एंटी इनकंबेंसी क्या है? क्यों चुनावों से पहले खूब होता है इसका जिक्र

Haryana Assembly Election 2024: लोकसभा, विधानसभा सहित तमाम चुनावों के नजदीक आते ही एंटी इनकंबेंसी का शोर तेज होने लगता है, लेकिन एंटी इनकंबेंसी है क्या? दरअसल, एंटी इनकंबेंसी को आसान शब्दों में सत्ता विरोधी लहर कहा जाता है और लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा को हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर की सुगबुगाहट को भांप लिया था तो चलिए समझते हैं इसके बारे में।

एंटी इनकंबेंसी क्या है?

Anti-incumbency: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की 90-90 सदस्यीय विधानसभा के लिए मंगलवार को जारी मतगणना में चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए। हरियाणा में जहां भाजपा हैट्रिक की ओर बढ़ते हुए दिखाई दी। वहीं, जम्मू-कश्मीर में इंडी गठबंधन का जादू चला, लेकिन चुनावों से पहले एंटी इनकंबेंसी की खूब चर्चा हो रही थी। हरियाणा में तो भाजपा ने एंटी इनकंबेंसी के चलते ही मनोहर लाल की जगह पर नायब सिंह सैनी को राज्य की कमान सौंपी थी। इसके बावजूद कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को लुभा पाने में असफल साबित हुई।

एंटी इनकंबेंसी क्या है?

एंटी इनकंबेंसी, जिसे आसान भाषा में सत्ता विरोधी लहर भी कहा जाता है। अक्सर चुनावों से पहले एंटी इनकंबेंसी को लेकर खूब चर्चा छिड़ती है। ऐसा कहा जाता है कि जब जनता एक शासन से आहत हो जाती है और चुनावों में सरकार के खिलाफ माहौल बनता है और रिजल्ट सत्तारूढ़ दल के पक्ष में नहीं जाता है तो उसे सत्ता विरोधी लहर का नाम दे दिया जाता है।
आसान शब्दों में कहें तो एंटी इनकंबेंसी का मतलब मौजूदा सरकार या जन प्रतिनिधियों के खिलाफ असंतोष की आंधी चलना है। ऐसी परिस्थिति उस वक्त उत्पन्न होती है जब जनता महसूस करती है कि मौजूदा सरकार ने उसकी अपेक्षाओं के हिसाब से काम नहीं किया है और उनके कार्यकाल में महज समस्याएं ही उत्पन्न हुई हैं।
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