Phooli Movie Review in Hindi

क्रिटिक्स रेटिंग

3.5

Jul 2, 2021

Phooli Movie Review: एक 'जादूगर' फ़िल्ममेकर ने फिल्म से दिखाई नई दुनिया, पढ़ें रिव्यू

Phooli Movie Review: 'जब हम हार मान लेते हैं तो वह हार सिर्फ हमारी नहीं होती बल्कि हमसे जुड़ा हर वो आदमी हारता है जो यह सोचता है कि हम जीत सकते हैं।' इस तरह के प्रेरणादायक, हौसला और जज़्बा बढाने वाले संवाद इस सप्ताह सिनेमाघरों में रिलीज हुई निर्देशक अविनाश ध्यानी की फ़िल्म 'फूली' के हैं। रियल स्टोरी से इन्सपायर्ड निर्देशक अविनाश ध्यानी की फिल्म "फूली" एक बच्ची और जादूगर की बेहद प्यारी सी कहानी है जो शिक्षा के महत्व पर संवाद करती है। अविनाश ध्यानी ने वॉर फ़िल्म "72 ऑवर्स" बनाई थी जिसे मिलियन्स में लोगों ने देखा और अब इस इमोशनल फ़िल्म फूली में वह "जादूगर" निर्देशक बनकर उभरे हैं, जिन्होंने फ़िल्म में एक जादूगर की महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई है।
यह कहानी एक लड़की फूली के इर्द-गिर्द घूमती है जो पढ़ना चाहती है और अपने सपनों को पूरा करना चाहती है। यह सिनेमा उसके संघर्षों और पढ़ाई करने की उसकी उत्सुकता को दर्शाता है, लेकिन हालात उसे अपनी शिक्षा जारी रखने की इजाज़त नहीं देते हैं। बाद में एक "जादूगर" उसके जीवन में आता है और उसे उसकी परिस्थितियों से उबरने में मदद करता है और पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करता है। जादूगर के मार्गदर्शन की मदद से वह पढ़ाई में प्रथम आने के लिए प्रयास करती है, परिस्थितियों से निपटने के अपने तरीके को बदलती है और आखिरकार अपनी परीक्षा में अव्वल आती है और बाद में एक आईपीएस अधिकारी बन जाती है।
वह जादूगर फूली को समझाता है कि "कोई किसी की ज़िंदगी मे जादू नहीं करता वो जादू तुम्हे खुद करना पड़ेगा अपनी ज़िंदगी में। तुम्हारी कड़ी मेहनत किसी भी सफलता की कुंजी है जिसे तुम प्राप्त करना चाहते हो।"
फूली जादूगर के इस कथन से प्रोत्साहित होती है और उसका आत्मविश्वास बढ़ता है कि इंसान के अंदर सब कुछ बदलने का जादू मौजूद होता है।
जब फूली को जादूगर एक सीन में समझाता है कि हमे हर परिस्थिति को बदलना होता है, हमें लगता है कि कुछ नहीं बदल रहा है मगर बदलता है। तो यह अल्फ़ाज़ उसकी हिम्मत और हौसला बढ़ाते हैं। दर्शक भी प्रेरित होते हैं। अविनाश ध्यानी ने महेंद्र सरकार का रोल किया है जो एक मशहूर जादूगर है। अपने अभिनय, शारीरिक भाषा और संवाद अदायगी से अविनाश ने प्रभावित किया है। रिया बलूनी ने फूली के किरदार को बखूबी जिया है। वहीं सुरुचि सकलानी ने बड़ी फूली के रूप में भी अपनी क्षमता दिखाई है।
जहां तक निर्देशन का सवाल है, फिल्म में फूली के चरित्र के द्वारा निर्देशक अविनाश ध्यानी ने पहाड़ों में रहने वाली और मुश्किल हालात से लड़ रही हर लड़की हर महिला की जिंदगी के सच को बखूबी दर्शाया है। हालांकि अविनाश ध्यानी ने कई फिल्में बनाई हैं लेकिन फूली उनकी एक स्पेशल फ़िल्म है क्योंकि यह सच्चाई के बहुत करीब है। इस फिल्म की कहानी पिरोने में वह पहाड़ों की कई महिलाओं के जीवन से प्रेरित हुए हैं, जिसमें उनकी माँ भी शामिल हैं। उन्होंने पहाड़ को बहुत निकटता से जाना और समझा है इसलिए इस पृष्ठभूमि में यह असरदार सिनेमा बनाया है। लेकिन यह कहानी केवल पहाड़ों तक सीमित रहने के लिए नहीं है, इसे देशभर और दुनिया भर के दर्शकों तक पहुँचने की जरूरत है।
फ़िल्म फूली में कुछ दिल को छू लेने वाले गीत भी हैं। सिनेमा का बैक ग्राउंड म्युज़िक सराहनीय है। यह देखने लायक फ़िल्म है जो मनोरंजन के साथ साथ कुछ सीख भी देती है और प्रेरित भी करती है।
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