Karnataka Chunav 2023: पिता की 'अजेय' विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे विजयेंद्र? शिकारीपुरा सीट पर बस 1 बार हारे हैं येदियुरप्पा

Karnataka Assembly Election 2023 : साल 1980 में अपने गठन के बाद भाजपा कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ती आई है। शिकारीपुरा सीट का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि 1983 के बाद से भाजपा केवल दो बार ही यहां अपनी जीत का परचम नहीं फहरा पाई है। इस सीट पर भाजपा को पहली बार हार का सामना 1999 में करना पड़ा।

yediyurappa

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 10 मई को होगी।

Karnataka Assembly Election 2023 : कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इनमें से कुछ सीटें हाई-प्रोफाइल हैं जिन पर सबकी नजरें लगी हुई हैं। इन्हीं में से एक सीट है शिमोगा जिले की शिकारीपुरा (Shikaripura)। शिमोगा जिला लिंगायत (Lingayat) समुदाय का गढ़ है। इस सीट से समुदाय के कद्दावर भाजपा नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) जीतते रहे हैं लेकिन इस बार चुनाव में येदियुरप्पा नहीं बल्कि उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र (BY Vijayendra) इस सीट से उम्मीदवार हैं। विजयेंद्र इस सीट पर अपने पिता की तरह कमाल कर पाएंगे कि नहीं यह देखने वाली बात होगी।
वर्षरिजल्ट
1983येदियुरप्पा जीते (BJP, 64.2% वोट)
1985येदियुरप्पा जीते (BJP, 53.52% वोट)
1989येदियुरप्पा जीते (BJP 41.42% वोट)
1994येदियुरप्पा जीते (BJP50% वोट)
1999येदियुरप्पा हारे (BJP 45.38% वोट)
2004येदियुरप्पा जीते (BJP 55.5% वोट)
2008येदियुरप्पा जीते (BJP 66.22% वोट)
2013येदियुरप्पा जीते (KJP 48.89% वोट)
2018येदियुरप्पा जीते (56.16% वोट)

इस सीट पर BJP को दो बार मिली है शिकस्त

साल 1980 में अपने गठन के बाद भाजपा (BJP)कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ती आई है। शिकारीपुरा सीट (Shikaripura Seat)का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि 1983 के बाद से भाजपा केवल दो बार ही यहां अपनी जीत का परचम नहीं फहरा पाई है। इस सीट पर भाजपा (BJP)को पहली बार हार का सामना 1999 में करना पड़ा। इस चुनाव में शिकारीपुरा सीट से येदियुरप्पा (Yediyurappa)पार्टी के उम्मीदवार थे और उन्हें कांग्रेस (Congress) प्रत्याशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। दूसरी बार 2013 में भाजपा को तब हार का सामना करना पड़ा जब पार्टी से नाराज होकर येदियुरप्पा ने अपनी पार्टा कर्नाटक जनता पक्ष (KJP) बना ली।

1985 से शिकारीपुरा सीट पर BJP का दबदबा

1983 से पहले शिकारीपुरा और शिमोगा कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था लेकिन येदियुरप्पा के उभरने और भाजपा में शामिल होने के बाद यहां भाजपा का कद एवं प्रभाव बढ़ता गया। लिंगायत समुदाय में भाजपा की पकड़ बनाने में येदियुरप्पा का योगदान बहुत ज्यादा रहा है। 1985 के चुना में जब जनता पार्टी ने अपने दम पर बहुमत हासिल किया उस समय भाजपा को केवल दो सीटें मिली थीं। इसमें एक सीट शिकारीपुरा थी। इस सीट पर येदियुरप्पा की हार केवल एक बार 1999 में हुई। 1999 में राज्य में कांग्रेस की लहर थी। सोनिया गांधी ने यहां की बेल्लारी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव में उसने 132 सीटें जीती थीं।

2013 में केजेपी को मिली 6 सीटें

साल 2012 में येदियुरप्पा जब भाजपा से अलग हुए तो भगवा पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा। 2013 के विस चुनाव में येदियुरप्पा की पार्टी को फायदा तो नहीं हुआ, लेकिन उसने भाजपा की जीत की राह मुश्किल कर दी। इस चुनाव में केजेपी को मात्र छह सीटें और 10 फीसदी वोट मिले। इस चुनाव में भी येदियुरप्पा शिकारीपुरा सीट से जीते। उन्हें करीब 49 फीसदी वोट हासिल हुआ। अब देखना यह होगा कि बीवाई विजयेंद्र इस सीट पर अपनी पिता की विरासत को आगे बढ़ा पाते हैं कि नहीं। इस सीट पर उनका मुकाबला JD-S के सुधाकर शेट्टी, AAP के चंद्रकांत रेवंकर से होगा। इस सीट के लिए कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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