जब अटल ने की थी खुद को ही हराने की अपील, मथुरा में जमानत हुई थी जब्त, 1957 चुनाव का दिलचस्प किस्सा

अटल ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था तो उनकी जमानत जब्त हो गई थी। लेकिन इसका किस्सा बेहद दिलचस्प है। आप भी जानकर चौंक जाएंगे कि अटल को यहां क्यों हार मिली थी।

अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा सियासी किस्सा

Atal Bihari Vajpayee: चुनावी किस्से में आज बात पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी उस कहानी की जिसे लोग आज भी नहीं भुला पाए हैं। कहानी लोकसभा चुनाव में मथुरा से उनकी हार से जुड़ी हुई है। हार भी ऐसी कि वह अपनी जमानत जब्त करवा बैठे थे। मंदिरों के शहर मथुरा से अटल का गहरा रिश्ता था। 1957 में इस सीट से लोकसभा चुनाव में उनकी करारी हार हुई थी। अपने 60 साल के राजनीतिक करियर में वाजपेयी ने पांच बार चुनाव हारे, लेकिन शायद उनकी सबसे बुरी हार मथुरा में हुई थी। उन्होंने राजा महेंद्र प्रताप सिंह (निर्दलीय) के खिलाफ चुनाव लड़ा और यहां उनकी जमानत जब्त हो गई थी। लेकिन इसका किस्सा कई मायनों में बेहद दिलचस्प है। आप भी जानकर चौंक जाएंगे कि अटल को यहां क्यों हार मिली थी।

अटल ने तीन जगहों से लड़ा था चुनाव

दरअसल, उन्होंने 1957 में तीन सीटों- लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ा था और बलरामपुर संसदीय क्षेत्र से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। मथुरा के उनके पुराने सहयोगियों में से एक बांके बिहारी माहेश्वरी बताते हैं कि हालांकि वाजपेयी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा, लेकिन ये हार उन्होंने खुद ही अपने गले लगाई थी। तब वाजपेयी ने अपनी चुनावी रैलियों में लोगों से खुद ही कहा था कि उन्हें राजा महेंद्र प्रताप को वोट देना चाहिए, मुझे नहीं। उन्होंने कहा कि मेरा मकसद चुनाव जीतना नहीं बल्कि कांग्रेस की हार सुनिश्चित करना है।
माहेश्वरी कहते हैं, अटल जी मथुरा संसदीय क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं के बहुत करीब थे और हमेशा उनके संपर्क में रहते थे। उनकी हार से कुछ भी नहीं बदला, क्योंकि वह जानते थे कि एक मजबूत आधार कैसे बनाया जाता है। अटल दूसरों का सम्मान करते थे और यही कारण है कि हर कोई उनका सम्मान करता था और उनसे प्यार करता था।
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