Exclusive: परेशानियों के बीच भी रंग बिखेरती रहती हैंऊषा उथुप, उल्लास के नाव के लेखक विकास ने बताए सिंगर के जीवन के अनछुए किस्से
Usha Uthup Biography: भारत की पहली पॉप सिंगर ऊषा उथुप की बायोग्राफी इन दिनों चर्चा का विषया है। इसका नाम उल्लास की नाव है। इसे पत्रकार और लेखक विकास कुमार झा ने लिखा है। उन्होंने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत की और ऊषा की जीवनी लिखने के बारे में कुछ मजेदार बातें साझा कीं।
Exclusive vikas kumar jha on usha uthup life
Usha Uthup Biography: दुनिया में किताना गम, तेरे गम के आगे मेरा कम है। इस लाइन को भारत की पहली पॉप सिंगर के नाम से मशहूर ऊषा उथुप जी पूरी तरह से जीवंत करती हैं। ऊषा जी से बातें करो या उनके गाने सुनो। वह हमेशा हर किसी को उत्साह से भर देती हैं। हालांकि उनके जीवन में कई सारे दुख सामने आए और कुछ से वह अभी भी जूझ रही हैं। ऊषा जी कलकत्ता का घर आधा अस्पताल बना तो आधा घर। उनका एक बेटा है, जिसका स्वास्थ खराब है। अपने बेटे की देखभाल के लिए उन्होंने अपने घर को अस्पताल में तब्दील कर दिया है। इसके बाद भी ऊषा उथुप जी उल्लास से भरी हुई बहती रहती हैं। ऐसे में ही उनकी जीवनी का नाम भी उल्लास की नाव रखा गया है। इसे पत्रकार और लेखक विकास कुमार झा ने लिखा है। उन्होंने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत की और ऊषा की जीवनी लिखने के बारे में कुछ मजेदार बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि वह ऊषा जी के फैन थे और बतौर पत्रकार उनका इंटरव्यू लेना चाहते थे। उनका यह सपना 15 साल बाद पूरा हुआ, लेकिन अब वह उनकी जीवनी के लेखक बन गए थे। पढ़िए बातचीत का अंश-
रियलिस्टिक नॉवल लिखने वाले लेखक ने अचानक ऊषा उथुप जी की बायोग्राफी कैसे लिखी?
उपन्यासों और कथा संग्रह में हमेशा से ही स्त्री संग्रह का प्रसंग रहा है। बाद के दिनों में कुछ जीवंत कैरेक्टर हमारे सामने आए हैं। इसमें स्त्रियां हमेशा से केंद्र का बिंदु रही हैं। 19वीं सदी से लेकर 20वीं और 21वीं सदी तक स्त्रियों ने खूब काम किया। उनका यह काम अलग अलग क्षेत्रों में रहा है। इस दौर में स्त्रियों के संघर्ष की कहानियां भी सामने आईं। मेरी वर्षा वन की रूप कथा या मैकलेक्सीगंज नॉवल हों सारी ही रियलिस्टिक नॉवल रही हैं। क्योंकि यहां मुझे कुछ अलग देखने को मिला और मेरी इन नॉवल के किरदार भी रियल रहे हैं। ऊषा उथुप जी की जीवनी भी कुछ ऐसे ही है। इसी कारण मैंने उसे लिखने का निर्णय लिया।
ऊषा उत्थुप जी की बायोग्राफी लिखने का ख्याल कैसे आया?
दरअसल, मैं ऊषा जी का शुरुआत से ही फैन रहा हूं। मैं अपने पत्रकारिता के दिनों से ही मैं उनका इंटरव्यू लेना चाहता था। यह सिलसिला 15 साल पहले से शुरू हुआ, इसके बाद मैं उनसे बातचीत करने की जुगत में लगा रहा। मैं जब फोन करता वह किसी ना किसी असाइनमेंट में बिजी रहतीं तो यह उन दिनों कभी पूरा नहीं पाया। हालांकि कुछ ख्वाहिशें पूरा होने में समय मांगती हैं। मेरी इस ख्वाहिश में 15 साल लग गए।
बायोग्राफी के हिंदी संस्करण का नाम उल्लास की नाव है? यह जेहन में कैसा आया?
ऊषा जी हमारे देश की पहली पॉप सिंगर रही हैं। मैं अपने टीनएज से ही उनका फैन रहा हूं। जब भी उनका गाना सुनता, मेरे दिमाग और जिंदगी में कितनी भी परेशानियां होतीं मैं खुश हो जाता। उनके गाने सुनते समय मैं हर्ष और उल्लास से भर जाया करता था, इस किताब का नाम वहीं से आया। आपको बता दूं, ऊषा जी कितनी ही दुखी और परेशान क्यों ना हों, लेकिन जब उनसे बात करो या वह गाना गा रही हों। हर जगह रंग और उल्लास बिखेर देती हैं। यह उनकी शख्सियत है, इसीलिए किताब का नाम उल्लास की नाव रखा।
ऊषा जी बायोग्राफी बाकी लोगों की जीवनियों से कितनी अलग है?
जब मैं ऊषा जी से मिला और अपनी इच्छा जाहिर की, तो उन्होंने इसको मानने में थोड़ा वक्त लिया। जब वह मानी तो मेरी उनसे एक ही रिक्वेस्ट थी कि जब भी हम यह लिखें, इसमें आपका पूरा प्योर अंदाज लिखें। आप अपने पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन में जैसी हैं, इन दोनों ही जीवनों में आपके साथ घटा हम वैसे ही पेश करेंगे। यही हमारी किताब का आकर्षण होगा। इस बात से ऊषा जी पूरी तरह से सहमत हुईं और हमने इसे पूरा किया।
ऊषा जी के जीवन का कोई अनछुआ पहलू, जो किताब में लिखा है और इसे बायोग्राफी आने के पहले कोई नहीं जानता रहा हो?
ऊषा जी की दो शादी हुईं हैं। उनके पति जानी उत्थुप जी से जब ऊषा जी की मुलाकात हुई, तब वह शादीशुदा थीं। उनकी शादी बड़ी बहन के देवर रामास्वामी अय्यर से हुई थी। उस वक्त ऊषा जी बहुत छोटी थी। इसी दौरान ऊषा जी को गाने के लिए कलकत्ता में एक हफ्ते का कॉन्ट्रैक्ट मिला। इस दौरान उनकी मुलाकात जानी उत्थुप से हुई। यहां वह ऊषा जी का गाना सुनने आती थे। एक दिन जानी ने ऊषा और रामास्वामी के साथ लंच पर गए। यहां उन्होंने कहा कि मैं ऊषा जी से प्यार करता हूं। लंच के बाद रामास्वामी गुस्से घर गए और ऊषा पहुंची तो पूरा वाक्या बताया। इसी बीच उन्होंने उनसे पूछा क्या तुम भी प्यार करती हो जानी से?.....यह पूरा प्रसंग उल्लास की नाव में लिखा हुआ है।
नॉवेल के लिए किस-किस से मिले?
इस किताब को पूरा करने के लिए मैं ऊषा जी के बचपन के दोस्त, बहन, पड़ोसी, शो ऑर्गनाइजर, मेकअप आर्टिस्ट और उनके घर काम करने वाले लोगों से मिला। उनके बारे में हर एक चीज जानी। किताब लिखने का पूरा उद्देश्य मेरे जेहन में यह था कि जब कोई पाठक इसे पढ़े वह ऊषा जी के पूरे जीवन को जाने। मेरी किताब तीन भाषा हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में उपलब्ध है।
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