सियासी किस्सा : जब आईके गुजराल ने संजय गांधी को लगाई फटकार, फिर गंवानी पड़ी कुर्सी

Sanjay Gandhi : संजय गांधी की यह मांग गुजराल को पसंद नहीं आई और उन्होंने सीधे कह दिया कि ऐसा करना संभव नहीं है। गुजराल ने कहा कि एआईआर पर समाचार को प्रसारित होने से पहले वह खुद भी उन्हें नहीं देखते हैं।

IK Gujral

संजय गांधी और आईके गुजराल से जुड़ा सियासी किस्सा।

मुख्य बातें
  • यह किस्सा आपताकाल के दौर का है, इंद्र कुमार गुजराल उस समय इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री थे
  • संजय गांधी ने कहा था कि एआईआर पर समाचार प्रसारित होने से पहले उसकी स्क्रिप्ट उन्हें दिखाई जाए
  • गुजराल ने कहा कि ऐसा संभव नहीं है, वह खुद भी स्क्रिप्ट नहीं देखते, इससे संजय गांधी नाराज हो गए

Sanjay Gandhi : भारतीय राजनीति अपने किरदार और किस्सों से भरी पड़ी है। कुछ कहानियां और किस्से ऐसे भी हैं जिनके बारे में शायद ही लोगों को पता हो। ये किस्से ज्वलंत दस्तावेज के रूप में कहीं किताबों के तो कभी कुछ लोगों की याददाश्त का हिस्सा हैं। यहां हम एक ऐसे ही किस्से का जिक्र करेंगे जिसके बारे में वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी ने बताया है। यह किस्सा पू्र्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उनके बेटे संजय गांधी और इंद्र कुमार गुजराल से जुड़ा है। सांघवी ने अपनी किताब 'मैंडेट : विल ऑफ द पीपल' में इनसे जुड़े रोचक किस्से के बारे में बताया है।

आपातकाल के दौर का है किस्सा

यह कहानी आपातकाल के दौर की है। इंद्र कुमार गुजराल उस समय इंदिरा गांधी की सरकार में मंत्री थे। एक बार संजय गांधी गुस्से में उनके पास पहुंचे और उनसे कहा कि वह ऑल इंडिया रेडियो (AIR) पर समाचारों के प्रसारित होने से पहले उसकी स्क्रिप्ट देखना चाहेंगे। संजय की यह मांग गुजराल को पसंद नहीं आई और उन्होंने सीधे कह दिया कि ऐसा करना संभव नहीं है। गुजराल ने कहा कि एआईआर पर समाचार को प्रसारित होने से पहले वह खुद भी उन्हें नहीं देखते हैं। दोनों में विवाद बढ़ने पर इंदिरा गांधी ने दखल दी। इंदिरा ने संजय को समझाया और उनसे इस बकझक को भूल जाने के लिए कहा। तत्कालीन पीएम ने कहा कि इस मामले को बाद में देखा जाएगी।

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पीएम आवास पर बुलाए गए गुजराल

किताब के मुताबिक इस घटना के कुछ दिनों बाद गुजराल को इंदिरा के आवास पर बुलाया गया। गुजराल जब आवास पहुंचे तो वह अपने कार्यालय के लिए निकल चुकी थीं। आवास पर संजय गांधी थे। गुजराल जब घर के अंदर दाखिल हुए तो उन्होंने देखा कि उनके सामने संजय गांधी खड़े हैं। संजय ने कड़ी आवाज में गुजराल से कहा कि ऐसे नहीं चलेगा तो गुजराल ने भी तेज तर्रार आवाज में कहा, 'जब तक कि मैं हूं यहां काम काज ऐसे ही चलता रहेगा।'

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गुजराल से इस्तीफा देने के लिए कहा गया

गुजराल यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि 'अपने से बड़े नेताओं से कैसे बात की जाती है, इसके बारे में आपको थोड़ी तमीज सीखने की जरूरत है। मैं आपकी मां की सरकार में एक मंत्री हूं।' इस घटना के कुछ दिनों बाद गुजराल से कहा गया कि वह अपने पद से इस्तीफा दे दें। गुजराल के त्यागपत्र वाली बात इस समय राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बन गई। संजय गांधी का बर्ताव कांग्रेस के कई नेताओं को पसंद नहीं आया। बताया जाता है कि संजय गांधी की बर्ताव नेताओं और नौकरशाहों के साथ अच्छा नहीं था। वह अपनी एक समानांतर सरकार चलाते थे। उनकी बात न मानने वाले लोगों को काम से छुट्टी कर दी जाती थी।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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