जब एक अपील पर देश ने छोड़ दिया एक वक्त का खाना, अमेरिका के आगे झुके नहीं PM शास्त्री

Lal Bahadur Shastri : शास्त्री जी समझ गए थे कि अमेरिकी दबाव से उबरने के लिए खाद्यान्न एवं कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना होगा। कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए उन्होंने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया। इसके लिए आगे चलकर उन्होंने श्वेत क्रांति एवं हरित क्रांति को बढ़ावा देना शुरू किया।

लाल बहादुर शास्त्री का निधन ताशकंद में 1966 में हुआ।

Lal Bahadur Shastri : भारतीय प्रधानमंत्रियों के मधुर स्वभाव एवं विनम्रता की जब कभी भी बात आती है तो उसमें लाल बहादुर शास्त्री का नाम सबसे पहले आता है। पीएम रहते हुए शास्त्री जी के ऊपर सत्ता या ताकत का खुमार कभी नहीं रहा। उन्होंने अपने पूरे जीवन भर विनम्रता और सादगी को दूर नहीं होने दिया। जमीन और लोगों से उनका जुड़ाव उनके अंतिम समय तक बना रहा। उनकी विनम्रता एवं सादगी से जुड़े कई किस्से आज भी प्रासंगिक हैं और इन किस्सों से हमें सीख मिलती है।

अमेरिका ने गेहूं देने से मना कर दिया

वैसे तो शास्त्री जी के जीवन से जुड़े कई प्रेरणादायक किस्से मशहूर हैं लेकिन हम यहां उनकी प्रतिबद्धता एवं कठोर निर्णय से जुड़ी एक कहानी का जिक्र करेंगे। यह कहानी 1965 के भारत और पाकिस्तान युद्ध से जुड़ी हुई है। भारत और पाकिस्तान युद्ध के समय देश में खाद्यान्न संकट गहरा गया था। अनाज की कमी हो गई थी। भारत पर अमेरिका सहित पश्चिमी देशों पर युद्ध जल्द से जल्द रोकने का दबाव था। अमेरिका ने धमकी दी कि अगर भारत ने संघर्षविराम नहीं किया तो वह अपनी गेहूं की आपूर्ति रोक देगा। उस समय गेहूं के लिए भारत बहुत हद तक अमेरिकी गेहूं पर निर्भर था।

अमेरिकी धमकी के दबाव में नहीं आए

हालांकि, उसकी इस धमकी का असर पीएम शास्त्री पर नहीं हुआ। शास्त्री जी ने अमिरका को जवाब देने के लिए इसका तोड़ भी निकाल लिया। उन्होंने देशवासियों से एक समय का भोजन न करने की अपील की। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर से की। अगले दिन उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर लोगों से सप्ताह में एक समय का भोजन न करने की अपील की। उनकी इस अपील का साथ देशवासियों ने बढ़चढ़कर दिया।
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