रेखा ने 'उमराव जान' के लिए नहीं ली थी एक भी रुपया फीस, बदले में डायरेक्टर मुजफ्फर अली ने किया था ये वादा

Bollywood Throwback Rekha: 1981 में एक फ‍िल्‍म आई जिसने रेखा को एक नई पहचान दी, इस फ‍िल्‍म का नाम था उमराव जान। रेखा से डायरेक्टर ने कहा कि इस फिल्म के लिए मैं तुम्‍हें फीस तो नहीं दे पाऊंगा लेकिन तुम्‍हें अमर कर दूंगा।

रेखा ने 'उमराव जान' के लिए नहीं ली थी एक भी रुपया फीस, बदले में डायरेक्टर मुजफ्फर अली ने किया था ये वादा
Lesser known Facts of Rekha: सिल्‍क की साड़ी, आंखों में मोटा काजल, सुर्ख लाल लिपस्टिक, बिंदी और मांग में सिंदूर और लंबी चोटी और उसमें लगा गजरा रेखा की पहचान है। बॉलीवुड की वह अदाकारा जिसकी खूबसूरती के किस्‍से आज भी कहे और सुने जाते हैं। रेखा को देखकर हजारों मस्‍तानों के दिल धड़कने लगते हैं। 10 अक्टूबर को हिंदी सिनेमा की बेहद खूबसूरत अदाकारा रेखा का जन्मदिन है। रेखा ने अपने करियर की शुरुआत फ‍िल्‍म सावन भादो से की थी और इसके बाद वह फ‍िल्‍म प्राण जाए पर वचन न जाए में नजर आईं। इस फिल्म में रेखा ने न्‍यूड सीन तक दिया। सुनील दत्‍त के लीड रोल वाली इस फ‍िल्‍म ने रेखा को सेक्‍स सिंबल बना दिया। रेखा इस फ‍िल्‍म में एक तवायफ के रोल में थी और एक सीन में वह बिना कपड़ों के तालाब में नहाने उतरी थीं।
इसके अलावा रेखा को कॉमसूत्र जैसी फ‍िल्‍में भी कर‍ियर के शुरुआत में करनी पड़ीं। उन्हें सेक्‍स डॉल की छवि से बाहर लाने का श्रेय जाता है महान डायरेक्‍टर ऋषिकेश मुखर्जी को। 1973 की नमक हराम, 1977 की आलाप और 1980 में आई फ‍िल्‍म खूबसूरत में ऋषिकेश मुखर्जी ने रेखा को मौका दिया और उनके भीतर छिपी एक खूबसूरत औरत नहीं, बल्कि एक खूबसूरत कलाकार को बाहर निकाला।
उमराव जान ने नई पहचान
1981 में एक फ‍िल्‍म आई जिसने रेखा को एक नई पहचान दी, इस फ‍िल्‍म का नाम था उमराव जान। 1857 में मिर्जा हादी रुस्‍वा ने एक किताब लिखी थी- उमराव जान अदा और इसी पर डायरेक्‍टर मुजफ्फर अली ने फिल्म बनाने का फैसला किया। अब उनके सामने सवाल ये था कि उमराव जान के किरदार के लिए किसे चुनें। काफी सोच विचार के बाद मुजफ्फर अली अपनी बेगम साहिबा सुभाषिनी के साथ रेखा की मां के पास पहुंचे। उन्‍होंने कहा कि वह उमराव जान फ‍िल्‍म बनाना चाहते हैं लेकिन फीस नहीं दे पाएंगे।
रेखा ने नहीं ली फीस
रेखा जब घर आईं तो मां ने उनके सामने ये बात रख दी। इसके बाद रेखा कहानी पर बात करने मुजफ्फर अली से मिलीं और कहानी में खो गईं। रेखा से डायरेक्टर ने कहा कि मैं तुम्‍हें फीस तो नहीं दे पाऊंगा लेकिन इस फ‍िल्‍म से तुम्‍हें अमर कर दूंगा। यह फ‍िल्‍म हिंदी सिनेमा की ऐसी फ‍िल्‍म बनी, जिसका आज तक कोई मुकाबला नहीं है। इस फ‍िल्‍म ने रेखा को सर्वश्रेष्‍ठ अदाकारा का राष्ट्रीय फ‍िल्‍म पुरस्‍कार दिलाया।
फ‍िल्‍म को मिले कई पुरस्‍कार
इस फिल्म में शहरयार के गीत खूब मशहूर हुए। दिल चीज क्‍या है आप मेरी/इन आंखों की मस्‍ती के/झूला किन्‍ने डाला/ये क्या जगह है दोस्‍तो...जैसे गाने आज भी पसंद किए जाते हैं। इस फिल्म के लिए वहीं आशा भोसले को सर्वश्रेष्‍ठ प्‍लेबैक सिंगर, ख्‍याम को सर्वश्रेष्‍ठ म्‍यूजिक डायरेक्‍टर और मंजूर को सर्वश्रेष्‍ठ आर्ट डायरेक्‍टर का राष्ट्रीय फ‍िल्‍म पुरस्‍कार भी मिला था। फ‍िल्‍म को तीन श्रेणियों में फ‍िल्‍मफेयर पुरस्‍कार भी मिला।
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कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

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