Adipurush: आदिपुरुष पर अरुण गोविल ने तोड़ी चुप्पी, कहा- 'किसने दिया सनातन धर्म से छेड़छाड़ का अधिकार'

Arun Govil comment on Adipurush: रामानंद सागर की रामायण के एक्टर सुनील लहरी, दीपिका चिखलिया के बाद अब श्रीराम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल ने आदिपुरुष पर निशाना साधा है। अरुण गोविल ने कहा है कि सनातन धर्म की धार्मिक मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ करने का अधिकार किसने दिया है।

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Arun Govil on Adipurush

मुख्य बातें
  • अरुण गोविल ने आदिपुरुष के टीजर पर निशाना साधा है।
  • अरुण गोविल ने कहा कि रामायण हमारी सांस्कृतिक धरोहर।
  • अरुण गोविल ने सोशल मीडिया पर जारी किया वीडियो।

Arun Govil on Adipurush: रामायण पर आधारित फिल्म आदिपुरुष के टीजर रिलीज होने के बाद से ही इसकी तुलना रामानंद सागर के सीरियल रामायण से हो रही है। रामायण में सीता का किरदार निभाने वालीं एक्ट्रेस दीपिका चिखलिया और लक्ष्मण का किरदार निभा रहे सुनील लहरी को टीजर पसंद नहीं आया। अब राम का किरदार निभा रहे अरुण गोविल ने भी फिल्म के टीजर पर निशाना साधा है। अरुण गोविल ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि सनातन धर्म की परंपराओं और मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ क्यों किया जा रहा है।

प्रभु श्री राम का किरदार निभा चुके एक्ट्रेस अरुण गोविल ने कहा, 'रामायण, महाभारत और श्रीमद्भागवत जैसे जितने भी ग्रंथ और शास्त्र हैं, ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। ये हमारे संस्कृति है, हमारी जड़ है। सारी मानव सभ्यताओं की ये एक नींव है। इस नींव को न हिलाया जा सकता है और न ही इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ को बर्दाश्त किया जा सकता है। इसे न ही बदला जा सकता है। हमारी संस्कृति और धार्मिक धरोहर जैसी है, उसे वैसा ही रखना चाहिए। कोई अपनी नींव को खुद हिलाता है क्या? कोई अपनी जड़ बदलता है क्या?'

'किसने दिया छेड़छाड़ का अधिकार?'

अरुण गोविल अपने वीडियो में आगे कहते हैं, 'ढाई साल पहले जब कोविड आया था तो कोरोना ने लोगों की धार्मिक भावनाओं को तब से लेकर आज तक मजबूत किया था। टीवी पर जब रामायण प्रसारित हुई थी तो इसने एक रिकॉर्ड बनाया था। ये एक बहुत बड़ा संकेत है। हमारा मान्यताओं और परंपराओं की प्रमाणिकता का। आजकल चलन बन चुका है कि सनातन धर्म और उसकी मान्यताओं का मजाक बनाया जाए। देवी और देवताओं के आपत्तिजनक पोस्ट बनाओ। हमारी धार्मिक भावनाओं के साथ छेड़छाड़ का अधिकार आखिर दिया किसने?'

बकौल अरुण गोविल, 'जब किसी दूसरे धर्म की परंपराओं और मान्यताओं में बदलाव नहीं किया जाता तो सनातन धर्म की मान्यताओं के साथ छेड़छाड़ क्यों होता है। कुछ राइटर्स, पेंटर्स और एडवर्टाइजर्स को इस बात का ध्यान देना होगा कि रचानत्मक स्वतंत्रता के नाम पर किसी की धार्मिक मान्यताओं को तोड़-मरोड़कर पेश नहीं करना चाहिए।'

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