आखिर कर्नाटक में टीपू सुल्तान क्यों बन जाते हैं चुनावी मुद्दा, 224 साल बाद अब मारे जाने पर विवाद
Tipu Sultan Death Theory: कर्नाटक की सियासत में टीपू सुल्तान शारीरिक तौर पर मौजूद नहीं हैं। लेकिन उनके नाम पर सियासत के पीछे की वजह क्या है। हाल ही में बीजेपी के कुछ बड़े चेहरों ने कहा कि टीपू को अंग्रेजी और मराठा सेना ने नहीं मारा था बल्कि वोक्कालिगा समाज के दो युवाओं ने मारा था।
टीपू सुल्तान
- मैसूर का शासक था टीपू सुल्तान
- 1799 में अंग्रेजों के साथ लड़ाई में मारा गया
- टीपू सुल्तान को किसने मारा, अब विवाद
Tipu Sultan Death Theory: सियासी जमीन को बनाने और बचाए रखने की कवायद में राजनीतिक दल मुद्दों को ढूंढते रहते हैं। बात अगर कर्नाटक की करें तो सत्ता पक्ष यानी बीजेपी और विपक्ष दोनों को टीपू सुल्तान में खुद के लिए उम्मीद नजर आ रही है। वैसे तो शारीरिक तौर पर टीपू सुल्तान अस्तित्व में नहीं हैं। लेकिन उनके किस्सों , कहानियों और योगदान के आधार पर कर्नाटक की सियासत खुद के लिए परिभाषा गढ़ रही है। वैसे तो इतिहास की किताबों में सभी लोग यही पढ़ते आए हैं कि 18वीं सदी के अंत में अंग्रजों के साथ लड़ाई में टीपू सुल्तान मारे गए। लेकिन बीजेपी के मुताबिक टीपू को अंग्रेजों ने नहीं बल्ति वोक्कालिगा समाज से जुड़े दो लोगों ने मारा था। हालांकि इस समाज से जुड़ धार्मिक नेता इस तरह की घटना को नकारते हैं।
'वोक्कालिगा समाज के लड़कों ने मारा'
मैसूरु इलाके में कुछ लोग मानते हैं कि टीपू सुल्तान को उड़ी गौड़ा और नांजे गौड़ा ने मारा था। इस विषय पर अड्डना करियप्पा ने एक किताब टीपू निजाकांसुगालू लिखी थी। हालांकि इस तरह के दावे को कई इतिहासकार नकारते हैं। लेकिन बीजेपी के वोक्कालिगा नेता सी टी रवि(पार्टी के जनरस सेक्रेटरी) और मंत्री अश्वथ नारायण और गोपलैय्या इस दावे को सही ठहराते हैं। इसके साथ ही बीजेपी सांसद शोभा करंदलाजे कहती हैं कि इस बात के साक्ष्य हैं कि टीपू को वोक्कालिगा समाज से जुड़े दो लोगों ने मारा था।
वोक्कालिगा वोट पर बीजेपी की नजर
बता दें कि वोक्कालिगा पारंपरिक तौर पर कांग्रेस और जेडीएस के समर्थक रहे हैं और बीजेपी इस समाज में सेंध लगाने की फिराक में है। इन दोनों दलों के नेता मानते हैं कि नांजे गौड़ा और उड़ी गौड़ा का अस्तित्व नहीं और ये दोनों काल्पनिक पात्र हैं। कर्नाटक के मौजूदा हॉटिकल्चर मिनिस्टर जो कि फिल्म निर्माता से राजनेता बने उन्होंने इस विषय पर फिल्म बनाने का ऐलान किया है। इस मामले में आदिचुमचंनगिरी महास्मस्थाना मठ के महंत निर्मलानंदनत्था महास्वामी जी ने कहा कि कोई भी फैसला करने से पहले इस संबंध में जो भी साक्ष्य हैं पहले उसे मठ के सामने पेश करना चाहिए।
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