12 की उम्र में आशा पारेख का हुआ था फेलियर से सामना, रिजेक्शन झेल चुकी अदाकारा को इस डायरेक्टर ने कहा था- नहीं हो स्टार मटेरियल ‌

Asha Parekh Honoured With Dadasaheb Phalke Award: आज 68वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह आयोजित किया गया था। इस समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अभिनेत्री को दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया।

Asha Parekh Honoured With Dadasaheb Phalke Award

Asha Parekh Honoured With Dadasaheb Phalke Award

मुख्य बातें
  • आज आयोजित किया गया 68वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह।
  • समारोह के दौरान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित हुईं आशा पारेख।
  • 10 साल की उम्र में अभिनेत्री ने रखा था बॉलीवुड जगत में कदम।

Bollywood Actress Asha Parekh Honoured With Dadasaheb Phalke Award: 68वां नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी का आयोजन आज किया गया था। इस समारोह के दौरान भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री आशा पारेख को दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया। आशा पारेख को सिनेमा में अपने योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया। इसी के साथ आशा पारेख सातवीं ऐसी अदाकारा बन गईं जिन्हें दादासाहब फाल्के अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया है। आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात में हुआ था। एक अदाकारा होने के साथ वह एक बेहतरीन क्लासिकल डांसर भी हैं जिन्होंने पंडित बंसीलाल भारती से नृत्य कला का ज्ञान लिया है।

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10 साल की उम्र में किया बॉलीवुड डेब्यू

आशा पारेख ने महज 10 साल की उम्र में बॉलीवुड जगत में अपने कदम रखे थे। 1952 में रिलीज हुई बिमल रॉय की फिल्म मां में अदाकारा ने अभिनय किया था। अदाकारा के बॉलीवुड इंडस्ट्री में कदम रखने के पीछे एक बहुत रोचक किस्सा सुनाया जाता है। दरअसल, एक फंक्शन के दौरान प्रख्यात निर्देश बिमल रॉय ने आशा जी को स्टेज पर डांस करते हुए देखा था। जिसके बाद उन्होंने आशा पारेख को अपनी फिल्म मां में कास्ट किया। बेहद कम उम्र में आशा पारेख को नाम और शोहरत मिल गई थी। लेकिन उनके जीवन में परेशानी तब आई जब 1954 में रिलीज हुई उनकी फिल्म बाप बेटी बॉक्स ऑफिस पर कमाल करने से चूक गई। इस फेलियर से आशा पारेख को बहुत चोट पहुंची थी, जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड जगत को टाटा बाय-बाय कह दिया था।

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रिजेक्शन भी झेल चुकी हैं आशा पारेख

हिम्मत जुटाने के बाद आशा पारेख ने 16 साल की उम्र में कमबैक किया। लेकिन एक बार फिर उनके हाथ निराशा लगी। डायरेक्टर विजय भट्ट ने अदाकारा को अपनी फिल्म गूंज उठी शहनाई के लिए रिजेक्ट कर दिया था। उन्होंने यह कहा था कि आशा पारेख स्टार मटेरियल नहीं हैं। लेकिन किस्मत उनके लिए कुछ और ही सोच कर रखी थी। रिजेक्ट होने के अगले ही दिन आशा पारेख को प्रोड्यूसर सुबोध मुखर्जी और राइटर-डायरेक्टर नासिर हुसैन ने फिल्म दिल देके देखो के लिए अप्रोच किया था। स्कूल में आशा पारेख शम्मी कपूर के ऑपोजिट कास्ट की गई थीं। सोने पर सुहागा तो यह हुआ कि यह फिल्म उस दौर की सुपरहिट फिल्म बन गई थी।

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