विष्णु देव साय को CM बनाने की क्या है वजह? जानें BJP का सियासी समीकरण
Chhattisgarh CM: विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री होंगे, भाजपा ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। आखिर ऐसी क्या वजह रही जो बीजेपी ने तीन बार के सीएम रमन सिंह को सूबे की कमान सौंपने के बजाय साय पर भरोसा जताया है। आपको इसकी पीछे का सियासी समीकरण समझाते हैं।
विष्णुदेव पर भरोसे के पीछे का सियासी समीकरण।
Why Vishnu Deo Sai Become CM: भाजपा ने छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए आदिवासी नेता विष्णु देव साय पर भरोसा जताया है। आखिर इस भरोसे के पीछे का सियासी समीकरण क्या है? बताया जा रहा है कि खुद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने साय के नाम का प्रस्ताव रखा। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने विष्णु देव के नाम का समर्थन किया।
विष्णु देव के नाम पर भाजपा ने क्यों जताया भरोसा?
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा जरा भी कोताही बरतने के मूड में नहीं है। आम चुनाव की अहमियत को बीजेपी आलाकमान भी बखूबी समझता है। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटें हैं। विष्णु देव साय एक आदिवासी चेहरा हैं और इस सूबे में इस समुदाय का अच्छा खासा दबदबा देखने को मिलता है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए साय को सीएम बनाने का फैसला अहम साबित हो सकता है।
अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान किया था इशारा
कुनकुरी में विष्णु देव साय के लिए चुनाव प्रचार करते वक्त केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इशारा किया था और कहा था कि विष्णु देव साय हमारे कार्यकर्ता रहे, नेता हैं, सासंद रहे विधायक रहे, प्रदेश अध्यक्ष रहे। आप इनको विधायक बना दो, बाद में बड़ा आदमी बनाने का काम हम करेंगे।
अजित जोगी के बाद दूसरा आदिवासी मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की सबसे बड़ी आबादी है, लेकिन अजित जोगी के बाद कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं बन सका। बीजेपी ये समझती है कि आदिवासी समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री बनाने का उसे काफी सियासी लाभ मिलेगा। आदिवासी समुदाय से आने वाले भाजपा नेताओं की लिस्ट में विष्णु देव साय का नाम पहले नंबर पर आता है। ऐसे में विष्णु देव साय के नाम पार सहमति बनी, वो पूर्व सीएम रमन सिंह के चहेते हैं। विष्णु देव जशपुर जिले के कुनकुरी से विधायक हैं, आदिवासी चेहरा हैं, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और केंद्रीयमंत्री भी रह चुके हैं।
आदिवासी समुदाय से सीएम बनाने की क्या है वजह
छत्तीसगढ़ की आबादी में आदिवासी समुदाय की हिस्सेदारी 32 फीसदी है और भाजपा ने इस बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीट में से 17 सीट जीती हैं। 2018 में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट में भाजपा ने केवल तीन सीट जीती थीं। उसने इस बार आदिवासी बहुल सरगुजा संभाग में सभी 14 सीट पर जीत हासिल की है। 2018 में इस संभाग की सभी 14 सीट कांग्रेस ने जीती थीं। विष्णु देव साय, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम और गोमती साय इसी संभाग से हैं।
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