Barmer Lok Sabha constituency: जिस सीट से लड़ रहे हैं रविंद्र सिंह भाटी, उस सीट पर क्या है समीकरण; कहां फंस गई बीजेपी और कांग्रेस
Barmer Lok Sabha constituency: बाडमेर में बीजेपी के लिए जमीनी स्तर पर मुकाबला कड़ा नजर आ रहा है। कैलाश चौधरी का मुकाबला न सिर्फ कांग्रेस के उम्मेद राम बेनीवाल से है, बल्कि 26 वर्षीय शिव विधायक रवींद्र सिंह भाटी से भी उन्हें चुनौती मिल रही है।
बाड़मेर सीट से चुनावी मैदान में है रविंद्र सिंह भाटी
Barmer Lok Sabha constituency: राजस्थान की बाड़मेर लोकसभा सीट की पूरे देश में इस समय चर्चा है। पहले से ही यह सीट हाई प्रोफाइल रही है, यहां से कैलाश चौधरी सांसद हैं, जो केंद्र में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री भी हैं। बाड़मेर सीट से जब रविंद्र सिंह भाटी को टिकट नहीं मिला और वो निर्दलीय मैदान में उतर गए तो यह सीट पूरे देश में चर्चित हो गई। रविंद्र भाटी के पक्ष में जिस तरह का महौल दिखा, वो अगर परिणाम में बदला तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए झटका होगा।
बाड़मेर लोकसभा सीट का समीकरण
बाडमेर में बीजेपी के लिए जमीनी स्तर पर मुकाबला कड़ा नजर आ रहा है। कैलाश चौधरी का मुकाबला न सिर्फ कांग्रेस के उम्मेद राम बेनीवाल से है, बल्कि 26 वर्षीय शिव विधायक रवींद्र सिंह भाटी से भी उन्हें चुनौती मिल रही है। यहां एक और समीकरण है, आखिरी बार 2004 में बाड़मेर लोकसभा सीट पर किसी राजपूत ने जीत दर्ज की थी, जब भाजपा के दिवंगत संस्थापक सदस्य जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह विजयी हुए थे। राजपूत समुदाय के कुछ लोग, जो भाजपा में वसुंधरा राजे के पतन को देख रहे हैं, उन्हें लगता है कि भाटी में वह सब कुछ है जो राजस्थान की राजनीति में अगला बड़ा चेहरा बनने के लिए जरूरी है। चौधरी और बेनीवाल दोनों ही जाट हैं।
बाड़मेर लोकसभा सीट पर जातीय समीकरणबाड़मेर लोकसभा सीट पर जाट लगभग 4.5 लाख, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति लगभग 4 लाख, राजपूत 3 लाख, मुस्लिम लगभग 2.7 लाख, और ओबीसी लगभग 6.5 लाख हैं। भाटी को ओबीसी और राजपूत वोटों पर भरोसा है, कांग्रेस में गुटबाजी के कारण मुस्लिम समर्थन मिल रहा है, साथ ही कांग्रेस और भाजपा दोनों द्वारा जाट नेताओं को मैदान में उतारने के कारण जाट वोटों का विभाजन हो रहा है। इसके अलावा, उन्हें युवा और महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए देखा जा रहा है।
कांग्रेस के रास्ते में कांटे ही कांटे
कांग्रेस के गणित में जाट, एससी और मुस्लिम वोट शामिल हैं, जाटों को राज्य में भाजपा से नाराज माना जाता है, खासकर शेखावाटी में। हालांकि, पूर्व मंत्री अमीन खान सहित कई कांग्रेस नेता पार्टी से नाखुश हैं। संयोग से अमीन शिव से विधानसभा चुनाव में भाटी से हार गए थे, क्योंकि कांग्रेस के बागी फतेह खान की मौजूदगी के कारण वोट बंट गए थे। फतेह को पहले कांग्रेस ने निष्कासित कर दिया था, लेकिन अब उन्हें वापस ले लिया गया है। जाटों की पार्टी मानी जाने वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के पूर्व नेता कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेद राम बेनीवाल को अपने प्रचार में आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल का भी समर्थन नहीं मिल रहा है। आरएलपी और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें
अरविंद केजरीवाल, CM आतिशी और भगवंत मान आज करेंगे चुनाव आयोग से मुलाकात, देंगे नोटिस का जवाब
राजिंदर नगर में किसका दिखेगा दमखम, कौन होगा पानी कम? भाजपा और आप के गढ़ पंजा का का कितना भौकाल; देखें समीकरण
'दिल्ली की सभी 70 सीटें जीतेगी आम आदमी पार्टी'; पूरी दुनिया से अलग होती है अखिलेश यादव की भविष्यवाणी
केजरीवाल पर अन्ना हजारे का बड़ा हमला, बोले- उनको सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता की आदत
Patel Nagar Vidhan Sabha Chunav 2025: पटेल नगर विधानसभा सीट पर चौथी बार AAP मारेगी बाजी या खिलेगा कमल? समझें पूरा समीकरण
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited