भाजपा के इन 2 दिग्गजों को लगा बड़ा झटका, जानें गुजरात जैसा हिमाचल में क्यों नहीं चला जादू

Himachal Pradesh Assembly Election 2022: इस बार भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता प्रेम कुमाल धूमल ने चुनाव नहीं लड़ा था। इस बात का दावा किया गया धूमल खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। ऐसे में वह चुनाव के दौरान सक्रिय नहीं रहे। 2022 के चुनाव में हिमाचल में रिकॉर्ड 76% वोटिंग हुई।

हिमाचल में नहीं चला भाजपा का जादू

मुख्य बातें
  • भाजपा को 2022 में जहां 49.2 फीसदी वोट मिले थे, वहीं इस बार वोट 6 फीसदी घटकर 42.9 फीसदी पर आ गया।
  • राज्य की 68 में से 21 सीटों पर भाजपा को बागियों का सामना करना पड़ा।
  • हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का गृह राज्य है।
Himachal Pradesh Assembly Election 2022: भारतीय जनता पार्टी के लिए गुजरात चुनाव जितनी खुशियां लेकर आया है, उतना ही हिमाचल प्रदेश के परिणाम मायूसी लेकर आए हैं। बिखरी और बगावत से परेशान कांग्रेस ने उसे आसानी से पटखनी दे दी है। नतीजे पार्टी के लिए इसलिए निराशाजनक हैं क्योंकि हिमाचल प्रदेश, पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का गृह राज्य है। उसमें भी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर के गृह जिले हमीरपुर में पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा है। हमीरपुर में पार्टी को सभी 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है।
अनुराग ठाकुर का रोना नहीं आया काम
इस बार भाजपा से पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता प्रेम कुमाल धूमल ने चुनाव नहीं लड़ा था। इस बात का दावा किया गया धूमल खुद चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। ऐसे में वह चुनाव के दौरान सक्रिय नहीं रहे। हालांकि उनके बेटे और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर जरूर प्रचार करने पहुंचे, एक सभा में वह रो भी दिए थे। लेकिन इसके बावजूद उनके गृह जिले हमीरपुर की 5 में से 4 सीट कांग्रेस ने जीत ली जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई। जबकि पिछली बार 2017 के चुनाव में पार्टी को 2 सीटें मिली थीं।
जे.पी. नड्डा के जिले का क्या रहा हाल
जे.पी.नड्डा के गृह जिले बिलासपुर में पार्टी का प्रदर्शन हमीरपुर जैसा नहीं रहा, वहां पर भाजपा ने 4 में से 3 सीटें जीत ली है। पिछली बार भी भाजपा को इतनी ही सीटें मिली थी। वैसे तो गृह जिले में जे.पी.नड्डा को बड़ा झटका नहीं लगा है। लेकिन राज्य में जिस तरह पार्टी को हार मिली है, वह जरूर नड्डा के लिए झटका है।
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