जब नेहरू को 'विमान से चुनाव प्रचार' के लिए लेनी पड़ी थी इजाजत, दिलचस्प है किस्सा

भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार (PM in Election Campaign) के लिए भी सरकारी विमान का इस्तेमाल कर सकते हैं, पर इस बात की परंपरा उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (PM Jawaharlal Nehru) ने डाली थी, 1951 के आम चुनाव में नेहरू को एयरफोर्स के विमान (Air Force Plane) के इस्तेमाल की बकायदा इजाजत लेनी पड़ी थी और उसका किराया भी भरा था।

Jawahar Lal Nehru Use Airforce Plane

उस वक्त जवाहर लाल नेहरू स्टार प्रचारक जैसी हैसियत रखते थे

आज की तारीख में चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का प्रचार के लिए आधुनिक साधनों का उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है, पर हमेशा से ऐसा नहीं था बात करें भारत में पहले के चुनावों की तो उस समय ना प्रचार के इतने साधन थे ना ही बड़े नेताओं आने-जाने के लिए लिए परिवहन के साधन सो ऐसी स्थिति में प्रचार बहुत ज्यादा दूर तक नहीं हो पाता था, यहां हम आपको ऐसे ही सियासी किस्से (Siyasi Kisse) का जिक्र कर रहे हैं जब साल 1951 में देश के पहले आम चुनाव हुए थे तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को चुनाव प्रचार (Jawaharlal Nehru Election Campaign) के लिए सरकारी विमान (Plane) के लिए इजाजत लेनी पड़ी थी तब कहीं जाकर वो देश के कई हिस्सों में जाकर चुनाव प्रचार कर पाए थे।
उस वक्त जवाहर लाल नेहरू स्टार प्रचारक जैसी हैसियत रखते थे और उनसे प्रचार की भारी डिमांड थी प्रत्याशी उन्हें प्रचार के लिए अपने क्षेत्र में बुलाना चाहते थे, देश के पहले आम चुनाव के समय यह सवाल उठा था कि क्या प्रधानमंत्री चुनाव दौरे के लिए सरकारी विमान का इस्तेमाल कर सकते हैं? ये बड़ा सवाल था, पर इस बारे में जवाहर लाल नेहरू ने इस मामले में खुद कोई फैसला नहीं किया बल्कि उन्होंने राय मशविरा करके पहले अफसरों की उच्चस्तरीय कमेटी बना दी थी।

'चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधान मंत्री की सुरक्षा को लेकर हम चिंतित हैं'

तात्कालिक इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक ने कहा था कि अगले आम चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधान मंत्री की सुरक्षा को लेकर हम चिंतित हैं। जवाहर लाल नेहरू की जान पर खतरा बरकरार है वो चाहते थे कि सरकार ऐसी कोई व्यवस्था कर दे नियमानुसार भुगतान कर प्रधान मंत्री चुनाव प्रचार के लिए इंडियन एयरफोर्स के विमान का इस्तेमाल कर पाएं।

किसी अन्य काम के लिए वायु सेना के विमान का इस्तेमाल नहीं हो सकता था

ऐसा इसलिए क्योंकि दिक्कत ये थी कि सरकारी काम के अलावा किसी अन्य काम के लिए भारतीय वायु सेना के विमान का इस्तेमाल नियमतः नहीं हो सकता था तब उसका हल ये निकाला गया कि कैबिनेट सचिव एन.आर. पिल्लई ने सलाह दी कि इस मुद्दे पर विचार के लिए एक उच्चस्तरीय सरकारी कमेटी बना दी जाए।
फिर क्या था प्रधानमंत्री से कैबिनेट सचिव ने बातचीत की और तीन सदस्यीय समिति बना दी गई कैबिनेट सचिव उसके अध्यक्ष बने इस समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसमें प्रधान मंत्री की निजी सुरक्षा के पहलू को दर्शाते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पर जोर दिया गया।

'प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है'

इसके बाद इसे नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक यानी CAG को सौंप दिया गया उन्होंने उन कागजात पर गौर किया उसके बाद उन्होंने कहा कि अभी देश की स्थिति असामान्य है प्रधानमंत्री की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है, इसको ध्यान में रखते हुए उन्हें वायु सेना के विमान के उपयोग की सलाह दी जा सकती है और उन्होंने कैबिनेट सचिव की सिफारिश को मंजूर कर लिया।

'किसी अगले प्रधान मंत्री के लिए यह पूर्व उदाहरण नहीं बनेगा'

चूंकि इस बारे में पहले कोई नियम नहीं था उस वक्त इस मुद्दे पर CAG ने कहा था कि ' खास परिस्थिति में सिर्फ जवाहरलाल नेहरू ही उचित भाड़ा देकर चुनाव प्रचार के लिए वायु सेना के विमान का इस्तेमाल कर सकते हैं पर इसे पूर्व उदाहरण नहीं माना जाएगा यानी अगले किसी प्रधानमंत्री को इसकी छूट नहीं मिलेगी'

तय ये भी हुआ कि नेहरू अपना किराया देंगे

फिर विचार विमर्श के बाद तय ये भी हुआ कि नेहरू अपना किराया देंगे, उनके साथ जो सुरक्षाकर्मी रहेंगे उनका खर्च सरकार वहन करेगी, चूंकि वो देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे हैं वहीं अगर कोई कांग्रेस का नेता उस विमान में सफर करता है, तब भी उसको किराया देना होगा, तो इस प्रकार नेहरू के चुनाव प्रचार में विमान का मसला हल हुआ।

हवाई जहाज के अलावा गाड़ी, रेल और नाव तक के जरिए भी किया चुनाव प्रचार

साल 1951 में वायु सेना के पास सिर्फ कुछ डकोटा विमान ही थे जवाहर लाल नेहरू ने तब उसी का इस्तेमाल किया था, उस वक्त नेहरू ने हवाई जहाज के अलावा कार, रेल और नाव आदि साधनों के जरिए चुनाव प्रचार किया था बताते हैं कि जब जवाहर लाल नेहरू चुनाव दौरे पर होते थे तो वे जरूरी सरकारी काम यात्रा के बीच ही निपटाते जाते थे।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited