लोकसभा इलेक्शन 2024: क्या होती है आदर्श आचार संहिता? जानिए इससे जुड़ी A B C D
Adarsh Achar Sanhita Kya hai: क्या आप जानते हैं कि आदर्श आचार संहिता क्या है? इसके नियम-कानून क्या हैं? इसे लागू कौन करता है? इसके लागू होने पर क्या-क्या नहीं किया जा सकता है? इसी तरह के तमाम सवालों के जवाब आपको हम इस रिपोर्ट में दे रहे हैं। नीचे पढ़ें...।
आदर्श आचार संहिता से जुड़े हर सवालों के जवाब।
what is model code of conduct in hindi: भारत में किसी भी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा या अधिसूचना जारी की जाती है तो उसके बाद जहां चुनाव होने हैं वहां 'आदर्श आचार संहिता' लागू हो जाती है। ये संहिता मतगणना पूरी हो जाने तक यानी चुनावी नतीजे आने तक लागू रहती है। 'आदर्श आचार संहिता' का नाम सुनते ही हर किसी के जेहन में तमाम सवाल खड़े होने लगते हैं, जैसे- आदर्श आचार संहिता क्या है? इसके नियम-कानून क्या हैं? इसे लागू कौन करता है? आपको इसी तरह के सारे सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में दे रहे हैं।
आदर्श आचार संहिता क्या है?
लोकतंत्र की बुनियाद निष्पक्षता है और जब बात चुनाव की हो तो निष्पक्षता के साथ-साथ पारदर्शिता का होना अहम हो जाता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव कराने के लिए अहम नियम-कानून हैं। 'आदर्श आचार संहिता' चुनाव के दौरान पैदा होने वाली चुनौतियों को कम करती हैं। चुनाव लड़ने वाली पार्टियां और उम्मीदवार जब मतदाताओं के बीच वोट मांगने जाते हैं तो तमाम हथकंडे आजमाते हैं, अपने पक्ष में हवा बनाने की हर कोशिश करते हैं, जिससे सभी को बराबर मौका दे पाना बड़ी चुनौती बन जाती है। लोकतंत्र में समानता का अधिकार है, ऐसे में आदर्श आचार संहिता इस अधिकार को कायम रखने में अहम भूमिका का निर्वहन करती है।
कब लागू होती है आचार संहिता?
निर्वाचन आयोग की ओर से जब भी किसी राज्य या भारत के आम चुनावों की तारीखों का ऐलान होता है, कार्यक्रम की घोषणा होती है, तो शेड्यूल जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है, जो चुनावी परिणाम आने तक जारी रहती है।
आदर्श आचार संहिता लागू होते ही सरकारों और प्रशासन पर कई तरह के अंकुश लग जाते हैं।
सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के तहत आ जाते हैं।
आदर्श आचार संहिता में सत्ताधारी पार्टी के लिये कुछ खास गाइडलाइंस दी गई हैं।
सरकार, मंत्रियों और अन्य अधिकारी इस दौरान अनुदानों, नई योजनाओं आदि का ऐलान नहीं कर सकते हैं।
मंत्रियों और सरकारी पदों पर तैनात लोगों को सरकारी दौरे में चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं होती है।
सरकारी पैसे का इस्तेमाल कर विज्ञापन जारी नहीं किये जा सकते हैं। इस दौरान पोस्टर-बैनर पर भी बैन होता है।
उम्मीदवार या पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिये चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ती है।
चुनावी प्रचार से संबंधित रैली या जुलूस के लिए नजदीकी थाने में इससे जुड़ी जानकारी देनी होती है।
क्या हैं आदर्श आचार संहिता के मकसद?
आदर्श आचार संहिता में चुनाव के लिए दिशा-निर्देश निहित हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना अनिवार्य होता है। इसके नियमों का मकसद होता है कि चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष और साफ-सुथरा बनाया जाए। सत्ताधारी राजनीतिक दलों को गलत फायदा उठाने से रोका जाए, साथ ही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना भी इसके मकसदों में शामिल है।
कौन लागू करता है आचार संहिता?
भारतीय निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव कार्यक्रम जारी होते हैं, आयोग ही चुनाव होने वाले क्षेत्र में आदर्श आचार संहिता को लागू करता है। जो किसी भी राजनीतिक दल और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिये आचरण एवं व्यवहार का एक पैरामीटर माना जाता है। खास बात ये है कि आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है, बल्कि इसे राजनीतिक दलों की सहमति से बनाया और विकसित किया गया है।
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आयुष सिन्हा author
मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो...और देखें
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