Kho Gaye Hum Kahan Review: न्यू मिलेनियल्स और जेन्जी जेनेरशन पर फिट बैठती है खो गए हम कहां की कहानी, अनन्या और आदर्श की मेहनत ने फिल्म को बनाया उम्दा

Kho Gaye Hum Kahan Review and Critic Rating: अनन्या पांडे, सिंद्धांत चतुर्वेदी और आदर्श गौरव की फिल्म खो गए हम कहां ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इस रिव्यू को पढ़ कर आप जानिए की आखिर यह फिल्म कैसी है। पढ़िए बिना स्पॉइलर वाला रिव्यू...

क्रिटिक्स रेटिंग

3
Kho Gaye Hum Kahan Review

​Kho Gaye Hum Kahan Review.

कास्ट एंड क्रू

adarsh gourav

ananya pandey

siddhant chaturvedi

Kho Gaye Hum Kahan Review and Critic Rating:इन दिनों दो शब्द बड़े फेमस हैं न्यू मिलेनियल्स और जेन्जी, यह कुछ सालों के फासले में पैदा होने वालों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। अभी का दौर दोनों के लिए ही बड़ा कन्फ्यूजिंग सा है। दोनों को ही समझ नहीं आता है कि वह क्या करना चाहते हैं। कुछ पर मां बाप का दबाव है तो कुछ को अपने जीवन में अभाव का दबाव है। वह इन दोनों के बीच खुद को समझ नहीं पा रहे कि आखिर चाहिए क्या? घर से दूर आधी रात को अपने फ्लैट के कमरे में यह सोचते हैं कि मुझे क्या करना है? क्या मेरे सपने या चाहत पूरी हो पाएगी? कुछ अपने रिलेशनशिप में उलझे हैं। कुछ सिचुएशनशिप को समझ रहे हैं। क्यों आज दोस्ती, प्यार और हुकअप का जमाना हैं। इन सबके बीच वह अपने आपको सोशल मीडिया में खुश भी दिखाते हैं। खैर... कुछ इससे निकल जाते हैं और कुछ फंसे रह जाते हैं। फिर वह इन कुछ सवालों को बीच वह खुद से यह भी पूछते हैं कि खो गए हम कहां...?
कश्मकश में उलझी नायकों की जिंदगी
स्कूल से साथ पड़े दोस्त इमाद, अहाना और नील मुंबई में रहते हैं। अहाना एक फर्म में करती है, इमाद स्टैंडअप कॉमिक है और नील जिम ट्रेनर है। तीनों के अपने सपने हैं और तीनों में एक चीज कॉमन है। यह तीनों अपने अपने रिलेशनशिप और अपने आप से भाग रहे हैं। इमाद के बचपन में कुछ घटा है, जिससे वह भागते हुए कॉमेडी करता है। अहाना अपने एक रिलेशनशिप में उलझी है और उस अटेंशन चाहिए। वह उस लड़के लिए कुछ भी कर सकती है। नील एक मिडिल क्लास परिवार का लड़का है, उसे जिम खोलना है और जिन अभाव में वह जी रहा है उससे बाहर निकलना है। उसे लगता है कि उसके पास कुछ नहीं है। इसी बीच इमाद और नील की लड़ाई भी होती है। कहानी आगे बढ़ती है और घूमती है, फिर तीनों की जिंदगी एक ही सिचुएशन मे आकर गिर जाती है। अब उन्हें यहां से निकलना है। वह कैसे इसका उत्तर भी उनके पास ही है। कहानी का अगला पड़ाव और लेसन के लिए फिल्म देखना उचित रहेगा।
अभिनय में दम
अहाना का किरदार अनन्या पांडे ने निभाया है, उन्होंने इस किरदार को ऐसे दिखाया है जैसे वह रियल लाइफ में हैं। रोल का उनकी ऐज से गजब का तालमेल खाता है। इसीलिए उन्होंने इसे समझा और संजीदगी से पेश किया है। इमाद के रोल में सिद्धांत चतुर्वेदी ने कमाल किया है। गहराइयां से वह यहां निकलकर इमाद के किरदार को पूरी तरह पकड़ा है। एक दर्द समेटे हुए लड़के और कन्फयूज्ड यंग बॉय को उन्होंन समझा है। आदर्श गौरव हर बार अपने किरदार के साथ कुछ नया करना चाहते हैं। नील के किरदार में भी उन्होंने यहां किया है। एक सिचुएशन में वह गलत कदम उठाते हैं, फिर उन्हें समझ आता है तो वह स्वीकर करते हैं। इन दोनों ही इमोशन को उन्होंने बड़े ही प्योरिटी के साथ निभाया है। यह आदर्श का एक बेहतरीन काम भी है। कल्कि ने सिमरन के रोल में अपना दावेदारी पेश की है।
राइटिंग ने कहानी को बनाया मजबूत
फिल्म को जोया अख्तर, रीमा कागती और यश सहाय ने मिलकर लिखा है। वह कहानी के माध्यम से जो कहना चाहते हैं, पूरी तरह से लैंड हुआ है। जिस ऐज ग्रुप को ध्यान में रखते हुए खो गए हम कहां लिखी गई है, उसे फिल्म में पूरा ध्यान में रखा गया है। तीनों बड़ी ही हल्के फुल्के माध्यम से एक मजबूत बात दर्शकों के सामने रखी है। फिल्म को अर्जुन वरैन सिंह ने डायरेक्ट किया है। यह उनकी पहली फिल्म है। इससे पहले वह जोया को गली बॉय में असिस्ट कर चुके हैं। उनके काम में जोया की झलक भी दिखाई पड़ती है। उन्होंने अपने डेब्यू को इस फिल्म से सार्थक कर लिया है।
खुश रहना जरूरी
फिल्म खो गए हम कहां सही जगह रिलीज हुई है। इसकी असली जगह ओटीटी ही है, यहां पर दर्शक इस फिल्म को आराम से देख कर इंजॉय करेंगे। सबसे बड़ी बात यह है कि फिल्म अपने टारगेट ऑडियंस की आज की सिचिएशन पर बात करती है। इसे देखकर वह अपनी राय बना सकते हैं। हर सिचुएशन से भागकर आपको परेशानी का हल नहीं बल्कि सवाल ही मिलेंगे। इसीलिए इस टेंशन भरे दौर में थोड़ा हल्का रखिए और इंजॉय भी करिए। खुश रहना भी बहुत जरूरी है, लेकिन सोशल मीडिया के लिए नहीं। खुश जीवन में अंदर से रहना है। सोशल मीडिया में खुद को खुश दिखाकर कुछ नहीं मिलेगा।
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आर्टिकल की समाप्ति

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