क्यों सुर्खियों में है बनासकांठा? गुजरात की एकमात्र सीट, जहां महिला vs महिला का मुकाबला; समझें समीकरण और इतिहास
Lok Sabha Election 2024: गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट इन दिनों सुर्खियों में है। इस सीट पर होने वाले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। भाजपा ने रेखा चौधरी तो कांग्रेस ने इस सीट से गेनीबेन ठाकोर को उतारा है। आपको इस सीट का इतिहास बताते हैं।
गुजरात की इस सीट पर दिलचस्प है मुकाबला।
Hot Seat: बनासकांठा लोकसभा सीट पर पिछले 11 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है। बनासकांठा गुजरात का एकमात्र ऐसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है जहां से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ने ही महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इस सीट से पहले सांसद कांग्रेस के अकबरभाई चावड़ा थे। उसके बाद से अब तक यहां भाजपा ने कुल 6 बार चुनाव जीता है। आपको इस बार का चुनावी समीकरण और यहां का इतिहास जानना चाहिए।
गेनीबेन ठाकोर vs रेखा चौधरी का मुकाबला
इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की दो बार की विधायक गेनीबेन ठाकोर का मुकाबला भाजपा की उम्मीदवार एवं इंजीनियरिंग प्रोफेसर रेखा चौधरी से है। कांग्रेस की ठाकोर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात के तत्कालीन मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता शंकर चौधरी और 2022 में भाजपा के स्वरूपजी ठाकोर को हराया था।
महिलाओं के अधिकारों की वकालत के लिए जानी जाने वाली ठाकोर ने 2020 में गुजरात में 14 महीने की एक बच्ची के साथ कथित बलात्कार के मामले पर कहा था कि बलात्कारियों को पुलिस को सौंपने के बजाय जिंदा जला दिया जाना चाहिए। वह उन 17 कांग्रेस उम्मीदवारों में से एक थीं, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी सीट पर जीत हासिल की थी।
कौन है भाजपा की उम्मीदवार रेखा चौधरी?
रेखा चौधरी के दादा गल्बाभाई चौधरी ने बनास डेयरी की स्थापना की थी, जो हर दिन 4.5 लाख किसानों से दूध खरीदती है। उनके पति हितेश चौधरी भाजपा पदाधिकारी हैं। प्रचार के दौरान अपने भाषणों में रेखा चौधरी कहती रही हैं कि उनकी उम्मीदवारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन प्राप्त है। वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले पर प्रकाश डालती हैं।
उन्होंने बनासकांठा की लाखानी तालुका में एक रैली के दौरान ने कहा, "मैं मोदी साहब की उम्मीदवार हूं जिनके नेतृत्व में राम मंदिर का निर्माण हुआ, लाखों लोगों के सपने को पूरे हुए। मेरी प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी की उम्मीदवार हैं। वह जाति के आधार पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि मैं यहां लोगों की सेवा करने के लिए हूं।" वह मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं खासकर महिलाओं के लिए योजनाओं पर भी प्रकाश डालती हैं।
क्या कहता है बनासकांठा सीट का चुनावी इतिहास
वर्ष | सांसद का नाम | पार्टी |
1952 | अकबरभाई चावड़ा | कांग्रेस |
1957 | अकबरभाई चावड़ा | कांग्रेस |
1962 | ज़ोहराबेन चावड़ा | कांग्रेस |
1967 | मनुभाई अमर्सी | स्वतंत्र पार्टी |
1969 (उपचुनाव) | एसके पाटिल | कांग्रेस |
1971 | पोपटलाल जोशी | कांग्रेस |
1977 | मोतीभाई चौधरी | जनता पार्टी |
1980 | बीके गढ़वी | कांग्रेस |
1984 | बीके गढ़वी | कांग्रेस |
1989 | जयंतीलाल शाह | जनता दल |
1991 | हरिसिंह चावड़ा | भाजपा |
1996 | बीके गढ़वी | कांग्रेस |
1998 | हरिभाई पार्थीभाई चौधरी | भाजपा |
1999 | हरिभाई पार्थीभाई चौधरी | भाजपा |
2004 | हरिसिंह चावड़ा | कांग्रेस |
2009 | मुकेशकुमार भैरवदानजी गढ़वी | कांग्रेस |
2013 (उपचुनाव) | हरिभाई पार्थीभाई चौधरी | भाजपा |
2014 | हरिभाई पार्थीभाई चौधरी | भाजपा |
2019 | परबतभाई पटेल | भाजपा |
कांग्रेस की ठाकोर ने कहा है कि उनकी लड़ाई लोगों के मुद्दों के लिए है। उन्होंने सांसद के रूप में दिल्ली पहुंचने के बाद समस्याओं का हल करने का वादा किया है। गेनीबेन ठाकोर ने हाल ही में रेखा चौधरी पर तंज कसते हुए कहा था, ‘भाजपा कैडर-आधारित पार्टी होने की बात करती है लेकिन ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारती है जो सक्रिय कार्यकर्ता नहीं हैं।’
उन्होंने हाल में कहा, 'जो लोग समझते हैं कि मैं उनके लिए लड़ती हूं, वे मुझे जीतने में मदद करने के लिए आर्थिक रूप से और हर तरह से मेरा समर्थन करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। जनता समझती है कि मेरे पास उन्हें देने के लिए ईमानदारी के अलावा कुछ नहीं है।'
बनासकांठा लोकसभा सीट का जातीय समीकरण
जातिगत गणित की जाए तो ठाकोर का पलड़ा भारी लगता है, क्योंकि वह जिस अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय जिससे आती हैं, उसके इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग चार लाख मतदाता हैं। रेखा चौधरी भी ओबीसी वर्ग से हैं लेकिन उनके समुदाय की गिनती बनासकांठा में ठाकोर से लगभग आधी है।
स्थानीय राजनीतिक पर्यवेक्षकों का दावा है कि भाजपा ने 2004 से चौधरी समुदाय से उम्मीदवार उतारे हैं, जो कथित तौर पर प्रभावशाली ठाकुरों को पसंद नहीं आया है। वर्ष 2019 में भाजपा ने चौधरी समुदाय से परबत पटेल को मैदान में उतारा, जिन्होंने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 3.68 लाख मतों के अंतर से हराया था।
लोकसभा चुनाव 2019 में किसे कितने वोट मिले?
पार्टी | उम्मीदवार | वोट | वोट फीसदी |
भाजपा | परबतभाई पटेल | 6,79,108 | 61.62% |
कांग्रेस | पार्थीभाई गल्बाभाई भटोल | 3,10,812 | 28.20% |
पालनपुर में भारतीय किसान संघ के तालुका अध्यक्ष मावजी लोह ने दावा किया कि राज्य सरकार ने चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए झीलों को नर्मदा नहर के पानी से भरने की योजना शुरू की है, लेकिन प्रयास का परिणाम दो साल बाद ही पता चलेगा। उन्होंने दावा किया कि नर्मदा नहर का पानी लाने के प्रयास को भाजपा सरकार ने बहुत प्रचारित किया था, लेकिन इसका समग्र प्रभाव महत्वपूर्ण नहीं रहा और जिले का केवल पांच-सात प्रतिशत हिस्सा ही इसके दायरे में आता है। गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट पर एक ही चरण में सात मई को मतदान होगा और मतगणना चार जून को होगी।
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