जब सास इंदिरा से गुस्सा होकर मेनका गांधी जेठ राजीव के खिलाफ अमेठी से लड़ीं थी चुनाव

Maneka Gandhi vs Rajiv Gandhi in Amethi 1984: देश के शक्तिशाली गांधी परिवार में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की मौत के बाद उनकी पत्नी मेनका गांधी (Maneka Gandhi) राजनीति में पैर जमाना चाह रही थीं इंदिरा को ये पसंद नहीं आया बाद में मेनका ने 1984 में अमेठी (Amethi) से अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था।

Maneka Gandhi vs Rajiv Gandhi in Amethi in 1984

मेनका ने 1984 में अमेठी से राजीव गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था

मुख्य बातें
  • मेनका गांधी ने संजय के करीबी अकबर अहमद के साथ 'राष्ट्रीय संजय मंच' की स्थापना की
  • 1984 में मेनका गांधी ने राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से आम चुनाव लड़ा
  • इस लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी ने मेनका को 3.14 लाख से अधिक वोटों से हराया
Maneka Gandhi vs Rajiv Gandhi: भारत की राजनीति में गांधी परिवार का अलग ही रूतबा है और देश पर शासन भी लंबे समय तक किया है, वहीं इनमें आपसी अंतर्कलह भी कम नहीं, हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी की, बताते हैं कि संजय गांधी की हादसे में मौत के बाद इंदिरा बड़े बेटे राजीव गांधी को अपने उत्तरााधिकारी के रूप में आगे कर रही थीं ये बात मेनका से सहन नहीं हुई और बात आगे बढ़ गई, यहां तक कि अमेठी लोकसभा सीट से मेनका अपने ही जेठ राजीव गांधी के खिलाफ 1984 में लोकसभा चुनाव लड़ गईं थीं।
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की मौत एक विमान हादसे में साल 1980 को हो गई थी, अपने पति के संसदीय क्षेत्र अमेठी से मेनका गांधी चुनाव लड़ना चाहती थीं पर उनकी उम्र आड़े आ गई यानी वो 25 साल की नहीं थी, जो भारत में चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु थी।

इंदिरा ने उपचुनाव राजीव गांधी को अमेठी से चुनाव लड़वाया

इसके लिए मेनका ने अपनी सास और देश की तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कहा कि संविधान में संशोधन कर चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु कम कर दें पर इंदिरा गांधी ने ऐसा नहीं किया और उस वक्त उपचुनाव में अपने बड़े बेटे राजीव गांधी को अमेठी से चुनाव लड़वाया और वो जीते भी।

मेनका गांधी उस वक्त खासी एक्टिव थीं

बताते हैं कि मेनका को ये रास नहीं आया चूंकि वो उस वक्त खासी एक्टिव थीं और पति संजय गांधी के साथ राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेती थीं, उन्हें लगा कि उनके पति की राजनीतिक विरासत उनके हाथ से छिन रही है ऐसे में वो राजनीति में उतरना चाहती थीं पर ये सास इंदिरा गांधी को पसंद नहीं था।

लखनऊ में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया

1982 के मार्च महीने में इंदिरा गांधी विदेश दौरे पर थीं, इस बीच संजय गांधी के एक विश्वासपात्र अकबर अहमद ने लखनऊ में एक सम्मेलन का आयोजन किया, मेनका गांधी को इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया जिसमें वो गईं भीं मेनका ने भाषण भी दिया।

सास इंदिरा गांधी को ये सब रास नहीं आया

इस कार्यक्रम में मेनका की उपस्थिति उन्हें सक्रिय राजनीति में स्थापित करने की कोशिश थी जो जाहिर है सास इंदिरा गांधी को रास नहीं आया क्योंकि वह संजय गांधी के बाद खाली हुए जगह को अपने बड़े बेटे राजीव को आगे बढ़ाकर भरना चाहती थीं, जो मेनका को रास नहीं आ रहा था।

...तो इंदिरा ने मेनका गांधी को घर से निकाल दिया

मेनका ने जब राजनीतिक सक्रियता दिखाने की कोशिश की थी, तो इंदिरा ने उन्हें घर से निकाल दिया, मीडिया रिपोर्टों की मानें तो उस वक्त इंदिरा ने कहा था- 'मैंने तुमसे कहा था कि लखनऊ में मत भाषण देना, लेकिन तुमने वही किया जो तुम चाहती हो और तुमने मेरी बात नहीं मानी, इसलिए यहां से चली जाओ, अभी यह घर छोड़ दो' इंदिरा गांधी का गुस्सा देखकर मेनका ने अपनी बहन बुलाया फिर दोनों बहनों ने मिलकर सामान पैक किया और फिर ये घर छोड़ दिया था।

1984 में राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से आम चुनाव लड़ा

फिर मेनका गांधी ने संजय गांधी के करीबी और विश्वासपात्र अकबर अहमद के साथ 'राष्ट्रीय संजय मंच' की स्थापना की और 1984 में राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से आम चुनाव लड़ा उन्होंने अमेठी में संकल्प लिया था कि वह अपने जेठ यानी कि राजीव गांधी के खिलाफ पूरे जी-जान से लड़ेगीं।

मेनका गांधी ने राजीव गांधी को टक्कर देने की पूरी की कोशिश पर...

बताते हैं कि मेनका गांधी ने राजीव गांधी को टक्कर देने की कोशिश की, अक्टूबर, 1984 में जब इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षक द्वारा हत्या कर दी गई जिसके बाद राजीव गांधी अंतरिम प्रधानमंत्री बने और चुनाव में जनता की सहानूभूति उनके साथ चली गई कांग्रेस को शानदार जीत मिली।

मेनका गांधी की जमानत जब्त हो गई

अमेठी में राजीव गांधी ने मेनका गांधी को करीब 3.14 लाख से अधिक मतों से परास्त किया, और मेनका गांधी की जमानत जब्त हो गई। मेनका ने तब कहा था उनका मुकाबला एक सांसद से नहीं, बल्कि एक प्रधानमंत्री से था।
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रवि वैश्य author

मैं 'Times Now नवभारत' Digital में Assistant Editor के रूप में सेवाएं दे रहा हूं, 'न्यूज़ की दुनिया' या कहें 'खबरों के संसार' में काम करते हुए करीब...और देखें

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