72 Hoorain Movie Review: इस्लामोफोबिक नहीं है आमिर बशीर और पवन मल्होत्रा की फिल्म, जानें कैसी है संजय पूरन सिंह की बहत्तर हूरें
72 hoorain movie review: संजय पूरण सिंह चौहान (Sanjay Puran Singh Chauhan) की फिल्म 72 हूरें सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को दिखाया गया है। फिल्म को लेकर जमकर विवाद हुआ था। आइए जानते हैं आमिर बशीर और पवन मल्होत्रा स्टारर 72 हूरें कैसी है।
कास्ट एंड क्रू
72 Hoorain movie review: संजय पूरण सिंह चौहान की मोस्ट अवेटेड फिल्म 72 हूरें सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म रिलीज से पहले ही विवादों में छाई हुई है। एक तरफ जहां 72 हूरें को लेकर सेंसर बोर्ड से विवाद हुआ था तो दूसरी तरफ फिल्म को इस्लामोफोबिक का टैग दिया गया था। 72 हूरें में आमिर बशीर और पवन मल्होत्रा ने लीड रोल प्ले किया है। फिल्म में दोनों का काम काबिले तारीफ है। फिल्म में आतंकवाद को नए तरीक से दिखाने की कोशिश की गई है। आइए बिना देर किए जानते हैं कैसी है फिल्म।
फिल्म की कहानी
72 हूरें की शुरुआत हकीम और बिलाल के साथ होती है जिनकी मुलाकात एक मौलाना से होती है। मौलाना उन दोनों युवकों को धर्म के नाम पर बरगलाने की कोशिश करता है। वो उनसे कहता है कि अगर इस्लाम को बढ़ाओग तो तुम्हें मौत के बाद जन्नत में 72 हूरें मिलेगी। दोनों मौलाना की बातों में आ जाते हैं। दोनों पाकिस्तान से भारत आकर मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर आतंकी हमला करते हैं। दोनों सुसाइड बॉम्बर को मरने के बाद जन्नत मिलती है या दोजख की आग इसके लिए आपको फिल्म देखना पड़ेगी।
एक्टिंग
फिल्म में हाकिम का किरदार पवन मल्होत्रा ने निभाया है। उन्होंने आतंकवादी का रोल बेहतरीन तरीके से निभाया है। उनके काम की तारीफ करे बिना आप नहीं रह पाएंगे। क्लाइमैक्स सीन में पवन ने अपनी एक्टिंग से अमिट छाप छोड़ दी है। फिल्म में पवन के साथ आमिर बशीर ने भी अच्छा काम किया है। दोनों ने डायलॉग डिलीवरी से लेकर हर छोटी- छोटी चीज पर ध्यान दिया है। इसके् अलावा फिल्म में सरु मैनी, अशोक पाठक, नमृता दीक्षित ने ठीक- ठाक काम किया है।
डायरेक्शन
फिल्म की कहानी को अनिल पांडेय ने लिखा। फिल्म के लेखक ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों को आहत नहीं किया जाए। उनके लेखन में वो चीज साफ- साफ दिखाई देती है। नेशनल अवॉर्ड विनर संजय पूरन सिंह चौहान ने आतंकवाद जैसे सेंसेटिव मुद्दे पर बारीकी से काम किया है।
उन्होंने फिल्म में ब्लैक और व्हाइट दोनों पहलुओं को दिखाने की कोशिश की है। निर्देशक ने सभी कलाकारों को उनका स्पेस दिया है। फिल्म कही भी बोरिंग नहीं लगती है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी चिरतंन सिंह ने की है। इससे पहले वो कमांडो 2, सनम तेरी कमस, तनु वेड्स रिटर्न्स जैसी फिल्में शूट कर चुके हैं। फिल्म में किसी भी तरह का इस्लामोफोबिक नहीं बनाया गया है। आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को निर्देशक ने पर्दे पर बेहतरीन तरीके से उतारा है।
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आर्टिकल की समाप्ति
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