आबादी है और हमने 17 में से चार मुस्लिम उम्मीदवार देकर 23 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी दी है। कांग्रेस में शामिल होने से पहले सिद्दीकी लंबे समय तक मायावती के करीबी माने जाते रहे और उनकी सरकार में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। बीएसपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 12 फीसदी मत पाकर राज्य की 403 विधानसभा सीट में से सिर्फ एक सीट जीती थी। बाद में बीएसपी प्रमुख मायावती ने मुसलमानों को प्रभावित करने की मुहिम शुरू की।
बीएसपी शाइस्ता के साथ
पिछले कुछ महीनों में मुसलमानों के मामलों में वह सबसे अधिक मुखर रही हैं, यहां तक कि उन्होंने 15 अप्रैल को प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में हुई माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या पर भी राज्य सरकार और कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा किया। बीएसपी के एकमात्र विधायक उमा शंकर सिंह ने रविवार को कहा था कि शाइस्ता परवीन अभी भी पार्टी में हैं और अगर उन्हें दोषी ठहराया जाता है, तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
(पीटीआई इनपुट)
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