इस संगीतकार के गानों के बिना अधूरी लगती है शादी, दिए 'आज मेरे यार की शादी है' और 'मेरा यार बना दूल्हा…' जैसे गीत

Ravi Shankar Sharma Biography: लोकप्रिय गीत 'आज मेरे यार की शादी है', 'डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली', 'मेरा यार बना दुल्हा…' और बाबुल की दुआएं लेती जा को अपने संगीत से अमर कर देने वाले संगीतकार रविशंकर शर्मा चार दशक तक अपनी आवाज से हर किसी को दीवाना बनाते रहे।

इस संगीतकार के गानों के बिना अधूरी लगती है शादी, दिए 'आज मेरे यार की शादी है' और 'मेरा यार बना दूल्हा…' जैसे गीत

Ravi Shankar Sharma Biography: ह‍िंदी स‍िनेमा के कई मशहूर गीतों को संगीतबद्ध करने वाले संगीतकार रविशंकर शर्मा अलग पहचान रखते हैं। उनके गाने शादियों के गीत के रूप में मशहूर हुए। शायद ही कोई ऐसी शादी होगी जिसमें उनके गाने ना सुनाई दें। रविशंकर के गीतों के बिना हर शादी अधूरी सी लगती है। रवि शंकर शर्मा का जन्म 3 March 1936 को हुआ था और 24 साल की उम्र में वो गायक बनने के लिए मुंबई आ गए। यहां वह निर्माता-निर्देशक देवेन्द्र गोयल से मकले और गोयल ने फ‍िल्‍म वचन में उन्हें काम दिया। इसके बाद उन्‍होंने आशा भोंसले के साथ गाया गाना “चंदा मामा दूर के पुआ पकाये पूर के”।

रविशंकर शर्मा ने अपने चार दशक लंबे कॅरियर में करीब 200 फिल्मों और गैर फिल्मी गानों में संगीत दिया। हिन्दी सिनेमा में सफल करियर के बाद, उन्होंने 1970 से 1982 तक के लिए अवकाश ले लिया।1982 में उन्होंने निकाह फ‍िल्‍म से वापसी की। इस फिल्म के लिये सलमा आगा को फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार मिला था। रवि के बनाये गाने ‘तुम्हीं मेरे मंदिर’ के लिए ही लता मंगेशकर को 1965 में सर्वश्रेष्ठ गायिका का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया था। उन्हें ‘सरगम’ (1992) और ‘परिनायम’ (1994) के लिए 2 बार मलयालम फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने कई हिन्दी और मलयालम फिल्मों के लिये संगीत रचना की।

शादियों के ये गाने हुए मशहूर

लोकप्रिय गीत 'आज मेरे यार की शादी है', 'डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली', 'मेरा यार बना दुल्हा…' और बाबुल की दुआएं लेती जा को अपने संगीत से अमर कर देने वाले संगीतकार रविशंकर शर्मा चार दशक तक अपनी आवाज से हर किसी को दीवाना बनाते रहे। ‘ऐ मेरी ज़ोहरा ज़बीं’ (वक़्त) जैसे गाने के बिना शायद ही कोई मेंहदी या संगीत जैसे कार्यक्रम पूरे होते हों। इस गाने को भी रवि ने संगीत दिया। हिन्दी फिल्मों में उन्हें बलदेव राज चोपड़ा की फिल्मों में संगीत देने के लिये जाना जाता है। महेन्द्र कपूर को लोकप्रिय पार्श्व गायक बनाने में भी उनका योगदान था। उन्‍होंने घर संसार, मेहंदी, चिराग, नई राहें, घूंघट, घराना, चाइना टाउन, आज और कल, गुमराह, गृहस्थी, काजल, खानदान, फूल और पत्थर, सगाई, हमराज, आंखें, नील कमल, बड़ी दीदी जैसी फ‍िल्‍मों के गीतों को संगीत दिया।

इस गाने ने बदली जिंदगी

रवि को अपने शानदार करियर और काम के लिए दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार से नवाजा गया। पहली बार 1961 में फिल्म ‘घराना’ के सुपरहिट म्यूजिक के लिए रवि को फिल्म फेयर मिला तो दूसरी बार 1965 में फिल्म ‘खानदान’ के लिये उन्हें फिल्म फेयर दिया गया। 1960 में गुरूदत्त की क्लासिक फिल्म ‘चौदहवीं का चांद’ आई और इसके बाद रवि ने फिल्म इंडस्ट्री में बतौर संगीतकार अपनी जगह कायम कर ली। फिल्म में ‘चौदहवी का चांद हो या आफताब हो’, ‘बदले बदले मेरे सरकार नजर आते है’ जैसे उनके गानों ने सुनने वालों पर कमाल का जादू किया।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बॉलीवुड (entertainment News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

कुलदीप राघव author

कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited