चुनावी सभा में जब 'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी पर पत्थर फेंक कर तोड़ दी गई थी नाक, उसके बाद...

Indira Gandhi broken nose in election rally: देश की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी के कार्यकाल के यूं तो तमाम किस्से हैं उन्हें आयरन लेडी (iron lady indira gandhi) के नाम से पुकारा जाता था, 1967 के चुनाव की एक रैली में इंदिरा गांधी की नाक पत्थर मारकर तोड़ दी गई फिर भी उन्होंने अपनी स्पीच जारी रखी।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी घूम-घूमकर देशभर में चुनाव प्रचार कर रही थीं

Indira Gandhi broken nose in 1967 election: लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया जारी है और नेता जनता को लुभाने में लगे हैं और कोई भी दल किसी से पीछे नहीं रहना चाहता है इसके लिए सभी हथकंडे अपनाए जा रहा है, बात आज यहां 1967 में देश में हुए आम चुनाव की कर रहे हैं जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी घूम-घूमकर देशभर में चुनाव प्रचार कर रही थीं तभी उड़ीसा की एक चुनाव जनसभा में इंदिरा गांधी के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से उन्हें अपनी नाक का ऑपरेशन (indira gandhi nose operation) कराना पड़ा जिसके बारे में आप भी जानिए कि क्या था वो वाकया...

आपने सुना होगा कि लोग कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपनी नाक की प्लास्टिक सर्जरी कराई थी पर ये हकीकत नहीं है उनसे जुड़े जानकर बताते हैं कि कि एक चुनावी सभा में कुछ उपद्रवियों ने इंदिरा पर पत्थर फेंकें थे जिसमें से एक सीधे आकर उनकी नाक पर लगा और खून बहने लगा।

'आयरन लेडी' इंदिरा गांधी की नाक पर लगा था पत्थर

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी 1967 के चुनाव के लिए प्रचार का दमखम बनाने के लिए देश का दौरा कर रही थीं, इसी कड़ी में वो ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर पहुंची, उस रैली में पहुंचे लोगों की भीड़ में कुछ उपद्रवी भी शामिल थे और इंदिरा गांधी जिस वक्त भाषण दे ही रही थीं कि उपद्रवियों ने मंच की ओर पथराव करना शुरू कर दिया जिससे अफरा तफरी मच गई तभी एक पत्थर सीधे आकर उनकी नाक पर लगी और खून बहने लगा।

indira gandhi Siyasi Kissa in 1967 election

नाक से बहते खून को रूमाल से दबाकर देती रहीं भाषण

पर बताते हैं कि इंदिरा गांधी इससे जरा भी विचलित नहीं हुईं और वह नाक से बहते खून को रूमाल से दबाकर भाषण देती रहीं, हालांकि उनके सुरक्षा अधिकारी उन्हें मंच से हटा ले जाना चाहते थे वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता भी उनसे आग्रह करते रहे कि वो मंच छोड़कर पीछे बैठ जाएं पर इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी और अपनी स्पीच जारी रखी।

End Of Feed