मायावती का अकेले चुनाव लड़ना क्या BJP को पहुंचाएगा फायदा? 2019 में BSP को पहुंचा था गठबंधन का फायदा

Loksabha Election 2024: 'इंडी' गठबंधन में शामिल न होने के लिए मायावती ने जो वजह बताई है अगर उसका विश्लेषण करें तो पाएंगे कि उनका दावा सही नहीं है। मायावती ने कहा है कि गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ने पर उनका वोट बैंक तो दूसरे दलों को ट्रांसफर हो जाता है।

Mayawati

2024 का लोकसभा चुनाव बसपा अकेले लड़ेगी।

Mayawati : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी। इसे विपक्षी एकता के लिए एक झटका माना जा रहा था। हालांकि, बसपा सुप्रीमो खुद को कभी 'इंडी' ब्लॉक से जोड़कर नहीं देखा। फिर भी कांग्रेस उन्हें साथ लाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उनके मना किए जाने के बाद इस गठबंधन में बसपा के शामिल होने की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं। कहा जा रहा है कि यूपी सहित अन्य राज्यों में बसपा के अकेले चुनाव लड़ने का फायदा सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को मिलेगा।

गठबंधन का बसपा को मिला फायदा

'इंडी' गठबंधन में शामिल न होने के लिए मायावती ने जो वजह बताई है अगर उसका विश्लेषण करें तो पाएंगे कि उनका दावा सही नहीं है। मायावती ने कहा है कि गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ने पर उनका वोट बैंक तो दूसरे दलों को ट्रांसफर हो जाता है लेकिन दूसरे दलों का वोटबैंक उन्हें नहीं मिल पाता। लेकिन क्या ऐसी बात है? 2014 का लोकसभा चुनाव बसपा ने अकेले लड़ा था और उसे एक भी सीट नहीं मिली। जबकि 2019 में सपा और बसपा साथ मिलकर चुनाव लड़े। इस चुनाव में बसपा शून्य से 10 सीट पर आ गई जबकि सपा को पांच सीटें मिलीं। अगर सपा का वोट बैंक बसपा को ट्रांसफर नहीं हुआ होता तो बसपा यूपी में 10 सीटें कैसे जीतती।

पिछले विस चुनाव में बसपा को मिली 1 सीट

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती जब-जब अकेले चुनाव लड़ती हैं तो इसका फायदा भाजपा को पहुंचता है। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2022 में उन्होंने अलग चुनाव लड़ा और एक सीट पर जीत दर्ज की। इस चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर दो प्रतिशत तक आ गया और उसे राज्य में केवल दो सीटों पर जीत मिली। समाजवादी पार्टी को भी नुकसान हुआ और वह 111 सीट जीत पायी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी मायावती ने 100 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया। इससे ध्रुवीकरण हुआ और इसका भी फायदा भाजपा को हुआ।

बसपा को वोट बैंक भाजपा की ओर खिसका

2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट जीत सकी। यह देखने में आया है कि विधानसभा चुनावों में बीएसपी का वोट प्रतिशत लगातार घटता आया है। यह अब गिरकर 12.88 फीसदी पर आ पहुंचा है। वोट प्रतिशत में कमी आने के बावजूद भी बसपा उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्व रखती है। उसका अपना कैडर आधारित वोट बैंक है लेकिन मायावती की कम राजनीतिक सक्रियता की वजह से उसका दलित कोर वोट बैंक भाजपा की तरफ खिसका है। भाजपा सरकार की मुफ्त राशन योजना से लाभान्वित दलित वर्ग भगवा पार्टी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है।

मायावती अब कभी-कभार रैली करती हैं

पिछले कुछ वर्षों से यह देखने में आया है कि मायावती अपने बयानों से परोक्ष रूप से भाजपा की मदद करती दिखी हैं। सपा और कांग्रेस पर उनके हमले को इसी रूप में देखा जाता है। पिछले कुछ वर्षों से उनका अपने कार्यकर्ताओं से संवाद कम हुआ है, वह अब कभी-कभार रैलियां करती हैं। बसपा की राजनीतिक रसूख और पकड़ कमजोर होने पर बड़े नेता पार्टी छोड़कर भाजपा और अन्य दलों का दामन थाम चुके हैं।

विपक्षी कमजोरी का फायदा सत्तारूढ़ दल को मिलता है

माना जाता है कि राष्ट्रीय एवं प्रदेश की राजनीति में बसपा की हनक कमजोर हुई है। अगर ऐसा रहा तो यह पार्टी धीरे-धीरे सियासी हाशिए पर चली जाएगी। मायावती 'इंडी' गठबंधन के साथ अगर आतीं तो उसे मजबूती मिलती लेकिन उनके इंकार के बाद गठबंधन में उनके लिए जगह नहीं बची है। जाहिर है कि विपक्षी कमजोरी का फायदा हमेशा सत्तारूढ़ दल को मिलेगा।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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