जम्मू कश्मीर में कब होंगे विधानसभा चुनाव? कांग्रेस ने पीएम मोदी से पूछा सवाल

Political News: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब होंगे? जयराम रमेश ने कहा, 'भाजपा ने राज्य में चुनाव कराने के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों किया? क्या वे जनता के फैसले से डरते हैं? प्रधानमंत्री उस राज्य में कब तक सत्ता से चिपके रहेंगे जहां लोगों ने उन्हें कभी अपना नेता नहीं चुना?'

Jairam Ramesh Slams PM Modi on Jammu Kashmir Election Issue

जयराम रमेश ने पूछा- जम्मू कश्मीर में कब होंगे चुनाव?

New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू कश्मीर के उधमपुर में आयोजित रैली के बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश में लोकतंत्र को निलंबित करने का आरोप लगाया और पूछा कि वहां विधानसभा चुनाव कब होंगे? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा कि आज प्रधानमंत्री जम्मू-कश्मीर के उधमपुर गए, जहां शासन की बागडोर अपने हाथ में रखने के लिए भाजपा सरकार ने हर स्तर के लोकतंत्र को ‘सस्पेंड’ कर दिया है और चुनाव कराने से इनकार कर रही है।

कांग्रेस ने पीएम मोदी से पूछे चार सवाल

जयराम रमेश का यह सोशल मीडिया पोस्ट ऐसे समय में आया जब प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को उधमपुर में अपनी रैली में कहा कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव का समय दूर नहीं है और केंद्र शासित प्रदेश के लोग जल्द ही मंत्रियों और विधायकों के साथ अपने मुद्दे साझा कर सकेंगे। रमेश ने कहा, 'लोकतंत्र को निलंबित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को चार प्रश्नों का जवाब देना चाहिए।'

रमेश ने कहा 'जब से भाजपा ने 2018 में ‘बिगड़ती सुरक्षा स्थिति’ का हवाला देते हुए महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लिया, तब से यह पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य केंद्र सरकार के सीधे शासन के अधीन है। जम्मू-कश्मीर के लोग बिना किसी निर्वाचित सरकार के हैं।' उन्होंने कहा, 'विधानसभा चुनाव में देरी के कारण राज्यसभा की चार सीटें भी खाली हैं। केंद्र अक़्सर चुनाव कराने में देरी के लिए भारत के निर्वाचन आयोग को दोषी ठहराता रहा है, लेकिन अब मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने पलटवार करते हुए 2022 के परिसीमन के बाद देरी के लिए केंद्र को दोषी ठहराया है।'

'चुनाव के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों किया?'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आखिरकार उच्चतम न्यायालय को केंद्र को चुनाव कराने के लिए सितंबर 2024 तक की समयसीमा देनी पड़ी। उन्होंने कहा, 'भाजपा ने राज्य में चुनाव कराने के लिए इतना लंबा इंतजार क्यों किया? क्या वे जनता के फैसले से डरते हैं? प्रधानमंत्री उस राज्य में कब तक सत्ता से चिपके रहेंगे जहां लोगों ने उन्हें कभी अपना नेता नहीं चुना?'

रमेश ने कहा, '4,892 पंचायतों और 316 ब्लॉक विकास परिषदों (पंचायती राज के दूसरे और तीसरे स्तर) का कार्यकाल 9 जनवरी को समाप्त हो गया। शहरी स्थानीय निकायों का कार्यकाल पिछले नवंबर में समाप्त होने के साथ, जम्मू कश्मीर के लोगों के पास अब सरकार के अधिकांश स्तरों पर निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हैं।' उन्होंने कहा, 'एक बार फिर, सत्तारूढ़ भाजपा राज्य में नए सिरे से चुनाव कराने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने इतनी बेरहमी से लोगों की आकांक्षाओं का दमन क्यों किया है?'

अमित शाह पर जयराम रमेश ने किया प्रहार

रमेश ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 11 दिसंबर को संसद में अपने भाषण में कहा था कि जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा ‘उचित समय’ पर बहाल किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'विधानसभा और पंचायत चुनावों की तरह, क्या इस प्रतिबद्धता को भी भाजपा के लिए ‘उचित’ समय तक विलंबित किया जाएगा?' कांग्रेस महासचिव ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद और जनवरी 2021 में नई औद्योगिक नीति की घोषणा के बाद, केंद्र शासित प्रदेश को अब तक केवल 414 इकाइयां पंजीकृत हुई हैं और जमीन पर वास्तविक निवेश केवल 2,518 करोड़ रुपये का है।

उन्होंने कहा कि आतिथ्य-सत्कार (हॉस्पिटलिटी) क्षेत्र को लेकर बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन अब तक केवल 87 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। रमेश ने कहा, 'वे सारे ‘विकास और प्रगति’ के वादे कहां हैं जिनका वादा प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 और 2021 में किया था?' रमेश ने अपने इस पोस्ट में हैशटैग ‘चुप्पी तोड़ो प्रधानमंत्री जी’ का इस्तेमाल किया।

आगामी लोकसभा चुनावों में उधमपुर से भाजपा के उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के समर्थन में वहां आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, 'वह समय दूर नहीं है जब जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे। इससे उसका राज्य का दर्जा भी वापस मिल जाएगा। आप अपने मुद्दों को अपने विधायकों और मंत्रियों के साथ फिर से उठाएंगे।' उन्होंने कहा कि दशकों के बाद जम्मू कश्मीर में बिना आतंकवाद के डर और सीमापार गोलीबारी के खतरे के लोकसभा चुनाव हो रहे हैं।

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