कभी जीप को लगाया धक्का, तो कभी घोड़ी पर चढ़कर प्रचार करने पहुंचे, आज भी रोमांचित करते हैं वाजपेयी के किस्से

Atal Bihari Vajpayee throwback stories: बलरामपुर में मतदाताओं से संपर्क करने के लिए अटल जी को गांव-गांव जाना पड़ता था। उस समय गांव के रास्ते ऊबड़-खाबड़ और कच्चे थे। पगडंडियों से होकर अटल जी के साथ कार्यकर्ताओं का कारवां गांवों में जनसंपर्क के लिए पहुंचता था।

Political Throwback

चुनावी किस्से।

Atal Bihari Vajpayee throwback stories: राजनीति की पगडंडियां सपाट नहीं बल्कि ऊबड़-खाबड़ और आड़ी-तिरछी होती हैं। यहां केवल तीखी बयानबाजी और कठोर निर्णय ही नहीं, बल्कि दिलचस्प और रोचक कहानियां भी हैं। भारतीय राजनीति से जुड़े एक से बढ़कर रोचक किस्से लोगों की जुबान पर हैं। ये किस्से लोगों को आज भी रोमांचित और आनंदित करते हैं। नेताओं के राजनीतिक जीवन के ये किस्से उनके खांटी राजनीति से अलग उनके मानवीय पहलू से अवगत कराते हैं। यहां हम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े एक किस्से का जिक्र करेंगे। यह किस्सा वर्षों से लोगों की जुबान पर है।

1957 में बलरामपुर से उम्मीदवार थे वाजपेयी

बात दूसरे आम चुनाव की है। साल 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के टिकट पर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से चुनाव मैदान में थे। वाजपेयी उस समय युवा थे और प्रखर एवं मुखर वक्ता के तौर पर उनकी पहचान बन गई थी। चुनाव प्रचार के लिए वह जहां भी जाते थे, उन्हें सुनने के लिए भारी भीड़ जमा हो जाती थी। वह जमाना दूसरा था। प्रचार कार्य के लिए वाहनों का बंदोबस्त भी बड़ी मुश्किल से हो पाता था। बलरामपुर में प्रचार करने के लिए जनसंघ ने एक जीप की व्यवस्था की थी। यह जीप भी पुरानी थी

खेतों की पगडंडियो से होकर गांवों तक पहुंचते थे

बलरामपुर में मतदाताओं से संपर्क करने के लिए अटल जी को गांव-गांव जाना पड़ता था। उस समय गांव के रास्ते ऊबड़-खाबड़ और कच्चे थे। खेत की पगडंडियों से होकर अटल जी के साथ कार्यकर्ताओं का कारवां गांवों में जनसंपर्क के लिए पहुंचता था।

जीप बंद हो गई, तो उसे धक्का लगाया

पार्टी ने जो जीप उपलब्ध कराई थी वह दो-तीन किलोमीटर चलकर खड़ी हो जाती थी। बलरामपुर सदर विधानसभा क्षेत्र के सिंगाही गांव में चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए जा रहे थे तो जीप चलते-चलते बीच रास्ते में खड़ी हो गई। सभी साथी जीप से नीचे उतर गए। इतने में अटल जी जीप से नीचे उतरकर बोले कि मैं जीप में बैठा रहूं और आप लोग धक्का दें, अच्छा नहीं लगता है। एक किलोमीटर तक अटल जी ने जीप में धक्का लगाया। अटल जी का यह स्वभाव देखकर उनके साथ मौजूद लोग दंग रह गए। वाजपेयी जी द्वारा जीप को धक्का लगाने वाली बात ने उनके मन पर गहरा असर डाला। धीरे-धीरे यह बात जंगल की आग की तरह पूरे देश में फैल गई। इस बात का उनके विरोधी भी प्रशंसा करने से खुद को रोक नहीं पाए।

घोड़ी पर चढ़कर चुनाव प्रचार करने पहुंचे

घोड़ी पर चढ़कर चुनाव प्रचार करने पहुंचे अटल जी का किस्सा भी काफी मशहूर है। यह किस्सा 1957 के लोकसभा चुनाव का है। वाजपेयी को बलरामपुर के ही उतरौला तथा रेहरा बाजार में चुनावी जनसभा को संबोधित करना था। रात में मूसलाधार बारिश के कारण कच्ची सड़कों पर जलभराव हो गया। चालक ने कीचड़ में वाहन ले जाने में असमर्थता जताई। इस पर उन्होंने एक परिचित के यहां से एक घोड़ी मंगाई। घोड़ी से ही अटल जी जनसभाओं को संबोधित करने पहुंचे और बाद में जनसंपर्क भी किया। चुनाव प्रचार में वाजपेयी का अलग अंदाज होता था। कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय नेताओं से उनकी कोई दूरी और कोई भेद नहीं होता था। उनका मिलनसार व्यक्तित्व को सभी पसंद करते थे।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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