बंगाल में बिछी चुनावी बिसात, BJP-TMC में 42 सीटों पर घमासान, छाए रहेंगे भ्रष्टाचार, CAA और संदेशखाली जैसे मुद्दे

पश्चिम बंगाल में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद देश में तीसरी सर्वाधिक सीट हैं जिनके लिए मतदान 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होगा।

Bengal election dates

बंगाल चुनाव 2024

West Bengal Election Dates: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस और उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के बीच टकराव की बिसात बिछ चुकी है जहां 42 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। पश्चिम बंगाल में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद देश में तीसरी सर्वाधिक सीट हैं जिनके लिए मतदान 19 अप्रैल से एक जून के बीच सात चरणों में होगा। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के 'एकला चलो रे' के रुख को अपनाने के साथ उनके विपक्षी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना समाप्त हो गई है। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस अब भी वाम दलों के साथ गठजोड़ पर विचार कर रही है। दोनों दलों ने 2021 के राज्य विधानसभा चुनाव मिलकर लड़े थे।

बीजेपी ने पूरी ताकत से उठाया संदेशखाली मुद्दा

हालांकि, आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उनके बीच आधिकारिक रूप से गठबंधन की घोषणा अभी नहीं की गई है। भाजपा राज्य के मतदाताओं को लुभाने के लिए पहले की तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व और उनकी लोकप्रियता का सहारा लेगी। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 294 सदस्यीय सदन में केवल 77 सीटों से संतोष करना पड़ा था। लेकिन इस चुनाव में उसने बनर्जी के शासन में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे, संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस नेताओं के खिलाफ भूमि कब्जाने और महिलाओं के उत्पीड़न के आरोपों के सहारे पूरी ताकत झोंक दी है।

तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्टाचार का उठाया मुद्दा

इस तरह भाजपा 18 लोकसभा सीटों पर जीत के अपने पिछले आम चुनाव के आंकड़े से आगे निकलना चाहती है। राज्य में भाजपा के पास शायद सबसे बड़ा हथियार तृणमूल कांग्रेस में कथित भ्रष्टाचार का है जिससे राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को बड़ा झटका लगा है। विभिन्न मामलों में तृणमूल के कई नेता जेल में हैं। इसके अलावा संदेशखाली में तृणमूल के वरिष्ठ नेता शाहजहां शेख के आवास पर छापे के दौरान ईडी के दल पर हमले के बाद इलाके में ग्रामीणों ने शेख और उनके साथियों पर जबरन तरीके से जमीन हड़पने और महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोपों के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया। चुनाव में यह बड़ा मुद्दा रहने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी भी प्रदेश के हालिया दौरों में अपनी सभाओं में यह संकेत दे चुके हैं कि संदेशखालि का मुद्दा भाजपा के प्रचार अभियान के केंद्र में होगा।

सीएए बनेगा बड़ा मुद्दा

तृणमूल कांग्रेस राज्य में भाजपा के खिलाफ बाहरी लोगों का मुद्दा उठाती रही है। तृणमूल कांग्रेस ने गत 10 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विशाल रैली में नारा भी दिया कि जनता का गर्जन, बांग्ला विरोधियों का विसर्जन। मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी परियोजनाओं में केंद्रीय धन रोकने के पश्चिम बंगाल सरकार के आरोप भी चुनाव प्रचार का हिस्सा रहने वाले हैं। इनके अलावा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) एक बड़ा मुद्दा रहने वाला है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र द्वारा सीएए के नियमों को अधिसूचित किये जाने के तत्काल बाद इसका विरोध शुरू कर दिया। ममता बनर्जी इसे राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जुड़ी कवायद बता रही हैं। भाजपा को चुनाव से पहले सीएए को लागू करने से राजनीतिक लाभ की और खासतौर पर बंगाल के मतुआ बहुल क्षेत्रों में समर्थन मिलने की उम्मीद है।

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