EXCLUSIVE Mithila Palkar: मिथिला पालकर ने महिलाओं से की खास अपील, बोलीं- हमें एक दूसरे को...

EXCLUSIVE Mithila Palkar: मिथिला पालकर ने वुमेंस ने सीरीज आई कैन बाय माईसेल्फ फ्लावर्स, बट... के लिए जूम से बात की। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और कई अलग अलग सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के बारे में भी बात की। मिथिला ने यह भी कहा कि महिलाओं को अब पॉलिसी मेकिंग टेबल पर भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।

EXCLUSIVE Mithila Palkar

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EXCLUSIVE Mithila Palkar: एक्ट्रेस मिथिला पालकर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाकर चलती हैं। उनके घुंघराले बाल और स्माइल का हर कोई दीवना है। वह इंडस्ट्री में सिर्फ एक सुंदर चेहरे के कहीं ज्यादा है। इसलिए हम अपनी सीरीज आई कैन बाय माईसेल्फ फ्लावर्स, बट... के लिए मिथिला पालकर से बात की। जूम से बात करते हुए मिथिला ने कई सारे विषयों में बात की। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री और कई अलग अलग सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के बारे में भी बात की। मिथिला ने यह भी कहा कि महिलाओं को अब पॉलिसी मेकिंग टेबल पर भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।

मिथिला पालकर ने बात करते हुए बताया- हम, महिला होने के नाते, जीवन के हर क्षेत्र में समानता चाहती हैं। अक्सर पॉलिसी मेकिंग की टेबल पर किसी महिला को देखना एक रेयर सीन होता है। मैं व्यक्तिगत रूप से मानती हूं कि महिलाएं भी चाहती हैं कि उन्हें सुना जाए। हम राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों पर समाज में समान रूप से योगदान करते हैं। जब सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा तो महिलाओं को न्यायसंगत माना जा सकता है। जब फिल्म इंडस्ट्री की बात आती है, तो महिलाओं के बारे में कहानियां सुनाना वर्तमान समय से कहीं अधिक समय की मांग है। महिलाओं को भी एक दूसरे को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

इसके साथ ही जो हमें दूसरी चीज करने की जरूरत है वह है महिलाओं को सपोर्ट करना। जब एक महिला फिल्म प्रोड्यूस करती है तो हमें यह भी तय करना होगा कि उसे देखने के लिए सिनेमाघरों में जाएं। अपना समय और पैसा दोनों खर्च करें। जब महिला खिलाड़ी मैदान पर हों, तो हमें ऐसा करना चाहिए कि हम उनका उत्साह बढ़ाने के लिए वहां मौजूद रहें। हमें एक-दूसरे को सशक्त बनाना चाहिए और जब भी मौका मिले एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।

मैं जिस बदलाव की उम्मीद कर रहीं हूं वह यह है कि स्टीरियोटाइप टूटे। हमें एकसाथ आकर काम करना होगा। हम यह सीख लेंगे तो महिला और पुरुष दोनों समान रूप से पोषणकर्ता और प्रदाता हो सकते हैं। इसके अलावा महिलाओं के पास एक आवाज और सशक्त क्षमता होती है। हमें बस इसे व्यक्त करने और जैसा है वैसा सुनने के लिए वह जगह चाहिए। एक समाज के रूप में - हमें अपनी आवाज ढूंढनी होगी, दूसरों की आवाज को बढ़ाना होगा और दूसरों के विचारों को सक्षम बनाना होगा जो उन्हें व्यक्त करने में असमर्थ हैं। जब हम महिलाओं को सशक्त बनाते हैं, तो इससे महिला का आत्म-सम्मान, उसकी निर्णय लेने की शक्ति, अवसरों और संसाधनों तक उसकी पहुंच, अपने जीवन पर शक्ति और नियंत्रण और परिवर्तन को प्रभावित करने की क्षमता बढ़ती है। हमें अवसरों, शिक्षा, नौकरियों और अन्य विशेषाधिकारों की पहुंच को बदलने की जरूरत है। भले ही हम जहां से शुरू हुए थे, वहां से काफी आगे आ गए हैं। इसके बाद भी अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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