Ravindra Singh Bhati: कौन है रविंद्र सिंह भाटी, उत्तर से लेकर दक्षिण तक फैन फॉलोइंग, जानिए बीजेपी से बागी होने का पूरा किस्सा
रविंद्र सिंह भाटी अक्टूबर 2023 में भाजपा में शामिल हुए थे। तब भाटी बाड़मेर की शिव विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
Who is Ravindra Singh Bhati: लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार खास चर्चा में है राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट। चर्चा में क्यों है इसकी वजह भी जान लीजिए। यहां युवा नेता 26 साल के रविंद्र सिंह भाटी बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर शेओ से चुनाव जीतकर सभी का ध्यान खींचा था। हालांकि, स्थानीय लोगों के बीच वह लंबे समय से लोकप्रिय रहे हैं। शेओ चुनाव में जीत के बाद वह सुर्खियों में आए।
दक्षिण भारत तक पहुंची लोकप्रियता
आज उनकी फैन फॉलोइंग सिर्फ राजस्थान और उत्तर भारत में ही नहीं, दक्षिण तक पहुंच गई है। सोशल मीडिया पर भी उनकी धूम मची हुई है। खास बात ये भी है कि एक दौर में वह भाजपा में थे लेकिन सियासी उठापटक के बीच बागी बन बैठे। आज के दौर में वह भाजपा पर ही भारी दिख रहे हैं। कांग्रेस तो मुकाबले में भी नहीं दिख रही है। वह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं और उनकी चुनावी रैलियों में बड़ी भीड़ उमड़ रही है। 26 अप्रैल इस सीट पर भी मतदान होने जा रहा है। आम लोगों से लेकर सियासी पंडितों तक नजरें इसी सीट पर हैं।
दक्षिण में जनसैलाब उमड़ा
रविंद्र भाटी जब बेंगलुरु पहुंचे तो उन्हें सुनने के लिए लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। 1800 किमी. दूर बेंगलुरु में भी रविंद्र भाटी की लोकप्रियता चरम पर दिखी। हैदराबाद में भी उनके लिए एयरपोर्ट पर प्रशंसक उमड़े। यहां लोगों का हुजूम वहां इकट्ठा हो गया। गुजरात के सूरत पहुंचे तो वहां के उनके नाम की गूंज सुनाई देने लगी। आज की तारीख में उनका नाम देशभर में मशहूर हो गया है।
छात्र राजनीति में भी चमके
भाटी ने छात्र राजनीति में ही अपना राजनीतिक कौशल दिखा दिया था। भाटी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्र नेता व कार्यकर्ता रह चुके हैं। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष चुनाव के लिए भी एबीवीपी ने भाटी को नजरअंदाज किया तो वह निर्दलीय ही मैदा में उतरे। उन्होंने इतिहास रचा और यूनिवर्सिटी के 57 साल के इतिहास में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए।
2023 में भाजपा ने नहीं दिया टिकट तो हुए बागी
रविंद्र सिंह भाटी अक्टूबर 2023 में भाजपा में शामिल हुए थे। तब भाटी बाड़मेर की शिव विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। तब रविंद्र भाटी ने बगावत कर दी और निर्दलीय ही मैदान में उतर गए। भाजपा को नुकसान हुआ और 26 साल के रविंद्र भाटी विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। अब वह लोकसभा चुनाव में उतरे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के कैलाश चौधरी और कांग्रेस के उम्मेदाराम बेनीवाल से है। भाटी के मैदान में उतरने से पहले मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच होने की संभावना थी। लेकिन भाटी ने न इसे दिलचस्प बना दिया है बल्कि जीत के प्रबल दावेदार बन चुके हैं।
अब तक का सफरनामा
राजपूत परिवार के रविंद्र भाटी बाड़मेर के दूधोड़ा गांव के रहने वाले हैं। वह एक सामान्य परिवार से आते हैं उनके पिता शिक्षक हैं। सरकारी स्कूल से पढ़ाई पूरी करने वाले रविंद्र भाटी ने ग्रेजुएशन किया है और इसके बाद जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी की। छात्र राजनीति के दौरान वह एबीवीपी के संपर्क में आए लेकिन मतभेदों के चलते निर्दलीय ही छात्रसंघ चुनाव लड़ा और जीता।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें
Maharashtra Election: वोटिंग से पहले महाराष्ट्र में कांग्रेस का बड़ा एक्शन, नाना पटोले ने 16 बागियों को दिखाया बाहर का रास्ता
तो महाराष्ट्र चुनाव के बाद जा सकती है एकनाथ शिंदे की कुर्सी? अमित शाह ने दिए मुख्यमंत्री बदलने के संकेत
RPI से मुंबई की इकलौती सीट पर अल्पसंख्यक नहीं राजपूत उम्मीदवार, क्या है बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग?
Maharashtra Election: गृह मंत्री अमित शाह ने जारी किया BJP का संकल्प पत्र, फडणवीस बोले- यह विकसित महाराष्ट्र का रोडमैप
'बबुआ अभी बालिग नहीं हुआ है... स्व. मुलायम सिंह को भी कष्ट हो रहा होगा', सपा-कांग्रेस के गठजोड़ पर सीएम योगी का तंज
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited